संवाददाता : टीसीएस के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी नटराजन चंद्रशेखरन भारतीय रिजर्व बैंक :आरबीआई: के उन दो निदेशकों में शामिल हैं जो आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के ठीक पहले हुई बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक में शामिल नहीं हुए। यह बैठक 500 और 1,000 रपये के पुराने नोटों को चलन से हटाने की सरकार की ‘सलाह’ मिलने के एक दिन के अंदर बुलाई गयी थी। चंद्रशेखरन उन तीन बाहरी निदेशकों में से एक हैं जिन्हें केंद्रीय बोर्ड में नामित किया गया है। ऐसे अन्य दो निदेशक भारत नरोत्तम दोषी और सुधीर मांकड बैठक में शामिल हुए थे। बैठक में सरकार के दो प्रतिनिधि आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और वित्तीय सेवा सचिव अंजली छिब दुग्गल भी बैठक में मौजूद थीं। ‘‘.. 500 और 1,000 रपये के नोट.. की वैध मुद्रा के रूप में स्थिति पर मेमोरेंडा’ उस बैठक का विचारणीय विषय था। रिजर्व बैंक के उप-निदेशक एन एस विश्वनाथन भी आठ नवंबर की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रात आठ बजे राष्ट्र के नाम संबोधन से ठीक तीन घंटे पहले बुलायी गयी थी। इसी संबोधन में 500 और 1,000 रपये के नोट के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गयी थी। लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री अजरुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि गवर्नर उर्जित आर पटेल तथा डिप्टी गवर्नर आर गांधी तथा एस एस मूंदड़ा समेत निदेशक मंडल के 10 सदस्यों में आठ उपस्थित थे। नचिकेत मोर भी बैठक में शामिल हुए लेकिन दो निदेशकों की अनुपस्थिति के कारणों के बारे में कुछ नहीं बताया। मेघवाल ने अपने जवाब में यह भी कहा कि रिजर्व बैंक समय-समय पर मुद्रा की मांग और अनुमान की समीक्षा करता रहा है और सरकारी अधिकारियों के साथ सलाह से नोटों की आपूर्ति की गयी।
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