अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
पंचकूला: पुलिस प्रवक्ता नें जानकारी देते हुए बताया कि आज बुधवार को ई-टेंडरिंग को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे सरपंचों ने आज मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने का ऐलान किया था । प्रदर्शन शांतिपूर्ण हो, इसके लिए पुलिस फोर्स को तैनात किया गया व पंचकूला-चंडीगढ़ बार्डर पर बैरिकेडिंग की गई । प्रदर्शन शांतिपूर्ण रूप से समाप्त हो सके इसके लिए निरंतर पुलिस के उच्च अधिकारियों ने सरपंच एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ सम्पर्क किया । पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि इस दौरान पुलिस ने बेरिकेड लगाकर सरपंचों को रोकने की कोशिश की तो वे नहीं माने । पुलिसबल ने कानून एवं शांति व्यवस्था को कायम रखने के लिए निरंतर संयम बरतते हुए संघर्ष किया । सरपंच एसोसिएशन के लोगों को शांत कराया गया, लेकिन दोबारा उन्होंने उग्र प्रदर्शन करते हुए नाका तोड़ने का प्रयास किया। भीड़ के बीच कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस बल पर पथराव किया।
इस दौरान कुछ सरपंचों को मामूली चोट लगी और करीब 20-25 पुलिसकर्मियो को भी चोटें लगी हैं। जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में ले जाया ।पुलिस द्वारा सरपंच एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से अपील भी की गई कि उनके प्रदर्शन से स्थानीय निवासियों सहित स्कूल-कालेज जाने वाले विद्यार्थियों को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । इसलिए वे पंचकुला को चंडीगढ से जोड़ने वाले मुख्य मार्ग को खाली कर कानून व्यवस्था व शांति बनाए रखने में पुलिस का सहयोग करें । परन्तु इसके बावजूद भी प्रर्दशनकारी नहीं माने ।
इसके बावजूद पुलिस बल ने कानून एवं शांति व्यवस्था को कायम रखने के लिए निरंतर संयम बरतते हुए संघर्ष किया औऱ सभी प्रदर्शनकारियों को सेक्टर 17/18 चौंक से चंडीगढ़ की तरफ जाते हुए रोककर समझाया गया और कहा गया कि आप अगर अपना कोई ज्ञापन किसी को देना चाहते है तो सक्षम अधिकारी के माध्यम सक्षम अधिकारी के पास ज्ञापन पहुँचवा दिया जाएगा इसके अलावा प्रदर्शनकारियों को उच्च अधिकारियों द्वारा समझाया और धारा 144 लगी होनें बारे भी बताया लेकिन प्रदर्शनकारियों नें किसी की कोई बात नहीं सुनी और उन्होनें पुलिस द्वारा लगाए गए बेरिगेटो को तोडा और उनके अन्य साथियो नें पुलिस पर पथराव किया । पथराव बाजी के कुछ पुलिस कर्मचारियों को चोटे भी लगी । प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर पथराव करके सरकारी कार्य में बाधा पहुँचाई है जिनके खिलाफ थाना सेक्टर 14 पंचकूला में भारतीय दंड संहिता की धारा 147/148/149/323/332/353/325/186/188/283 के तहत मामला दर्ज किया गया ।
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