डीटीपी नरेश कुमार का कहना हैं कि बिल्डरों ने ग्रीन फील्ड कॉलोनी में काफी तादात में अवैध रूप से बड़े -बड़े निर्माण बने हुए हैं, जोकि कानून के हिसाब से बिल्कुल गलत हैं। उनका कहना हैं कि एक प्लाट पर सिर्फ एक युनिट ही बनाया जा सकता हैं जिसमें 8 से 10 लोग ही रह सकतें हैं, पर बिल्डरों ने एक प्लाट पर 3 से 4 युनिट बनाएं हुए हैं जिसमें 30 से 40 लोग रहेगें तो ऐसे में उस फ्लैट में रहने वाले लोगों को जिला प्रशासन द्वारा दी जाने वाली सूविधा उन लोगों को नहीं मिल सकेगा। जोकि कानूनी तौर पर बिल्कुल गलत हैं। उनका कहना हैं कि इसके अलावा उनके पास कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी नहीं हैं और यह लोग बिना कंप्लीशन के ही लोगों को फ्लैट बेच दिया करतें हैं। उनका कहना हैं कि आज एक जेसीबी मशीन की सहायता से ग्रीन फील्ड कालोनी के ए ब्लाक में प्लाट नंबर 1968 में बनें एक निर्माणधीन तीन मंजिला बिल्डिंग के आगे के नीचले हिस्सें को तोडा गया। इसके अलावा सी ब्लॉक में अवैध रूप से बने तीन मंजिला बिल्डिंग में आगे की निचलें हिस्से को तोडा गया हैं। सवाल के जवाव में उनका कहना हैं कि इस तरह की कार्रवाई से बिल्डरों द्वारा बनाई गईं बिल्डिंग जल्द से बिक नहीं पाएगा हैं। इससे फ्लैट के दामों में भी भारी गिरावट आ जाती हैं। वहीँ लोगों का कहना हैं कि जितनी बड़ी -बड़ी बिल्डिंगें बनाई गईं हैं उसमें मामूली तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई हैं। ऐसे में बिल्डर ( माफिया ) फिर से बिल्डिंग के टूटे हुए हिस्सें को बना लेगा। पर बिल्डरों पर अवैध निर्माण बनाने की दिशा में पूरी तरह से लगाम नहीं लग सकेगा।