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फरीदाबाद

फरीदाबाद : सूरजकुंड तथा बड़खल झीलों की बहाली के लिए भूजल स्तर को सुधारना होगा,व्यापक स्तर पर पौधारोपण की आवश्यकता: डॉ. बलवान


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में ‘फरीदाबाद एवं आसपास के क्षेत्र में भूजल समस्या तथा समाधान’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। हरियाणा राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, हरियाणा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी में फरीदाबाद एवं आसपास के शिक्षण संस्थानों से लगभग 150 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।कार्यशाला में गुड़गांव के पूर्व वन संरक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. आर.पी. बलवान मुख्य वक्ता रहे। कार्यशाला को विज्ञान प्रसार, नई दिल्ली में वैज्ञानिक निमिष कपूर तथा पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के भूविज्ञान विभाग में प्रोफेसर डॉ. नरेश कोचर, हरियाणा कृषि विभाग के पूर्व भूविज्ञानी डॉ. बी.एस. यादव, द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय, गुड़गांव से डॉ. अनिता ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर अधिष्ठाता विद्यार्थी कल्याण डॉ. नरेश चौहान भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सोनिया बंसल की देखरेख में किया गया।
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि फरीदाबाद सहित पूरे एनसीआर क्षेत्र में भूजल का गिरता स्तर तथा गुणवत्ता एक गंभीर समस्या है, जिस पर व्यापक चिंतन एवं उचित उपाये करने की आवश्यकता है। उन्होंने हरियाणा राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् द्वारा भूजल की समस्या के प्रति जनचेतना लाने के उद्देश्य से कार्यशाला के आयोजन को एक सराहनीय पहल बताया।सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. आर.पी. बलवान ने भूजल संरक्षण को लेकर विभिन्न अधिनियमों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले दो दशकों में दक्षिण हरियाणा में भूजल के अत्याधिक दोहन से भूजल स्तर में तेजी से गिरावट आई है और इस गिरावट के कारण पानी को लेकर एक चिंताजनक समस्या उत्पन्न हो गई है। इस समस्या से समय रहने की निपटा गया तो स्थिति और विकट हो जायेगी।उन्होंने कहा कि फरीदाबाद के मुख्य पर्यटन स्थल सूरजकुंड तथा बड़खल में जलाश्यों के सूखने का प्रमुख कारण भूजल का अत्याधिक दोहन है।
इन जलाश्यों को तब तक पुनः बहाल नहीं किया जा सकता, जब तक भूजल पुनर्भरण के लिए उचित कदम नहीं उठाए जाएंगे । उन्होंने कहा कि अरावली क्षेत्र में खनन तथा पूरे एनसीआर क्षेत्र में अनियोजित विकास के कारण भी भूजल का अत्याधिक दोहन हुआ है। उन्होंने कहा कि अरावली क्षेत्र में अपरदन को रोकने तथा भूजल स्तर को बहाल करने के लिए व्यापक स्तर पर पौधारोपण की आवश्यकता है।सत्र को संबोधित करते हुए भूविज्ञानी डॉ. नरेश कोचर ने भूजल प्रदूषण तथा प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। विज्ञान प्रसार की साइंस फिल्म डिवीजन में वैज्ञानिक निमिष कपूर ने लघुचित्र के माध्यम से देश के विभिन्न क्षेत्रों में भूजल स्तर में गिरावट के कारण उत्पन्न स्थिति तथा समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया।

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