अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरूग्राम: डार्क जोन घोषित हुए गुरूग्राम जिला का गांव पालड़ी आज एक ऐसा उदाहरण बन गया है जिसमे ना केवल भूमिगत जलस्तर में सुधार हुआ है बल्कि इस गांव में एकीकृत जल प्रबंधन कार्यक्रम(आईडब्ल्यूएमपी) के माध्यम से ग्रामीणों को पीने के लिए मीठा पानी मिलने लगा है। इस कार्यक्रम के जरिए गांव पालड़ी में ना केवल घटते भूजल स्तर में सुधार लाने तथा प्राकृतिक स्त्रोतों को संरक्षित करने की पहल की गई है। जब इस योजना को शुुरू किया गया तब गांव में मुख्य समस्या पानी की थी। इस गांव में पहले जमीन का पानी इतना खारा था कि लोगों को पेयजल के लिए पानी की खरीद करनी पड़ती थी। उस समय गांव में पीने के पानी की सप्लाई के लिए दो ट्यूबवैल थे, परंतु पानी खारा होने की वजह से ना तो पीने योग्य था बल्कि इसके कारण गांव में लोगों को चर्म रोग व पेट की भी समस्या होने लगी थी। इस पानी के खारेपन के कारण पशुपालन में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था क्योंकि दुधारू पशु पर्याप्त दूध नही देते थे। पानी की समस्या के कारण यहां प्रत्येक घर में आरओ के पानी का टैंकर लिया जाता था जोकि ग्रामीणों को बहुत महंगा पड़ता था।
इस गांव के लिए आईडब्ल्यूएमपी वरदान साबित हुई। इस गांव में पानी की समस्या के स्थाई समाधान के लिए गांव में पीर वाले जोहड़ की खुदाई का काम किया गया। पंचायत द्वारा साल्हावास नहर से भूमिगत पाईप लाइन बिछाई गई और नहर से पीर वाले जोहड़ को जोड़ दिया गया। इसके बाद जोहड़ को नहर के पानी से भर दिया जाता था तथा बरसात का पानी भी इसमें इक्ट्ठा होता था। यह पानी रिसाव से जमीन के अंदर जाता रहा और 3-4 सालों में भूमिगत जलस्तर बढ़ गया और पानी पीने योग्य मीठा हो गया। गांव में पानी की सप्लाई के लिए जो दो ट्यूबवैल थे उनका पानी भी पीने योग्य हो गया। इसके बाद गांव के प्रत्येक घर में इन ट्यूबवैलों से पानी की सप्लाई की जाने लगी है और यह पानी गांव के प्रत्येक घर में प्रयोग हो रहा है। पहले इस गांव में ग्रामीणों द्वारा अपने घर में प्रयोग करने तथा पीने के लिए पानी खरीदने पर लगभग 30 हजार रूप्ये प्रतिमाह खर्च किए जाते थे । अब पानी संचयन से उनकी उस समस्या का स्थाई समाधान हो गया है व गांव के प्रत्येक घर को इसका लाभ मिल रहा है।
तकनीकी विशेषज्ञ डी के वर्मा ने बताया कि गांव पालड़ी से साहबी नदी का बरसाती नाला भी गुजरता है और बरसात के दिनों मे इस नाले से पानी व्यर्थ बह जाता था। ग्रामीणों ने आईडब्ल्यूएमपी योजना का लाभ उठाते हुए इस नाले से निश्चित दूरी पर मिट्टी के 3 बंद लगा दिए और उससे वहां बरसात के दिनों में पानी खड़ा रहने लगा। इन तीनों बंदो से बारिश का पानी व्यर्थ आगे बहने की बजाय वहीं रोक दिया गया और पंचायती भूमि पर एक जोहड़ बनाया गया। मौजूदा समय में बारिश का पानी नाले से होकर मिट्टी के बंद से रूककर जोहड़ में आ जाता है जिससे भूमिगत जलस्तर में निरंतर सुधार हो रहा है। इस गांव की समस्या के स्थाई समाधान के लिए होंडा कंपनी द्वारा इस पोंड कोे पक्का करवाया गया तथा इसमें 8 रिचार्ज पिट बनाए गए जिसकी वजह से गांव मंें भूमिगत जल चार फुट उपर आ गया। गौरतलब है कि एकीकृत जल प्रबंधन योजना सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसके क्रियान्वयन से भूमि, जल, वनस्पति आदि जैसे जल संग्रहन के प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया गया है। इस योजना के तहत गंदे पानी की निकासी के लिए नालों का निर्माण, ग्रामीणों की मांग के अनुसार स्कूलों व सार्वजनिक स्थानों पर पानी की टंकी का निर्माण, जानवरों के पानी पीने के लिए खैल, तालाब का निर्माण, बरसाती पानी को रोकने के लिए चैक डैम व बरसाती पानी का संग्रहण आदि शामिल है।