संवाददाता, फरीदाबाद : सूरजकुंड मेले में गदवाल की साड़ियों ने महिला पर्यटकों को अपना दीवाना बनाया हुआ है। गुजरात में हैदराबाद का गांव गदवाल सिल्क की साड़ियों के लिए मशहूर है। वेणूगोपाल के स्टाल पर सिल्क की साड़ियों की अलग-अलग वेरायटी उपलब्ध है। गदवाल गांव के रहने वाले वेणूगोपाल बताते हैं कि उनके यहां तीन हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक की साड़ी मौजूद है। बेहतरीन साड़ियां बनाने के लिए उन्हें दो बार आंध्र प्रदेश सरकार से स्टेट अवार्ड मिल चुका है। हर वर्ष गदवाल की महंगी से महंगी साड़ियों को भी खरीददार मिल जाते है।
लोगों को भा रहीं माला के हाथों बनी कृतियां
आमतौर पर लोग नारियल के छिलकों को व्यर्थ समझ कर फेंक देते हैं। लेकिन बिहार के मुंगेर की माला कुमारी वर्मा नारियल के इन छिलकों को आकर देकर चम्मच, अगरबत्ती स्टैंड, की-रिंग, पेन होल्डर, डमरू, हेयरपिन, नमकदानी का रूप दे देती हैं।
इतना ही नहीं, इसी नारियल से माला कुमारी कई आकर्षक आभूषण भी बनाती हैं, जिनकी स्टाल पर खूब बिक्री भी हो रही है। वर्ष 2011 में पटना में बिहार सरकार की तत्कालीन उद्योग मंत्री रेनू कुशवाहा ने माला कुमारी वर्मा को स्टेट अवार्ड से नवाजा था।
मुंगेर के कई गांवों में लगभग 150 महिलाएं नारियल से कई आकर्षक चीजें बनाती हैं। मुहल्ला लाला दरवाजा, रायसर के अलावा कटारिया, गंगा नगर तथा तारापुर गांव में कई घरों में यह काम चल रहा है। इस तरह कृतियां बनाना कला है तो कमाई का भी जरिया बना हुआ है।
हिमाचल की खुमानी और कच्चा अखरोट
सूरजकुंड मेले में मेवों की बहार है। मां कामाख्या समूह से जुड़े मनीष वर्मा तथा मनोज कुमार के स्टाल पर आपको हिमाचल की खुमानी तो कच्चा चिलगोजा मिल जाएगा। इस स्टाल पर किन्नौर का कच्चा अखरोट और अंजीर भी है। समूह सीधे किसानों से सूखे मेवे खरीदता है और समूह के सदस्य ही मेवा पैक करते हैं। गुरुवार को मां कामाख्या समूह के स्टाल पर खासी रौनक रही। कोई अंजीर खरीद रहा है तो कोई खरीदने से पहले कच्चे अखरोट को चख रहा था।