फरहीन खान, संवाददाता : फरीदाबाद। पंच धातु से बनी कलाकृतियां जहां घर की शोभा बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती हैं वहीं लोग सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए भी इसका प्रयोग करते हैं। मध्यप्रदेश की यह कला धीरे धीरे विलुप्त हो रही है, किंतु कुछ कलाकार ऐसे हैं जो तमाम परेशानियों के बावजूद इसे जिंदा रखे हुए हैं। मध्यप्रदेश टीकमगढ़ जिला निवासी रामस्वरूप सोनी इन्हीं में से एक हैं। वह पिछले तीन साल से सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन करते हैं। इस बार उन्हें स्टाल नंबर 437 मिला है। राष्ट्रीय अवार्ड विजेता सोनी का कहना है कि यह उनका पुश्तैनी कला है। तांबा, जस्ता, सोना, चांदी व पीतल को गलाकर पंच धातु तैयार करते हैं। इस मिश्रण को सांचे में डालकर ढलाई की जाती है। इसके बाद हथौड़ी व कलम की सहायता से उसे आकार दिया जाता है। इसके बाद घिसाई व चमकाने का काम किया जाता है। इससे गणेश, लक्ष्मी, हाथी, हाथी दांत, राजा का दरबार, शंख, शेर, गाय, कृष्ण, चौकी, सरस्वती और झूले आदि सजावटी सामान तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि पंच धातु का सामान घर में रखना वास्तु की दृष्टि से शुभ माना जाता है। उन्होंने बताया कि एक तो इस काम में मेहनत बहुत ज्यादा है, वहीं धातु लगातार महंगी हो रही हैं। इससे हस्तशिल्पी को इसका पूरा मुनाफा नहीं मिल पाता। इसलिए लोगों का रुझान इस कला की ओर कम हुआ है।
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