अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चण्डीगढ: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार बंगाल की खाड़ी में एक और कम दबाब का क्षेत्र बनने की संभावना से 8 अगस्त से मानसून हवाओं की फिर से मैदानी क्षेत्रों की ओर सक्रियता बढऩे की संभावना है जिससे 9 अगस्त से 11 अगस्त के बीच प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में अच्छी बारिश होने की संभावना है। इस संबंध में जानकारी देते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय,हिसार के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार मानसूनी हवाओं का टर्फ अब गंगानगर ,हिसार, बदायूं, गौंडा, आजमगढ़, गया, जमशेदपुर, डिगा होते हुए बंगाल की खाड़ी तक गुजर रहा है, इसके निचले और दक्षिण की तरफ शिफ्ट होने की संभावना हैं तथा बंगाल की खाड़ी में बनने वाले एक निम्न दबाब के क्षेत्र से मानसूनी हवाओं की सक्रियता मध्य एवं दक्षिण पश्चिमी भारत में ज्यादा रहने की संभावना है। इसी कारण हरियाणा की तरफ आने वाली कमजोर मानसूनी हवाओं से 8 अगस्त तक राज्य में मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील रहने, बीच बीच में बादलवाई आने तथा तापमान में हल्की बढ़ोतरी होने की संभावना है।
इस दौरान वातावरण में नमी अधिक होने तथा तापमान में हल्की बढ़ोतरी होने से कहीं-कहीं गरज-चमक वाले बादल बनने से कुछेक स्थानों पर हवाओं के साथ हल्की बारिश भी संभावित है। परिवर्तनशील मौसम के चलते धान की फसलों में करें आवश्यकतानुसार सिंचाई उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो रहा है। किसान मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अपनी फसलों की निराई-गुड़ाई व सिंचाई जैसे कार्य कर लेते हैं जिससे उन्हें मौसम पूर्वानुमान की सूचना न मिलने से होने वाले आर्थिक नुकसान से काफी हद तक निजात मिली है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि अगले चार दिन मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील रहने की संभावना को देखते हुए धान की फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। इसके अलावा बाजरा, ग्वार आदि खरीफ फसलों में निराई- गुड़ाई कर खरपतवार निकालें, नमी को संचित करें और नरमा-कपास, बाजरा आदि फसलों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें।
बादलवाई व वातावरण में नमी अधिक रहने के कारण नरमा-कपास व अन्य फसलों में कीटों व रोगों का प्रकोप बढने की संभावना को देखते हुए फसलों की निगरानी करें। यदि प्रकोप हो तो विश्वविद्यालय की सिफारिशानुसार कीटनाशकों का छिडक़ाव मौसम साफ रहने पर ही करें। इसके अलावा सब्जियों व फलदार पौधों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। उन्होंने किसानों को सचेत करते हुए कहा कि अगले चार दिनों में हवा में बार-बार बदलाव की संभावना को देखते हुए राजस्थान के आसपास के जिलों के किसान टिड्डी दल के प्रति सजग रहें तथा खेतों में लगातार निगरानी रखें। यदि खेत में कहीं भी टिड्डी दिखाई दे तो तुरंत नजदीक के कृषि अधिकारी व कृषि विज्ञान केंद्र/ विश्वविद्यालय के कीटविज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों को सूचित करें। कोरोना से लगातार बचाव हेतु किसान भाई मुंह पर मास्क या गमछा रखें, मंडी/गांव व खेत में काम करते समय एक-दूसरे के बीच उचित दूरी बना कर अवश्य रखें तथा हाथों को समय-समय पर साबुन या सेनेटाइजर से अवश्य साफ करें।