अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय की आज पहली बोर्ड बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य हर छात्र को रोजगार दिलाना अथवा अपना व्यवसाय शुरू करने योग्य बनाना है। उन्होंने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक और डोर-स्टेप डिलीवरी की तरह यह विश्वविद्यालय भी कौशल शिक्षा का एक वैश्विक मॉडल बनेगा। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली निवासियों के लिए आज एक बहुत अच्छी और बड़ी खुशखबरी है। हमारा सपना था कि हर युवक को रोजगार मिले। देश में बहुत बेरोजगारी है। एक वो युवा हैं, जिनको पढ़ाई-लिखाई नसीब नहीं होती है। दूसरे वो युवा हैं, जो पढ़-लिखकर भी बेरोजगार हैं। हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी है, जो बच्चों को रोजगार के लिए तैयार नहीं करती।
सीएम ने कहा कि दिल्ली विधानसभा ने बच्चों को नौकरी देने के लिए स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी विधेयक पारित किया था। इस यूनिवर्सिटी में बच्चों को नौकरी लायक कौशल (स्किल) देकर ऐसा प्रशिक्षण कराएंगे ताकि उन्हें यूनिवर्सिटी से बाहर निकलते ही तुरंत नौकरी मिल सके। इसी तरह, जो बच्चे बिजनेस करना चाहते हैं, उन बच्चों को हम बिजनेस करने के लिए तैयार करेंगे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय शुरू करने का हमारा सपना था। हमने आज उस सपने को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाया है। आईआईएम की प्रोफेसर रहीं नेहारिका वोहरा विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर बनाई गई हैं। डाॅ. प्रमथ राज सिन्हा, प्रमोद भसीन, संजीव बिकचंदानी, श्रीकांत शास्त्री, प्रो. के.के. अग्रवाल और प्रो. जी. श्रीनिवासन बोर्ड के मेंबर बनाए गए हैं, जो अपने-अपने क्षेत्र में काफी अनुभव रखते हैं। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी का पहला एकेडमिक सत्र अगले साल से शुरू होने की उम्मीद है। बोर्ड मेंबर, कंपनियों से सलाह लेकर ऐसा कोर्स तैयार करेंगे, ताकि युवाओं को कंपनियां बुला कर नौकरी दे सकें। हमें उम्मीद है कि मोहल्ला क्लीनिक और डोर स्टेप डिलीवरी सर्विस की तरह ही इस यूनिवर्सिटी की भी पूरी दुनिया में चर्चा होगी और यह भी अपने आप में एक माॅडल बनेगा। उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय में गुणवत्ता और मात्रा पर जोर होगा। इसमें पारंपरिक कौशल से लेकर भविष्य तक के कौशल प्रशिक्षण के प्रकार के उच्च गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम होंगे। साथ ही, मौजूदा जरूरतों को पूरा करने के लिए मांग के अनुरूप पर्याप्त संख्या में सीटें होंगी।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज उस दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय की शुरुआत हो गई है। आज इसकी पहली बोर्ड बैठक थी। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और बोर्ड मेंबर नियुक्त कर दिए गए हैं। आज मुझे सभी बोर्ड सदस्यों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन सबको मैंने एक ही बात कही। इस इंडस्ट्री की एक ही विचारधारा होगी, इस यूनिवर्सिटी का एक ही उद्देश्य होगा कि इससे निकलने वाले हर एक बच्चे को जो नौकरी चाहता है, उसे नौकरी मिलनी ही चाहिए और जो अपना बिजनेस करना चाहता है, वह कोर्स पूरा करने के बाद तुरंत अपना बिजनेस कर सके। मुझे बहुत खुशी है कि जिन लोगों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई हैं, जो वाइस चांसलर और बोर्ड सदस्य बनाए गए हैं, वो अपने-अपने क्षेत्र के बहुत जाने-माने लोग हैं, उनके पास बहुत लंबा अनुभव है। प्रोफेसर नेहारिका वोहरा इस यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर नियुक्त की गई हैं। प्रो. नेहारिका वोहरा ने आईआईएम अहमदाबाद में काफी समय तक प्रोफेसर का काम किया। इनके पास करीब 20 साल तक पढ़ाने का अनुभव है। प्रो. वोहरा आईआईएम अहमदाबाद के सेंटर फाॅर इनोवोशन इंक्यूवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप की चेयरपर्सन थीं। यूनिवर्सिटी के बोर्ड मेंबर में शामिल डॉ. प्रमथ राज सिन्हा, जिन्होंने अशोका यूनिवर्सिटी समेत दो बड़े इंस्टीट्यूट शुरू किए। बोर्ड मेंबर में प्रमोद भसीन हैं, जिन्होंने जिनपैक 1997 शुरू किया था, उन्होंने अपना एक स्किल सेंटर भी चलाया है। साथ ही वो देश की कई कंपनियों के बोर्ड मेंबर हैं। वो सॉफ्टवेयर की बहुत बड़ी संस्था नैसकाॅम के चेयरमैन रहे और उनको आईटी मैंन आॅफ द इयर अवाॅर्ड मिला है। मेंबर में शामिल संजीव बिकचंदानी नौकरी डॉट कॉम के फाउंडर हैं। मेंबर श्रीकांत शास्त्री, जो कई सारे स्टार्टअप शुरू करा चुके हैं और कई सारे नए-नए इवेंचर्स शुरू करा चुके हैं। प्रोफेसर केके अग्रवाल, जो आईटी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रह चुके हैं और प्रोफेसर जी. श्रीनिवासन बोर्ड मेंबर में शामिल हैं। इस तरह एक-एक व्यक्ति को चुन करके यूनिवर्सिटी का बोर्ड मेंबर बनाया गया है। इन सबके अनुभव के आधार पर हम आज इस विश्वविद्यालय को शुरू कर रहे हैं।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सबसे अहम होगा कि यह विश्वविद्यालय किस तरह से इंडस्ट्री के साथ तालमेल करके कोर्स शुरू करेंगी। नौकरी देने वाली कंपनियां एक तरह से इनका एक कस्टमर हैं। यूनिवर्सिटी जो भी कोर्स डिजाइन करे, इनको पहले कंपनियों को दिखा लेना चाहिए। कंपनियों से पूछें कि अगर हम यह कोर्स पढ़ाएंगे, तो क्या आप नौकरी देंगे। अगर कंपनी कहती है कि हम नौकरी नहीं देंगे, अगर इंडस्टी कहती है कि हम नौकरी नहीं देंगे, अगर बिजनेस वाले कहते हैं कि हम नौकरी नहीं देंगे, इसका मतलब है कि वह कोर्स सही नहीं है। यूनिवर्सिटी के बोर्ड मेंबर को ऐसे कोर्स डिजाइन करने चाहिए, जो छात्रों यूनिवर्सिटी से निकलने के बाद कंपनियां कहें कि हम इसको नौकरी देने के लिए तैयार हैं। जैसा की हमने कोरोना के समय में किया था। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लाॅकडाउन में काफी इंडस्ट्रीज बंद हो गईं, दुकानें और ऑफिस बंद हो गए और लोगों की नौकरियां चली गई। लाॅकडाउन खुला तो एक तरफ बहुत सारे लोग कहते थे कि उनके पास नौकरी नहीं है। दूसरी तरफ बहुत सारे बिजनेसमैन कहते थे कि हमें नौकरी करने वाले नहीं मिल रहे हैं। इसका मतलब की नौकरी देने वाले भी हैं और नौकरी लेने वाले भी हैं, लेकिन दोनों आपस में मिल नहीं पा रहे हैं। इसलिए हमने जाॅब पोर्टल शुरू किया और दोनों को मिलवा दिया और दिल्ली के अंदर जाॅब पोर्टल के जरिए लाखों लोगों को नौकरियां मिलीं। यहां भी यही है। हमारे बहुत सारे युवा ऐसे जिनको नौकरी नहीं मिलती है, घर बैठे हैं और दूसरी तरफ, इंडस्टी वालों से बात करो तो वो कहते हैं कि हमें स्किल्ड लेबर नहीं मिल रही है, प्रशिक्षित कर्मचारियों का अकाल पड़ा हुआ है। अगर हम अपने बच्चों को ट्रेनिंग दे दें, हम अपने बच्चों को कौशल (स्किल) दे दें, तो यह इंडस्ट्री वाले उन्हें नौकरी दे सकते हैं।