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हरियाणा: कृषि भूमि के जलभराव क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए और जिलावार नक्शे तैयार किए जाएं-सीएम मनोहर लाल 

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कृषि भूमि के जलभराव क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए और जिला वार नक्शे तैयार किए जाएं ताकि भारी वर्षा के दौरान जलभराव की समस्याओं से निपटने के लिए सतत योजनाएं बनाई जा सकें। इसके अलावा, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे जलभराव क्षेत्रों के पानी को रिचार्ज करने के साथ-साथ झीलें (सरोवर) तैयार करने के लिए योजना तैयार की जाए ताकि मत्स्य पालन व पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सके। मुख्यमंत्री आज यहां सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि राज्य में 50 से 60 झीलें (सरोवर) होंगी तो जलभराव की समस्या का समाधान हो पाएगा और इस पानी का सदुपयोग होगा। यदि फिर भी जलभराव की समस्या रहती है तो ऐसे पानी की ड्रेनों के माध्यम निकासी की जाए। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जलभराव से संबंधित जिलावार नक्शे तैयार करते समय झीलों को तैयार करने हेतू आंकड़ें भी एकत्रित किए जाएं।         

 बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के जिन 457 गांवों में मानसून-2020 के दौरान पानी की निकासी अस्थाई तौर पर की है उसकी सतत योजना बनाई जाए और इस योजना को डैशबोर्ड पर डाला जाए। राज्य की लगभग 4 लाख एकड़ भूमि को ठीक करने का काम संचालित है और ऐसी भूमि को ठीक करने के लिए एक साल में एक लाख एकड़ का लक्ष्य निर्धारित है। उन्होंने कहा कि सलाईन व एल्कलाईन भूमि पर जिप्सम डालने का कार्य संचालित है, परंतु इसकी सही निगरानी नहीं हो पा रही है, इसलिए संबंधित अधिकारी इसकी पूरी निगरानी व सर्वेक्षण करें ताकि जल्द से जल्द ऐसी भूमि को ठीक किया जा सकें। उन्होंने बताया कि सलाईन जलभराव क्षेत्र में मत्स्य पालन की संभावनाओं को भी तलाशा जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक में हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट प्रबंधन प्राधिकरण के तहत योजनाओं की जानकारी के लिए डैशबोर्ड तैयार करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। इस पर, संबंधित अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि चार तालाबों के कायाकल्प का कार्य अंतिम चरण में है, जिनका उदघाटन जनवरी के प्रथम सप्ताह में हो जाएगा। इसके अलावा, अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि जलभराव क्षेत्रों में 31 मई, 2021 तक 1000 रिचार्जिंग कुएं तैयार कर दिए जाएंगें।         

बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि सिंचाई विभाग ने 60 हजार एकड़ फुट की स्टोरेज की है तथा दक्षिण हरियाणा की कृष्णावती नदी व मसानी नदी में स्टोरेज की क्षमता को बढाया गया हैं। इसके अलावा, लोहारू क्षेत्र में 125 अनुपयोगी कुओं में भी पानी छोड़ा गया और इस प्रक्रिया से आस-पास के कुएं भी चालू हो गए। मुख्यमंत्री को बैठक में अवगत कराया गया कि बरोदा के बनवासा क्षेत्र में जलभराव की समस्या थी जिसके सतत उपाय के लिए प्रयास किए गए और इस प्रयास में काफी सफलता भी मिली है और इस क्षेत्र में अब जलभराव की समस्या काफी कम हो गई तथा अब इस भमि पर कृषि की जा रही है। बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव  डी.एस. ढेसी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव  वी. उमाशंकर, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव  देवेन्द्र सिंह, सीआईडी के एडीजीपी आलोक मित्तल, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ  राकेश चैहान, चीफ इंजीनियर एमएल राणा,  संदीप बिश्नोई,  एसएस कादियान,  नीतिन जैन के अलावा हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट प्रबंधन प्राधिकरण के ईवीसी  प्रभाकर कुमार वर्मा के अलावा विभाग के अधीक्षक अभियंता एवं कार्यकारी अभियंता उपस्थित थे।

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