अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने शुक्रवार को कथित कंपनी मेसर्स साहा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के तीन निदेशकों को निवेशकों से लगभग 20 करोड़ रूपए की ठगी करने के मामले में सेक्टर-30 नॉएडा व फरीदाबाद से गिरफ्तार किया हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपितों के नाम एनिल साहा, अशोक कुमार सिरोही व अनिरबान साहा हैं। इस केस में भारतीय दंड सहिंता की धारा 406 , 420 व 120 बी, थाना आर्थिक अपराध शाखा में केस न. 103 /19,11 जून 2019 में अरेस्ट किया गया हैं। इस के बाद इन सभी आरोपित के खिलाफ एक और मुकदमा न. 137 /20 आर्थिक अपराध शाखा ,दिल्ली में दर्ज किया गया हैं।
पुलिस के मुताबिक आर्थिक अपराध शाखा, दिल्ली की टीम ने एनिल कुमार साहा, निवासी मकान न. जी -22 , सेक्टर -27 , नॉएडा , उत्तरप्रदेश , अशोक कुमार साहा निवासी मकान न. ई -13 , सेक्टर – नॉएडा, उत्तरप्रदेश व अनिर्बान साहा, निवासी मकान न. जी-22 , सेक्टर -27 , नॉएडा उत्तरप्रदेश को मुकदमा न. 103 /19, भारतीय दंड सहिंता की धारा 406, 420, 120 बी में अरेस्ट किया गया हैं। पुलिस की माने तो शिकायतकर्ता सुश्री ममता बेहाल ने आरोप लगाया कि कथित कंपनी के निदेशक होने के नाते आरोपित व्यक्तियों ने उन्हें अपने समूह आवास परियोजना के बारे में गुलाबी तस्वीरें दिखाकर प्रेरित किया और उन्हें 5.44 करोड़ रुपये का चूना लगाया। आरोपित व्यक्तियों ने भारी मुनाफे के बहाने निर्दोष खरीदारों को परियोजना में निवेश करने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा, आरोपित व्यक्तियों ने पीड़ितों को प्रेरित करने के लिए खरीद वापस समझौतों को निष्पादित किया। आरोपित व्यक्तियों द्वारा सुनिश्चित रिटर्न के लिए जारी किए गए चेक,प्रस्तुतीकरण पर अपमानित किए गए। आरोपित व्यक्तियों ने न तो परियोजना पूरी की और न ही बायबैक समझौते के नियमों और शर्तों का पालन किया। इस प्रकार आरोपी व्यक्तियों ने पीड़ितों/खरीदारों को 20 करोड़ रुपये का चूना लगाया। इस शिकायत पर आर्थिक अपराध शाखा, दिल्ली ने एफआईआर नं.103/19, दिनांक 11 जून 19, भारतीय दंड सहिंता की धारा 406/420/120B आईपीसी के तहत दर्ज की गई और प्रारंभिक जांच की शुरुआत की।
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि आरोपित कंपनी के निदेशकों ने शिकायतकर्ता/पीड़ितों को नोएडा में स्थित अपने समूह आवास परियोजना अर्थात् “एएमईडियस” में अपने धन का निवेश करके उच्च रिटर्न के बहाने अपने पैसे के साथ भाग लेने के लिए प्रेरित किया। कथित कंपनी ने उक्त परियोजना के लिए निवेशकों से बुकिंग स्वीकार की और अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को विकसित करने के लिए इन फंडों को डायवर्ट किया। इस कार्यप्रणाली को अपनाकर कथित व्यक्तियों ने शिकायतकर्ता कंपनी के धन को अन्य कंपनियों में बंद कर दिया।कथित कंपनी ने शुरू में निवेशकों को अपना विश्वास हासिल करने के लिए रिटर्न दिया और बाद में भारी पैसा इकट्ठा करने के बाद भुगतान बंद कर दिया। उन्होंने प्रोजेक्ट को भी छोड़ दिया आरोपित व्यक्तियों ने निवेशकों को सूचना दिए बिना जानबूझकर कंपनी के पते का पता बदल दिया। कथित कंपनी के बैंक स्टेटमेंट और कंपनी की बैलेंस शीट के अनुसार यह बात सामने आई है कि कंपनी ने करीब 10 करोड़ रुपये का सामान इकट्ठा किया है। ग्राहकों से एडवांस के रूप में 375 करोड़ रुपये लिए। जिनमें से परियोजना के निर्माण पर होने वाले खर्च पर 85 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया। आरोपी कंपनी द्वारा फंड की विस्तृत जानकारी का सत्यापन किया जा रहा है। आरोपित व्यक्ति जांच की प्रक्रिया से बच रहे थे और जब उनसे बुकिंग राशि का ब्यौरा, एकत्र की गई राशि का अन्य ब्यौरा और दोहरी बिक्री फ्लैटों की इन्वेंट्री का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया तो उन्होंने यह उपलब्ध नहीं कराया। इसलिए तीनों आरोपितों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू सीएमएम पटियाला हाउस कोर्ट की अदालत से उनके दिए गए पतों पर प्राप्त किए गए और आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए गंभीर प्रयास किए गए लेकिन सभी फरार हो गए। संभावित ठिकानों पर जांच की गई है लेकिन आरोपितों के बारे में कोई सुराग नहीं मिला।
कार्यप्रणाली: कथित कंपनी की ओर से आरोपित व्यक्तियों ने उक्त परियोजना के लिए निवेशकों से बुकिंग स्वीकार की और अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को विकसित करने के लिए इन फंडों को डायवर्ट किया।इस कार्यप्रणाली को अपनाकर कथित व्यक्तियों ने शिकायतकर्ता कंपनी के धन को अन्य कंपनियों में बंद कर दिया।कथित कंपनी ने शुरू में निवेशकों को अपना विश्वास हासिल करने के लिए रिटर्न दिया और बाद में भारी पैसा इकट्ठा करने के बाद भुगतान बंद कर दिया ।उन्होंने प्रोजेक्ट को भी छोड़ दिया । आरोपित व्यक्तियों ने निवेशकों को सूचना दिए बिना जानबूझकर कंपनी के पते का पता बदल दिया। आरोपित लोगों को गुप्त सूचना के आधार पर सेक्टर-30, नोएडा व फरीदाबाद से अरेस्ट किया गया।आरोपित लोगों को कोर्ट में पेश किया गया और तीन दिन के पुलिस रिमांड पर हैं। पुलिस टीम में सब इंस्पेक्टर मधुरेंद्र कुमार,सब इंस्पेक्टर शिवदेव सिंह, एचसी मथाई केवी एंड सीटी शामिल हैं। राजपाल को एसीपी नगीन कौशिक, धारा-5/ईओडब्ल्यू और डीसीपी ईओडब्ल्यू की समग्र देखरेख में आरोपित लोगों को पकड़ने के लिए बनाया गया था।