अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सब लोगों को मेरा नमस्कार और आप देख रहे हैं कि हम लोग इस रूम में आकर सिलेंडर पर बैठे हैं क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि आने वाले वक्त में और आज भी इन सिलेंडर का यही इस्तेमाल है। इसमे गैस भराने की तो हम लोगों की, आम लोगों की हैसियत अब है नहीं, जिस तरह से गैस के दाम बढ़ रहे हैं आज फिर 25 रुपए बढ़ गए हैं और अगली बार शायद जब हम प्रेस कांफ्रेंस करेंगे, तो आप पत्रकार बंधुओं के लिए भी हम लोग ये लगवा देंगे और थोड़ी सहूलियत के लिए इसमें गद्दी लगवा देंगे, जिससे आप थोड़ा कम्फर्टेबली बैठ सकें। मैंने तो सोचा है अपने घर में इसको ड्राइंग रुम में रख दूं क्योंकि इसका यही यूज हो पाएगा। तो एक ये सांकेतिक है, इसको आप हमारा विरोध मानिए, इसको आप मानिए कि हमारा प्रोटैस्ट है, लेकिन असल सिलेंडर का आज हिंदुस्तान में यही इस्तेमाल है। जो बड़ी बड़ी बातें करते थे, उनकी गलत नीतियों के कारण आम व गरीब लोग आज फिर से चूल्हा फूंकने पर मजबूर है, लकड़ी जला रहे हैं, कंडा जला रहे हैं और उसी तरह से औरतें खाना बना रही हैं, क्योंकि मुझे ऐसा लग रहा है कि दंभ और अहंकार में चूर मोदी सरकार ये भूल चुकी है कि आम आदमी पर क्या बीत रही है।
हम लोगों के इलाके में एक पेड़ होता है, बिहार और यूपी से आप लोग, जो होंगे, शायद पता हो, उसको थेथ्थर का पेड़ कहते हैं। रात में काट दीजिए तो सबेरे निकल जाता है। जो थेथ्थरई और जो बेशर्मी मोदी सरकार दिखा रही है उसकी जितनी निंदा की जाए कम है। पेट्रोल सौ के पार है, डीजल में उछाल है, रसोई गैस का सिलेंडर फिर 25 रुपए बढ़ा दिया गया है तो दिसम्बर से अभी तक 200 रुपए बढ़कर 794 रुपए पर रसोई गैस का सिलेंडर आ चुका है। कितने लोग हिंदुस्तान में है, जो 794 रुपए का ये सिलेंडर भरा सकते हैं। अभी मैं दो मिनट में सरकार के आडंबर औऱ पाखंड का भी पर्दाफाश करूंगी क्योंकि सब्सिडी मिल ही नहीं रही है। तो जब इस तरह से दाम बढ़ रहे थे और हम लोग बार-बार सरकार के सामने इस बात को प्रस्तुत कर रहे थे औऱ आगे ला रहे थे तो हमें लग रहा था कि सरकार थोड़ी संवेदनशीलता दिखाएगी, जो राजधर्म है, वो निभाएगी, लेकिन सरकार ने सिर्फ थेथ्थरई दिखाई है औऱ सरकार ने कहीं न कहीं रामधारी सिंह दिनकर की एक लाइन है और कृष्ण की चेतावनी में उन्होंने एक लाइन दी है कि “जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है”। आप उसको विवेक कहिए, आप उसको राजधर्म निभाना कहिए, उसको संवेदनशीलता कहिए जिस नाम से आप मर्जी पुकारिए इस सरकार की नैतिकता खत्म हो चुकी है। अगर थोड़ी नैतिकता होती तो शायद ये लोगों को थोड़ी राहत देते। शायद पेट्रोल के दाम कम करते। मोदी जी अपने नाम पर स्टेडियम तो रख लेते हैं और उस पर बड़ा बवाल मचना भी चाहिए था, सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम हटाकर अपना नाम रख लेना, लेकिन सच तो ये है कि मोदी जी ने शतक लगाया है तो शायद वो डिजर्व भी करते हैं, ये अलग बात है कि शतक उन्होंने क्रिकेट की पिच पर नहीं, पेट्रोल के दामों पर लगा दिया है। खैर, अभी एलपीजी सिलेंडर की बात करते हैं।
देश में 28 करोड़ से ज्यादा एलपीजी उपभोक्ता हैं। 28 करोड़ लोग एलपीजी सिलेंडरों को खरीदते हैं, हम सब लोग मिडिल क्लास लोग हैं। हम में से कितने लोग एक या दो सिलेंडर महीने का अफॉर्ड कर सकते हैं ये सोचने वाली बात होगी।अब मैं बताती हूँ सरकार का जो आडंबर औऱ जो झूठ है। कल ही पेट्रोलियम मिनिस्टर औऱ इनके मंत्री भी बडे अद्भुत हैं। इनके मंत्री मुद्दे की बातें नही करते हैं। बाल और महिला विकास मंत्रालय की जो मंत्री हैं, उन को सिर्फ राहुल गांधी जी नजर आते हैं, उनको महिला का विकास, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार कभी भी नहीं दिखता, उसके बारे में वो कभी भी बात नहीं करती हैं, उस पर बिल्कुल दही मुंह में जम जाता है।धर्मेन्द्र प्रधान जी सारी बातें करेंगे, ट्विट्टर पर और फेसबुक पर टाइम जाया करेंगे और झूठ बोलते हैं, जब टीवी चैनलों पर आते हैं, कि नहीं-नहीं दामों में हम क्या कर सकते हैं। आप बहुत कुछ कर सकते हैं। आपने एक्साइज बढ़ाया। आप कहते हैं सब्सिडी है, सब्सिडी बिल्कुल नहीं है और इसका साक्ष्य और प्रमाण ये है और ये छोटी सी टैक्निकल सी बात है एक मार्केट प्राइस होता है, एक कंट्रोल्ड प्राइस होता है। कंट्रोल्ड प्राइस जो होता है, वो सरकारें साल दर साल एक ही चलता जाता है, मार्केट प्राइस और कंट्रोल्ड प्राइस के अंतर पर ही सब्सिडी मिलती है। तो मान लीजिए आज मार्केट प्राइस 794 है, और कंट्रोल्ड प्राइस मान लीजिए 600 है तो 194 रुपए की सब्सिडी आपको मिलेगी लेकिन इस सरकार ने मार्केट प्राइस और कंट्रोल्ड प्राइस को एक ही कर दिया है, 794 रुपए जो 25 रुपए अभी बढ़े हैं, जो 50 रुपए पहले बढ़े थे, जो 100 रुपए बढ़े थे, जो 25 रुपए बढ़े थे दिसम्बर से लेकर अभी तक, फरवरी में ही 50 रुपए, 25 रुपए और अब फिर से 25 रुपए, 100 रुपए बढ़ाए हैं, जो ये बढ़े हैं, ये कंट्रोल्ड और मार्केट प्राइस एक हो चुका है। तो क्योंकि वो एक हो चुका है, सब्सिडी शून्य है। तो ये लोग सबसे पहले तो झूठ बोलना बंद करें। इनका जो कंट्रोल्ड प्राइस है औऱ मार्केट प्राइस एक है इसलिए लोगों को सब्सिडी नहीं मिल रही है पहली बात और इसका साक्ष्य, ‘प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्’ कहा गया है,कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या जरुरत है? इसका साक्ष्य इस साल का बजट है,38 हजार करोड़ की फ्यूल सब्सिडी को घटाकर 12 हजार करोड़ इस साल के बजट मे कर दिया गया है। दो तिहाई कर इसलिए घटा दिया गया है क्योंकि सरकार ने मन बना लिया है कि आपकी जेबों पर डाका डाला जाएगा, आपकी रसोई गैस में उछाल होगी, आपके चूल्हें में आग लगेगी, लेकिन सरकार अपना मोटा रोकड़ा कमाती जाएगी। कोई और भी सरकार होती तो आज मैं कहती हूँ औऱ दावे के साथ कहती हूँ, वो जनता की सुनवाई करती। आपने 21-22 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं, 12 बार एक्साइज बढ़ाकर, फिर भी आप एक्साइज नहीं घटा रहे।
इनके दूसरे झूठ का मैं पर्दाफाश करती हूँ। निर्मला सीतारमण जी से मैं एक बात पर खुश हूं कि जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने चलिए ये तो नही कह दिया कि मैं लहसून- प्याज की तरह पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल नहीं करती हूँ, उन्होंने एक बड़ा अंग्रेजी का टर्म इस्तेमाल किया, it is a very vexatious issue, no madam, it is not a vexatious issue.ये परेशान करने वाला मुद्दा सिर्फ आपके लिए हैं और इसलिए है क्योंकि आपकी नीति और नीयत दोनों में खोट है। आप पेट्रोल-डीजल-एलपीजी का ठीकरा राज्य सरकारों पर मत फोड़िए क्योंकि आप अन्याय कर रहे हैं। 7 लाख करोड़ राज्य सरकारों का आपके पास बकाया है। 12 बार एक्साइज आपने बढ़ाई है। एक्साइज के तीन कंपोनेंट होते हैं,बेसिक एक्साइज, स्पेशल एक्साइज औऱ एडिशनल एक्साइज। बेसिक एक्साइज आप राज्यों के साथ साझा करते हैं एडिशनल और स्पेशल एक्साइज केन्द्र सरकार सारी की सारी अपने लिए रखती है। इस सरकार ने बेसिक एक्साइज लगातार घटाया है, स्पेशल औऱ एडिशनल लगातार बढ़ाया है, इसके बावजूद हमारी सरकारों ने जैसे राजस्थान ने दो प्रतिशत वैट कम किया, जिससे उन्हें एक हजार करोड़ की चपत ली, संवेदनशील सरकारें यही करती हैं। हम आशा कर रहे थे कि इस महीने थोड़ी संवेदना मोदी सरकार दिखाएगी लेकिन ऐसी कोई संवेदना की उम्मीद करना मुझे लगता है कि गलत है औऱ मैं फिर रिपीट करूंगी, विनाशकाले विपरीत बुद्धि। जब विनाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। तो हम इसकी जितनी भर्त्सना करें, जितनी निंदा करें, वो कम है। मैं फिर से एक सवाल पूछना चाहती हूँ उन सब महिला नेत्रिंयों से, आप दौड़-दौड़कर, लपक-लपककर सिलेंडरों के साथ सड़कों पर बैठती थीं, आप प्रतीक बन गई थी उस समय सिलेंडर, एलपीजी, पेट्रोल-डीजल में जो दाम बढ़ते थे, उसका। आज आप क्यों चुप हैं, क्यों आपके मुंह में दही जमा हुआ है? क्या सत्ता का सुख इतना बड़ा होता है कि आपको आम लोगों की दिक्कतें नहीं दिखती हैं। मैं एक सवाल जरुर इस सरकार से, जरुर धर्मेन्द्र प्रधान जी से और मोदी जी से पूछना चाहती हूँ कि आप ही का ये किया हुआ है और आप पिछली सरकारों को ब्लेम करते हैं। आपको झूठ बोलने में भी लाज नहीं आती। मोदी जी आजकल अपनी नई वेशभूषा में खड़े होकर कहते हैं क्योंकि पिछली सरकारों ने इंपोर्ट इतना बढ़ा दिया था, हम कुछ नहीं कर पाए। अब उसका भी सच सुन लीजिए, पिछली सरकारें, मतलब हमारे समय में, 2014 में कुल खपत, टोटल कंजम्पशन का 83 प्रतिशत मतलब 83 प्रतिशत इंपोर्ट होता था, मोदी सरकार में 88 प्रतिशत इंपोर्ट हो रहा है, मतलब मोदी जी की नाक के नीचे क्रूड ऑयल का इंपोर्ट बढ़ गया है, आपने कच्चे तेल आयात पर हमारी निर्भरता बढ़ा दी है, पहला प्वाइंट।
दूसरा प्वाइंट और इसको जरुर आप सुनिएगा गौर से क्योंकि ये इंपोर्टैंट प्वाइंट है, ये इसलिए नहीं ज्यादा बढ़ाया गया क्योंकि हम औऱ आप ईंधन इस्तेमाल कर रहे हैं, इकॉनमिक मंदी के चलते, अर्थव्यवस्था को ठप्प करने के चलते, हमारा कंजम्पशन तो घट गया है। ऑयल कंजम्पशन का ग्रोथ रेट हमारे समय पर लगभग 7 प्रतिशत था, अब वो महज 2 प्रतिशत है। 6.7 प्रतिशत हमारे समय पर था, 2.2 प्रतिशत इनके समय पर है, तो खपत घट गई है, उसके बाद भी इंपोर्ट क्यों बढ़ रहा है, क्योंकि हमारी ऑयल प्रोड्यूसिंग कंपनी, जैसे कि ONGC हो, ऑयल इंडिया हो, ये कम ऑय़ल प्रोड्यूस कर रही है, और ये कम ऑयल क्यों प्रोड्यूस कर रही हैं, इसमें भी बहुत बड़ा षड़यंत्र है, ये कम ऑयल इसलिए प्रोड्यूस कर रही हैं, क्योंकि इस सरकार ने इनके खजाने पर डाका डाला है। ओएनजीसी का 2014 में एक्सप्लोरेशन का बजट, जब ऑयल एक्सप्लोर होगा, तभी ऑयल मिलेगा, ऑयल एक्सप्लोरेशन का बजट लगभग 12 हजार करोड़ रुपए होता था, 2020 में वो आधा हो गया है, 6 हजार करोड़ रुपए हो गया है, तो वो कम एक्सप्लोर करेंगे, कम ढूंढेंगे, और कम ऑयल निकालेंगे ये इसी सरकार में मोदी जी की नाक के नीचे हो रहा है। ओएनजीसी के कैश रिजर्व लगभग 12 हजार करोड़ रुपए होते थे, आज वो कैश रिजर्व 1 हजार करोड़ रुपए से कम हो गए, 91 प्रतिशत की गिरावट हो गई है, क्यों- क्योंकि इस सरकार ने एचपीसीएल जबरन खरीदवाया ओएनजीसी से अपने डायवस्टमेंट फिगर पूरे करने के लिए, तो दूसरों पर जब आप ऊंगली उठाते हैं न मोदी जी, तो चार उंगलियाँ आपकी तरफ उठती हैं। आप ये भूल जाते हैं कि आप ही की नाक के नीचे आपने इंपोर्ट बढ़ाया, हमारी निर्भरता बढ़ाई। आप ही की नाक के नीचे खपत घटी क्योंकि आपने इकॉनमी का तो मटिया मेट कर दिया है, आप ही की नाक के नीचे हमारी ऑयल प्रोड्यूसिंग कंपनीज कम ऑयल प्रोड्यूस कर रही हैं क्योंकि आपने उनके खजानों के ऊपर डाका डाला हुआ है, तो कुछ बातों का जवाब तो आपको देना पड़ेगा। पहला जवाब आपको देना पड़ेगा कि आप इतने निष्ठुर और निर्दयी क्यों हैं? आप क्यों रसोई गैस के दामों में जबरदस्त उछाल ला रहे हैं? आपने किस नैतिकता से आज 25 रुपए दाम बढ़ा दिया? आपने शतक लगा दिया पेट्रोल पर, बड़ा कीर्तिमान आपने स्थापित किया। कब आप एक्साइज घटाइएगा। आप क्यों लगातार झूठ बोलते हैं कि राज्य सरकारें कम कर सकती हैं? राज्य सरकारों के पास राजस्व नहीं है। कम अगर कोई कर सकता है तो वो केन्द्र सरकार कर सकती है। आप कम क्यों नही कर रहे हैं? और हमारा अंतिम सवाल इस सरकार से ये है, आप लगातार एलपीजी पर लगी हुई सब्सिडी पर झूठ क्यों बोलते हैं? सच तो ये है कि आपने मार्केट प्राइस और कंट्रोल्ड प्राइस को एक कर दिया है, सब्सिजी की गुंजाइश ही नहीं रह गई है,लेकिन आप लगातार झूठ बोलते हैं, तो इतना अनैतिक, इतना भ्रमित करने वाला काम आप क्यों करते हैं, ये सवाल आज देश जानना चाहता है।