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कांग्रेस नेत्री अलका लम्बा ने आज उत्तराखंड के नव नियुक्त सीएम के शर्मनाक ब्यान को लेकर, किया पलटवार -देखें वीडियो

अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
श्रीमती अलका लांबा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसा कि आप सभी को ज्ञात है कि पूरे देश में एक बयान को लेकर, सोचा-समझा बयान जो महिलाओं के ऊपर दिया गया है, उनके कपड़ों पर दिया गया है, उस पर एक बवाल खड़ा हो चुका है। पूरे देश की महिला शक्ति आक्रोशित है। आप देखेंगे सोशल मीडिया, मीडिया के माध्यम से वो इस सोच के प्रति अपनी आवाज उठा रही हैं। ये सोच किसी और की नहीं,भाजपा के उत्तराखंड के नव नियुक्त, जिन्होंने अभी-अभी हाल ही में संविधान की शपथ लेते हुए संवैधानिक पद, मुख्यमंत्री के पद को ग्रहण किया है, तीरथ सिंह रावत जी का बयान है।
ये पहली बार नहीं है, याद दिलाना चाहते हैं। बयानों की एक लड़ी है पूरी की पूरी। एक होता है कि अचानक एक शब्द आपसे निकल गया। उसकी शायद माफी हो सकती है कि अचानक गलती से एक शब्द निकला, लेकिन ये शब्द नहीं बयान है। सोचा-समझा बयान है, जो संघ, भाजपा और संवैधानिक पदों पर बैठे उनके नेताओं की सोच को दर्शाता है। सबसे पहले शुरुआत करुंगी देश के प्रधानमंत्री,नरेन्द्र मोदी से अगर शुरु करुं तो कोई भूल नहीं सकता। आज तक उसकी चर्चा है, जब उन्होंने, हमारे बीच में नहीं रही, सुनंदा पुष्कर जी के लिए कहा था, ”वाह क्या गर्लफ्रेंड है”, 50 करोड़ की ये गर्लफ्रेंड है”। आप समझ रहे हैं, वहाँ से ये लड़ाई शुरु हुई। लेकिन वो बयान थम सकता था, जब अपने ही बयान पर उसी समय माफी मांग ली होती। अपनी सोच पर पछतावा होता। उसे कभी ना दोहराने की बात करते, पर ऐसा नहीं हुआ। जिसका नतीजा ये हुआ। दूसरा बयान संघ प्रमुख, मोहन भागवत जी का, महिलाओं को तो सिर्फ गृहणियां होना चाहिए….; 21वीं सदी के भारत में हैं हम। महिलाएं अंतरिक्ष की ऊंचाईयों से लेकर, रेल, ट्रेन, सरहद पर सेना में, डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक बनकर इस देश की नींव को मजबूत करती हैं।

वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत जी का बयान आता है – “महिलाओं को तो सिर्फ गृहणी होना चाहिए और पुरुषों का काम है, महिलाओं की निगरानी करना और उनका पालन-पोषण करना”। ये मोहन भागवत जी की सोच है, संघ की सोच है महिलाओं के प्रति।

तीसरे नंबर पर हरियाणा के अभी के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी का बयान –

“अगर आजादी चाहिए, जो महिलाएं आजादी की बात करती हैं, वो आजादी जो देश के संविधान ने देश की आधी आबादी महिलाओं को दी है। मनोहर लाल खट्टर जी भाजपा के हरियाणा के मुख्यमंत्री कहते हैं कि ‘अगर आजादी चाहिए तो कपड़े खोलकर, निर्वस्त्र होकर घूमिए”। आपसे आजादी मांगेगे, तो आपकी नजर में आजादी का मतलब है, कपड़े उतार देना और तब आप घूमिए और वो आजादी है उनकी नजर में। अब आते हैं, उत्तर प्रदेश के भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी पर। उनका बयान सुनिएगा – “महिलाओं को आजाद और स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता है”। इनकी बपौती हैं। इनकी गुलाम हैं। इनकी सोच सिर्फ ये है कि महिला को मात्र गृहणी होना चाहिए। पती की सेवा करनी चाहिए और एक मशीन की तरह जब चाहें बच्चे पैदा करने चाहिएं। चारदीवारी के अंदर बेड़ियां डालकर उन्हें गुलाम बनाकर, आप उनका पूरी तरह से अस्तित्व मिटाना चाहते हैं। ये बयान 21वीं सदी के हैं। ये वो भारत है, जब किसी ने कभी पहली प्रधानमंत्री महिला सोचा नहीं होगा, इस भारत ने पहली महिला प्रधानमंत्री दे दी। ये वो भारत है, जब कितने देशों में महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं था, यहाँ पर महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया था। आज ये कुंठित सोच और मानसिकता।
अब मैं आ रही हूं, जिस बयान पर बवाल है। वो बयान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी का, शर्मनाक है। कान पकड़ कर पूरे देश की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए। उठक-बैठक लगाते हुए माफी मांग लीजिए। शायद महिलाएं आपको माफ कर दें। अगर ऐसा नहीं करते, तो देश के प्रधानमंत्री जी और भाजपा के अध्यक्ष से मांग करते हैं, तुरंत इन्हें इनके पद से हटाया जाए। नहीं तो ये जो बवाल है, ये थमने वाला नहीं है। हमें मालूम है कि पिछले जो मैंने आपको बताए हैं बयान, मोहन भागवत जी से लेकर, योगी आदित्यनाथ, मनोहर लाल खट्टर, बाबूलाल गौर रहे नहीं, उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया है कि कुछ रेप ठीक होते हैं, कुछ बलात्कार के मामलों में महिलाएं दोषी होती हैं, उनका पहनावा दोषी होता है। आज इनका ये कहना है और दुखद है। तीरथ सिंह रावत जी बेटी के पिता हैं। मनोहर लाल खट्टर कह गए, योगी आदित्यनाथ कह गए, मोहन भागवत कह गए, समझ आता है बेऔलाद हैं, कम से कम बेटी के बाप नहीं है, इसलिए बेटियों के प्रति इस तरह की कुंठित मानसिकता,ओछी सोच, उनकी आजादी पर पहरा, उनकी तरफ से सोचा जा सकता था। लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री एक पिता हैं और बेटी के पिता हैं और ये सोच का कारण ये है कि आधे देश में जो बलात्कार की महिलाओं के साथ अत्याचार, उत्पीड़न के जो मामले लगातार बढ़ रहे हैं, उसके पीछे संवैधानिक पदों पर बैठे हुए ये नेता, इनकी सोच और इनकी मानसिकता है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस तरह की महिलाओं के प्रति सोच की कड़ी निंदा करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग करते हैं कि आप मुख्यमंत्री से कहिए अपने उत्तराखंड के, तुरंत माफी मांगे। अगर आप ऐसा नहीं करते, तो आपको इन्हें बदलना होगा। वरना ये आंदोलन मैं कहकर जा रही हूं, ये मैं नहीं, देश की आधी आबादी जो महिला शक्ति है, सोशल मीडिया के माध्यम से अपना रोष, अपना गुस्सा जाहिर कर रही है और वो अब बैठने वाली नहीं है क्योंकि अति हो चुकी है। अब वो सड़कों पर निकलेगी, आंदोलित होगी और भाजपा के एक-एक नेता को जो है, वो बेनकाब करेगी। ये हमारी बेटियों के कपड़ों की बात करते हैं, तीरथ सिंह रावत जी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड। कहते हैं “जो लड़कियां फटी जींस पहनती हैं, वो संस्कारी नहीं हो सकती हैं । उनके आगे आने वाले बच्चे और पीढ़ी संस्कारी नहीं होगी”। अरे, आप मुख्यमंत्री हैं, आपके चार साल पूरे हुए सरकार के मुख्यमंत्री को आपको हटाना पड़ा। आपको जिम्मेदारी दी इसलिए कि जो भ्रष्टाचार के तहत उत्तराखंड के लोगों ने उन्हें हटाने पर भाजपा को मजबूर किया, आप उस भ्रष्टाचार से लडेंगे। आप वो जो विकास उत्तराखंड का रुक चुका है, आप उसकी बात करेंगे। आप महंगाई की बात करेंगे। आप बेटियों की सुरक्षा की बात करेंगे, लेकिन ये नव नियुक्त संविधान की शपथ लिए हुए, संवैधानिक पद पर बैठे हुए मुख्यमंत्री ने बड़ी बेशर्मी से मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहला हमला अगर किसी पर किया है, तो वो उत्तराखंड की बेटियों के चरित्र पर, संस्कार पर नहीं, तीन पीढियों पर किया है। जो बेटी अगर जींस पहन रही है, उसके संस्कार नहीं है, तो ऊंगली उठाई जा रही है, उनके माता-पिता पर कि मां-बाप ने उस बेटी को संस्कार नहीं दिए, उसके कपड़े ऐसे हैं। और उसकी आने वाली पीढ़ी जो है, जिसका अभी पता नहीं है, पैदा नहीं हुई, उसके संस्कारों तक की चिंता हो गई कि जिसकी बेटी मां बनेगी तो कैसी मां बनेगी, कैसे संस्कार। ये संस्कारों का ठेका संघ, भाजपा ने महिलाओं को ही क्यों दिया हुआ है? बच्चों को पैदा करना, पालन-पोषण करना, संस्कार देना, बड़ा करना, ये जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर क्यों आती है, पुरुषों की जिम्मेदारी नहीं है? तो ये सवाल आज देश में खड़ा हुआ है। हम पूरी उम्मीद करते हैं कि देश की महिलाओं का जो रोष है, गुस्सा है, महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के पीछे ये सोच, ये मानसिकता कारण है। देश के प्रधानमंत्री जी पार्लियामेंट, संसद का सत्र चल रहा है। उम्मीद की जाती है देश की महिला बाल विकास मंत्री, स्मृति ईरानी जी पार्लियामेंट में बोल रही थी। उम्मीद लगाकर बैठे थे कि अपने भाषण के अंत में उत्तराखंड के अपने ही मुख्यमंत्री के इस बयान की कड़ी निंदा करेंगी, उस पर बयान देंगी। लेकिन उन्नाव, हाथरस की तरह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के इस बयान के बावजूद भी वो इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाई कि जिस तरह का अपमान, छोटी, नीच मानसिकता का प्रदर्शन, भोंडा प्रदर्शन कर रहे हैं, उस पर एक बयान दे दें। ये शर्मनाक हैं कि आज भी स्मृति ईरानी जी खामोश रह गई। आज तो उम्मीद थी। यहाँ पर साफ चेतावनी देकर जा रहे हैं, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूरी तरह से देश की मातृ शक्ति हमारे देश की बेटियां, संविधान ने जो उन्हें खाने-पीने, पहनने की आजादी दी है, उसमें कतई भी, किसी भी तरह का हस्तक्षेप या उसके ऊपर इस तरह के बयानबाजी के खिलाफ पूरी कांग्रेस सड़कों पर आधी आबादी के हक, अधिकारों के लिए आंदोलित रहेगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री माफी मांगे, नहीं तो उन्हें पद से तुरंत इस्तीफा देकर हटने को कहें।

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