अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 2023 तक यमुना को साफ करने के सपने को पूरा करने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने 13 सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) को नोटिस जारी किया है। पर्यावरण को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए 12.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। डीपीसीसी द्वारा तमाम निर्देश दिए जाने के बाद भी सीईटीपी को तय मानकों के मुताबिक नहीं पाया गया। दिल्ली सरकार ने जांच में पाया है कि सीईटीपी ठीक से काम नहीं करते हैं। जिसकी वजह से यमुना बड़े पैमाने पर प्रदूषित हो रही है। सीएम अरविंद केजरीवाल के निर्देशन में दिल्ली सरकार 2023 तक यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 2023 तक यमुना को स्वच्छ बनाने के सपने को साकार करने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के लिए कई उपाय किए हैं और युद्ध स्तर पर कार्य जारी है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने पाया कि दिल्ली के 13 सीईटीपी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं जो कि यमुना में बड़े पैमाने पर प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। डीपीसीसी प्रयोगशालाओं की मासिक विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर सीईटीपी के ऊपर 12.05 करोड़ रूपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तौर पर देने का नोटिस जारी किया है। उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल को शोधित करने में सीईटीपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए निर्धारित मानकों को पालन किया जाना चाहिए। डीपीसीसी की तरफ से सीईटीपी को बार-बार दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया है, इसके कारण कड़ी कार्रवाई की गई है। इसके अलावा भविष्य में भी सीईटीपी के ऊपर नजर रखेंगे। दिल्ली में 212.3 एमएलडी की क्षमता के 13 सीईटीपी चालू हैं। वजीरपुर, मायापुरी, बवाना, नरेला, एसएमए, जीटीके, ओखला, मंगोलपुरी, नांगलोई, बादली, झिलमिल, लॉरेंस रोड और नारायणा में 13 सीईटीपी का निर्माण 17 औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को शोधित करने के लिए किया गया है।
इनमें से 11 सीईटीपी का संचालन संबंधित सोसायटी द्वारा किया जा रहा है। नरेला और बवाना सीईटीपी का संचालन पीएनसी दिल्ली और बवाना इंफ्रा डेवलपमेंट की ओर से किया जा रहा है। इन्हें डीएसआईआईडीसी की ओर से लगाया गया है। दिल्ली सीईटीपी अधिनियम 2000 के अनुसार दिल्ली में सीईटीपी की जांच और नियमों को लागू कराने की जिम्मेदारी उद्योग आयुक्त के पास है। सीईटीपी नियमों के अनुसार दिल्ली में इनके संचालन और रखरखाव के लिए सीईटीपी सोसायटी का गठन किया गया है। ये सीईटीपी सोसाइटी इनके संचालन और रखरखाव के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। इसके अलावा सीईटीपी नियमों के अनुसार औद्योगिक इकाइयों से शुल्क एकत्रित करने की जिम्मेदारी है। पर्यावरण से जुड़े कानूनों का पालन कराना भी सीईटीपी सोसायटी की जिम्मेदारी है। सीईटीपी को अपग्रेड कराने की जिम्मेदारी भी सीईटीपी सोसायटी के पास है। डीपीसीसी की विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक बार-बार निर्देश दिए जाने के बाद भी निर्धारित एफिलिएंट मानकों का सीईटीपी ने अनुपालन नहीं किया। इसके बाद 05 अप्रैल 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी किए गया। डीपीसीसी प्रयोगशाला की रिपोर्ट का फरवरी 2020 के बाद से मासिक विश्लेषण किया गया। जिसके आधार पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए 12.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।