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फरीदाबाद स्वास्थ्य

फरीदाबाद: आईएमए के डॉक्टर आगामी 18 जून को अपने हॉस्पिटलों में ओपीडी सेवाएं बंद रखेंगें और काला दिवस मनाएंगे।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद:आज नेशनल और स्टेट आईएमए के आह्वान पर फरीदाबाद आईएमए के डॉक्टर आगामी 18 जून को सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर के 2 बजे तक अपनी ओपीडी पूरी तरह से बंद रखेंगे और काली पट्टी बांध कर काला दिवस मनाएंगे। इस लिए उनकी आम लोगों से अपील हैं कि आगामी 18 जून को अपने घर से हॉस्पिटल के लिए बिल्कुल ना निकले। इसके लिए उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ेगीं। इस दिन 18 जून को हॉस्पिटलों में सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी। ये ऐलान आज आईएमए जिला फरीदाबाद की प्रधान डा. पुनिता हसीजा ने एक होटल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में किए हैं। 

डा. पुनिता हसीजा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले काफी समय से डॉक्टरों के ऊपर हमले होते रहे हैं और आईएमए द्वारा लगातार मांग की जाती रही है कि डॉक्टर को सुरक्षा प्रदान की जाए,लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है । वह लोग चाहते हैं कि केंद्र सरकार इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानून बनाए पर आईएमए की बातों को केंद्र सरकार के द्वारा बार -बार अनदेखी की जा रही हैं। इस लिए आईएमए के डॉक्टरों को सड़कों पर उत्तर कर प्रदर्शन करना पड़ रहा हैं। उनका ये भी कहना हैं कि हरियाणा सरकार ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए हुए हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं हैं, नाही इस कानून के बारे फरीदाबाद पुलिस को ज्ञान हैं। जब किसी भी डॉक्टरों पर हमला किया जाता हैं और उनके हॉस्पिटलों में तोड़फोड़ की जाती हैं और पुलिस मौके पर पहुंचती हैं, तो शरारती तत्वों से पूछताछ करने के बजाए सबसे पहले पुलिस डॉक्टरों से ही पूछताछ करती हैं। जो एक टॉर्चर के सामान हैं। उनका कहना हैं कि जब भी वह लोग पुलिस को ये कहते हैं कि हरियाणा में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सरकार बनाई हुई। थाने के एसएचओ ये कह देते हैं कि इस एक्ट के बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं हैं। जब तक वो लोग एक्ट के बारे थाने के  एसएचओ को बतातें हैं और उन्हें समझ में आता हैं तब तक काफी वक़्त निकल जाता हैं। उनका कहना हैं कि कोरोना महामारी के दौरान भी जब डॉक्टरों के ऊपर हमले हुए तो उस समय केंद्रीय सरकार ने केवल कानून में थोड़ा सा बदलाव कर दिया जो सिर्फ महामारी के दौरान ही लागू रहेगा। हमारी यह मांग है कि एक केंद्रीय कानून बनाया जाना चाहिए जिसमें मरीज के तीमारदारों द्वारा डॉक्टर पर हमला किए जाने पर तुरंत केस दर्ज किया जाए । सभी डॉक्टरों के प्रतिष्ठानों को सुरक्षित स्थान घोषित किया जाए। डॉक्टरों की सुरक्षा के मानक तय किए जाएं। डॉक्टरों के ऊपर किए गए हमलों के केसों की जांच फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा कराई जाए। डॉ. सुरेश अरोड़ा का कहना हैं कि कुछ प्रदेशों में मेडिकेयर कानून लागू है लेकिन हम चाहते हैं कि एक केंद्रीय कानून बनाकर इसको लगाया जाना चाहिए ताकि यह कानून आईपीसी की धारा के अंदर आ जाए जिससे कि सभी डॉक्टर भयमुक्त होकर मरीजों का इलाज कर सकें। डॉ. पुनीता हसीजा ने बताया कि 18 जून को पूरे देश में अपनी मांगों को मनवाने के लिए प्रोटेस्ट डे का आयोजन किया जा रहा है और 15 जून को डिमांड डे के रूप में मनाया जा रहा है जिस दिन जगह-जगह प्रेसकॉन्फ्रेंस की जा रही है,और मीडिया को सूचित किया जा रहा है कि हमारी मांगे क्या है। इस दौरान सभी डॉक्टर काली पट्टी पहनेंगे। कोरोना नियमों को ध्यान में रखते हुए जगह-जगह छोटे-छोटे प्रदर्शन किए जाएंगे। अलग-अलग शहरों में लोगों से मिला जाएगा ,वहां अपनी समस्याओं के बारे में बताया जाएगा। लोकल लीडर से मिलकर उन्हें भी इसके बारे में अवगत कराया जाएगा। आगामी 18 जून को एक मेमोरेंडम डीसी साहब को दिया जाएगा। 

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