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फरीदाबाद

फरीदाबाद: खोरी गांव में सर्वे के नाम पर मजदूर परिवारों के साथ मजाक- मजदूर आवास संघर्ष समिति

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद: अरावली की पहाड़ियों में बसा खोरी गांव, जहाँ लगभग 1 लाख मजदूर जनता रहती हैं। लेकिन लगातार यहाँ की मजदूर जनता भय के साए  में जी रही हैं ! अपने घर को बचाने के लिए मजदूर परिवारों ने 30 तारीख को खोरी गांव के अम्बेडकर पार्क में मजदूर पंचायत का आयोजन किया था। लेकिन वहाँ जब जनता एकजुट हुई तो उनके ऊपर लाठी चार्ज किया जिसमे पुरुष पुलिस ने बर्बर लाठी चार्ज किया जिसके कारण कई महिलाएं बुरी तरह घायल हो गई । पुलिस ने 7 छात्र एवं मजदूरो को गिरफ्तार किया और उन्हें देर रात 11 बजे जाकर ज़मानत पर रिहा किया। आज खोरी गाँव में दशहत और डर का माहौल बना हुआ है । पुलिस रात को आती हैं और गाँव के नौजवानों को उठा ले जाती हैं। पुलिस प्रशासन मजदूरों के साथ भद्दा मजाक सा करती नजर आ रही है।

पिछले लगातार दो दिनों  से फरीदाबाद पुलिस प्रशासन द्वारा खोरी गांव में जाकर सर्वे के नाम पर लोगों से संपर्क करती हैं लेकिन हर दहलीज पर खड़ी हुई महिलाएं अपना दरवाजा बंद कर लेती है। डर और खौफ में जी रहे खोरी के निवासी पुलिस की वर्दी से इतने भयभीत हैं कि अपनी जानकारी ठीक प्रकार से पुलिस के साथ साझा भी नहीं कर पा रहे हैं।  जबकि पुलिस लोगो से जबरदस्ती जानकारी उगलवाने के लिए कई हथकंडे अपना रही है। इस जानकारी में व्यक्तिगत जानकारी, भूमि संबंधित जानकारी, भूमाफियाओं की जानकारी आदि सम्मिलित है किंतु मजदूर की सामाजिक आर्थिक स्थिति के बारे में कोई भी सवाल जवाब नही किया जा रहा है और ना ही उनके परिवार संबंधित कोई जानकारी नहीं ली जा रही है।  पुलिस द्वारा किया जा रहा सर्वे मजदूर परिवारो को डराने धमकाने का एक एक हथकंडा है। इस फॉर्म पर किसी प्रकार का कोई सरकारी मोहर या किसी संस्थान  व विभाग का नाम नहीं है और ना ही सर्वे का जिक्र है। मजदूर आवास संघर्ष समिति की ओर से यूनाइटेड नेशन रिपोटेरियर, चेयरपर्सन – राज गोपाल बालाकृष्णन को एक ज्ञापन सौंपा गया। यूनाइटेड नेशन की ओर से मजदूर आवास संघर्ष समिति को मौखिक आश्वासन मिला है की अतिशीघ्र ही भारत सरकार को यूनाइटेड नेशन की ओर से पत्र लिखा जाएगा  एवं खोरी गांव में वर्चुअल विजिट की जाएगी। आज खोरी गांव में एक व्यक्ति की लाश मिली है जिसकी शिनाख्त अभी हो नहीं पाई है। गांव में इस बात को लेकर गांव में दुख का माहोल हैं। यह गांव में तोड़ फोड़ आदेश के बाद दुख एवं अवसाद में हुई कई मौतों में से एक है। ये लगातार हो रही है मौते साफ शब्दों में हत्याएं है जो इस खौफ के माहोल में बढ़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट, केंद्र एवं राज्य सरकार को इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
         
हमारी मांगें
1.जहाँ झुग्गी वही मकान
2.जिन मजदूरों के घरों को तोड़ा गया हैं ,उनको सरकार मुआवजा दे!
3.बिजली ,पानी की सप्लाई तुरंत बहाल करो!
4.पानी ,बिजली की कमी के कारण जितने भी मजदूरों की मौत हुई उनके परिजनों को सरकार मुआवजा दे! मजदूर आवास संघर्ष समिति में आज भी कई मजदूर, महिला और छात्र संगठनों शामिल हुए है। 

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