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फरीदाबाद

फरीदाबाद: पुनर्वास की मांग को लेकर मजदूर आवाज संघर्ष समिति पूरे खोरी गांव के साथ गांव के चौक पर,सीपी का दिल पिघल गया।  

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद: कई सदियों से अरावली पर्वतमाला की श्रृंखलाओं में बसा हुआ खोरी गांव असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का एक ऐसा केंद्र है जहां 10,000 से ज्यादा परिवार दिहाड़ी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं।  ये मजदूर परिवार सरकार से ना कभी रोटी मांगते हैं और न रोजगार किंतु आज पुनर्वास मांग रहे हैं जिसको देने में हरियाणा सरकार नाकाम रही। जैसा की आज  सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर नगर निगम ने खोरी गांव को उजाड़ने के लिए कमर कसी हुई है किंतु हरियाणा सरकार को 6 हफ्ते का समय मिला है जिसमें उन्हें बेदखली के कार्य को पूर्ण करना है। लगभग 4 हफ्ते पूर्ण हो चुके हैं और यह पांचवा हफ्ता चल रहा है किंतु नगर निगम और नगर प्रशासन केवल मात्र पुलिस को  और बुल्डोजर इकट्ठा करने  के अलावा कुछ नही कर पाई है। पुनर्वास के नाम पर शून्य के घेरे में खड़ी हरियाणा सरकार अपनी भूमिका एवं दायित्व से भागती नजर आ रही है और भौतिक कार्य में इतनी मशगूल हो गई है की मानवीयता एवं संवैधानिक कार्य ही भूल गई है।

न किसी के लिए ट्रांजिट कैंप, न किसी के लिए पुनर्वास की प्लानिंग, न गर्भवती महिलाओं एवं दुधारू माताओं की देखरेख की व्यवस्था, न बच्चों की सुरक्षा, न कोरोना से बचाव की प्लानिंग, बस प्रशासन को घर तोड़ने के अलावा कुछ भी नही सूझ रहा है।कुछ असामाजिक तत्व खोरी गांव में घुसकर लोगो को भड़काना शुरू कर रहे है ताकि प्रशासन और मजदूरों में युद्ध हो जाए। मुसीबत में फंसे खोरी गांववासियों को दुविधा की स्थिति में डाल रहे है जिसका मजदूर आवास संघर्ष समिति पुरजोर विरोध करती है। मजदूर आवास संघर्ष समिति के सदस्यों ने बताया कि  हरियाणा सरकार अगर पुनर्वास दे तो पहले खोरी के सभी निवासियों का एक संयुक्त सर्वे करे और सबको सम्मान के साथ पुनर्वास दे । पुनर्वास नागरिकों का अधिकार है। कल पुलिस कमिश्नर ने यह घोषणा की थी की खोरी के 200 परिवारों को व्यक्तिगतरूप से रोजगार में मदद दी जाएगी। यह सुनकर नगर निगम एवं प्रशासन को शर्म महसूस तक नहीं हुई और ना ही उनका दिल पिघला। जबकि एक पुलिस कमिश्नर को इतनी रहम आ गई की कोरोना काल  में मजदूर कहा जायेंगे ? क्या नगर निगम और प्रशासन उचित पुनर्वास की योजना क्यों नही बना सकते ? आख़िर सरकार को समझना पड़ेगा की खोरी के 10,000 परिवारों को भीख चाहिए या हक ? मजदूर आवास संघर्ष समिति ने सर्वे का एक फॉर्मेट बनाकर भी तैयार रखा है किंतु ऐसा लगता है की सरकार एवं प्रशासन की मजदूर परिवारों को पुनर्वास देने की मंशा ही नहीं है। यदि सरकार पुनर्वास के बिना बेदखली करती है तो मजदूर आवास संघर्ष समिति मजदूर मिशन चलाएगा जो हरियाणा में राजनैतिक बदलाव की ओरजाएगा । आज मजदूर आवास संघर्ष समिति ने खोरीगांव वासियों के साथ नगर निगम पहुंचने और कमिश्नर से सवाल पूछने की अब हम कहां जाएंगे  ? की योजना बनाई किंतु पुलिस ने मजदूरों को खोरी से बाहर तक नहीं जाने दिया और बेरीगेटर से रास्ता रोका। इस भयंकर गर्मी में बच्चे, बूढ़े एवं महिलाए सब सड़क पर बैठे रहे।

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