अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चण्डीगढ़: ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो या वाहन की आरसी, परमिट लेना हो, लाइसेंस का नवीनीकरण करवाना हो, रिहायशी प्रमाण-पत्र बनवाना हो या फिर राशन कार्ड बनवाने की बात हो। सेवा का अधिकार अधिनियम ने ये तमाम काम बेहद आसान कर दिए हैं। इस अधिनियम ने आम आदमी को अपने हक के लिए ‘हक’ से आवाज उठाने का हक दिया है। इस समय सरकार की 551 सेवाएं व योजनाएं इस कानून के दायरे में आ चुकी हैं।
हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग की सचिव श्रीमती मीनाक्षी राज ने बताया कि जनसाधारण को सरकारी महकमों द्वारा दी जा रही विभिन्न सेवाओं की डिलीवरी समय पर सुनिश्चित करवाने के मकसद से राज्य सरकार द्वारा सेवा का अधिकार अधिनियम लागू किया गया है। इस अधिनियम को सही ढंग से लागू करवाने के लिए आयोग बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस, वाहनों की आरसी बनवाने, परमिट लेने, लाइसेंस का नवीनीकरण, रिहायशी प्रमाण-पत्र और राशन कार्ड बनवाने समेत कई तरह की सेवाएं ऑनलाइन मुहैया करवाई जा रही हैं। किसी सेवा के लिए आपने आवेदन किया नहीं कि आपके मोबाइल फोन पर तुरंत मैसेज पहुंच जाता है। इतना ही नहीं, जब भी आप किसी सेवा के लिए किसी दफ्तर में जाते हैं तो दफ्तर के बाहर एक बड़ा-सा बोर्ड लगा मिलेगा। इस बोर्ड पर उस विभाग द्वारा मुहैया करवाई जा रही सेवाओं के लिए समय-सीमा लिखी गई है। इस समय-सीमा में अमुक सेवा प्रदान करना उस दफ्तर का दायित्व है और एक उपभोक्ता होने के नाते इसकी मांग करना आपका हक बनता है। श्रीमती मीनाक्षी राज ने बताया कि किसी सेवा के लिए आवेदन करने के बाद सम्बन्धित सरकारी विभाग या कार्यालय द्वारा आपको एक्नॉलेजमेंट स्लिप भी दी जाएगी, जिसमें बाकायदा इस बात की जानकारी होगी कि उस सरकारी सेवा का लाभ आपको कितने दिन में मिल जाएगा। अगर आपके आवेदन में कोई कमी रह गई है तो इसकी जानकारी भी आपको तुरंत दी जानी चाहिए।
यदि निर्धारित समयावधि में वह सेवा आपको नहीं मिलती तो 30 दिन के अंदर फस्र्ट रिड्रेसल अथॉरिटी को इसकी शिकायत की जा सकती है। फस्र्ट रिड्रेसल अथॉरिटी से कार्य का निष्पादन नहीं होता तो आप 60 दिन के अंदर सैकंड ग्रीवेंस रिड्रेसल अथॉरिटी को अपनी शिकायत दे सकते हैं। शिकायत जायज पाए जाने पर अथॉरिटी द्वारा नामित अधिकारी को 7 दिन में समस्या का समाधान करना होगा। सचिव ने बताया कि सेवा या कार्य में अनियमितता पाए जाने पर ग्रीवेंस रिड्रेसल अथॉरिटी द्वारा नामित अधिकारी पर 250 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, अधिकारी की गलती पाए जाने पर अथॉरिटी द्वारा आवेदनकर्ता को एक हजार रुपये का मुआवजा दिलवाने के आदेश दिए जाने का भी प्रावधान है। इसके अलावा, अधिनियम में दोनों ग्रीवेंस रिड्रेसल अथॉरिटी द्वारा संबंधित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने का भी प्रावधान है। यदि फिर भी आप संतुष्ट नहीं हैं तो ‘राइट टू सर्विस कमीशन’ को शिकायत कर सकते हैं। अगर इस दौरान किसी कारण से आपका आवेदन रद्द हो जाता तो इसकी जानकारी भी कारण सहित आप तक पहुंचाई जानी आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इन सब बातों के बावजूद जरूरत है आम आदमी के जागरूक होने की। अगर आप अपने हक के लिए सजग होंगे तो फिर कोई भी आपको नजरअंदाज करने की हिमाकत नहीं कर पाएगा।
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