अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
पंचकूला:कला के माध्यम से एक कलाकार अपनी सोच को जीवंत कर देता है। दर्शकों को ऐसा लगता है कि ये कलाकृति अभी बोल उठेगी।ये विचार आज आज यहां सैक्टर-26 के राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित राज्य स्तर की पांच दिवसीय आर्ट-वर्क की कार्यशाला के दूसरे दिन कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र के ग्राफिक्स विभाग के प्रोफेसर राकेश बानी ने अध्यापकों को समझाते हुए कहे। इस कार्यशाला में प्रदेश के मॉडल संस्कृति स्कूलों के कला अध्यापकों ने शिरकत की।डॉ. बानी ने कहा कि नदी, झरने हों या फिर पहाड़, जंगल आदि के प्राकृतिक खूबसूरत दृश्यों को एक कलाकार अपनी कूची से इन्हें जीवंत बना देता है। अक्सर इन कलाकृतियों को देखकर हर किसी का चेहरा खिल जाता है। लोग चकित होकर इन्हें करीब से निहारते हैं और कलाकारों को उनकी हुनरमंदी की दाद देते हैं। दरअसल, यह सब फाइन आट्र्स का कमाल है।
उन्होंने बताया कि अब फाइन आट्र्स का विस्तृत क्षेत्र बन गया है, इस कला को आधुनिक तकनीक ने काफी प्रभावित किया है। कंप्यूटर आदि की सहायता से कलाकार अपनी सोच को नए रूप में साकार कर रहे हैं। प्रोफेसर बानी ने कहा कि पहले कलाकार केवल पेंटिंग व लकड़ी पर नक्काशी आदि कलाओं से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते थे परंतु अब फाइन आर्टस की विभिन्न विधाओं जैसे ड्रॉइंग, पेंटिंग, डिजाइनिंग, स्कल्पटिंग, इंस्टॉलेशन, एनिमेशन, गेमिंग आदि में लोग अपना हुनर दिखाकर दौलत और शोहरत दोनों कमा रहे हैं। सैंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हिमाचल प्रदेश कांगड़ा के फाइन आट्र्स के जाने-माने प्रोफेसर डॉ. वेदप्रकाश पालीवाल ने भी विषय-विशेषज्ञ के तौर पर प्रदेश भर से आए फाइन आर्टस के अध्यापकों से अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि अच्छे आर्टिस्ट्स के लिए फाइन आर्टस में अपनी पहचान बनाने की संभावनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। फाइन आट्र्स ग्रेजुएट की देश में आजकल सबसे ज्यादा मांग सॉफ्टवेयर कंपनीज, डिजाइन फम्र्स, टेक्सटाइल इंडस्ट्री, एडवरटाइजिंग कंपनीज, डिजिटल मीडिया, पब्लिशिंग हाउसेज और आर्ट स्टूडियो में है। अगर हम फील्ड की बात करें, तो फाइन आट्र्स का कोर्स करने के बाद युवा ऐड डिपार्टमेंट, अखबार या पत्रिका में इलस्ट्रेटर, कार्टूनिस्ट, एनिमेटर आदि के तौर पर अपना करियर बना सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, टेलीविजन, फिल्म/ थिएटर प्रोडक्शन, प्रोडक्ट डिजाइन, एनिमेशन स्टूडियो, टेक्सटाइल डिजाइनिंग आदि में भी ऐसे लोगों के लिए तमाम अवसर हैं। यही नहीं विजुअल आर्टिस्ट, एनिमेटर या ग्राफिक डिजाइनर जैसे पदों पर भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं। शिक्षण संस्थानों में आर्ट टीचर बनने का अवसर तो है ही, इसके अलावा आर्टिस्टस चाहें तो फ्रीलांस भी कार्य कर सकते हैं। ऐसे प्रोफेशनल कला समीक्षक, आर्ट स्पेशलिस्ट, आर्ट डीलर, आर्ट थैरेपिस्ट, पेंटर आदि के रूप में फुल-टाइम और पार्ट-टाइम सेवाएं दे सकते हैं। इस अवसर पर निदेशालय की ओर से प्रोग्राम ऑफिसर श्रीमती पूनम, स्कूल की प्रिंसिपल संजू शर्मा, वाइस प्रिंसिपल नीलम शर्मा के अलावा अन्य प्राध्यापक भी उपस्थित थे।
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