अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक और नोएडा प्राधिकरण की मिलीभगत नियमों को ताक पर रखकर सेक्टर- 93ए एक हाउसिंग प्रोजेक्ट एमराल्ड कोर्ट में बनाए दो 40 मंजिला टावर को ढहाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में माना है कि यह दोनों टावर नियम कानून का उल्लंघन कर बने हैं और इसमें नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और सुपरटेक की मिलीभगत साफ झलकती है.
नोएडा से ग्रेटर नोएडा जाते हुए सेक्टर -93ए क्षेत्र सुपरटेक के प्रोजेक्ट एमराल्ड कोर्ट पर बने दो 40 मंजिला के टावर 3 महीने बाद नजर नहीं आएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आज दिए अपने एक फैसले में इन दोनों इमारतों को नियम और कानून का उल्लंघन कर बनाने की बात कही है और 2014 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा है, कि इन निर्माणों को 3 महीने के अंदर ध्वस्त कर दिया जाए। 2 महीने के अंदर सुपरटेक कभी निवेशकों का पैसा लौटाए। इस मामले में बिल्डिंग प्लान का जो उल्लंघन हुआ है उसके लिये दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। टावर को गिराने की लागत सुपरटेक से वसूली जाए।
यह फैसला सुपरटेक कंपनी के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है वही 10 साल से अन्याय के खिलाफ लड़ रहे एमराल्ड कोर्ट निवासियों के लिए राहत और खुशी का अवसर है देने वाला, जिसका जश्न उन लोगों ने एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर बनाया। एमरॉल्ड कोर्ट के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष राजेश राणा कहते हैं, कि इससे अच्छा जजमेंट हम सोच भी नहीं सकते थे. हमारा विश्वास ज्यूडिशरी पर बहुत बढ़ गया है और जिस तरह की यह कंस्ट्रक्शन नियमों और कानूनों को ताक में किया गया है ऐसा लगता था मानो आप के बगल में एक मॉन्सटर खडा कर दिया गया हो। इन तस्वीरों को देखने से पता चलता है कि ये दोनों टावर बिल्कुल सुपरटेक एमरेल्ड के रिहायशी टावरों से सट कर बना है .. दूरी मात्र 9 मीटर की है जो बेहद ख़तरनाक है क्योंकि इससे यहां हवा पानी पर्यावरण और अग्निकांड के हादसे के समय खतरनाक होता। सुपरटेक के इन दोनों में 950 से ज्यादा फ्लैट बनाए जाने थे 333 लोगों ने इन फ्लैटों को बुक कराए थे लेकिन विवाद होने के बाद 248 लोगों ने उसका रिफंड ले लिया था और 133 लोगों ने सुपरटेक के दूसरे प्रोजेक्ट में शिफ्ट कर गए थे लेकिन 252 लोगों ने मैं अभी इस प्रोजेक्ट में निवेश कर रखा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए नोएडा अथॉरिटी की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रितु महेश्वरी ने कहा कि दोनों 40 मंजिला टावरों को गिराने के आदेश का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण तीन महीने के अंदर दोनों टावरों को ध्वस्त कर देगा।