अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए जहां राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए ध्रुवीकरण करने में जुटे हैं ऐसे में हमारे त्योहार सभी धर्मों के लोगों को एक साथ जुड़कर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हैं। दशहरे में बुराई का प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया जाता है बहुत कम ही लोग जानते होंगे। नोएडा में पिछले तीन पीढ़ियों से एक मुस्लिम परिवार रामायण कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों को तैयार अपनी भागीदारी निभाता है।
मोहम्मद हारून पिछले एक माह से ग्रेटर नोएडा के ऐच्छर में श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के लिए रावण,कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले तैयार कर रहे थे जो अब लगभग बन कर तैयार है आज इस अहंकार और बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन होता और असत्य पर सत्य की जीत सत्यापित की जाएगी। बुलंदशहर के सिकंदराबाद के रहने वाले मोहमद हारून अपने दो बेटों के साथ इन पुतलों को तैयार कर रहे है। एक महीने पहले ही ये परिवार अपना घर को छोड़ कर नोएडा आ जाता है और रावण-मेघनाथ- कुंभकर्ण के पुतले बनाता है। मोहम्मद हारून का कहना है कि उनका ये पुश्तेनी कार्य है, उनके पिता भी रावण के पुतले तैयार करते थे और आज वो और उनका बेटा भी रावण के पुतले बना रहा है, पिछले एक महिने से करीब 10 से 15 कारीगरों के साथ हारून बडी लगन साथ पुतलों को तैयार करने में जुटे हुए है।
इस बार कोरोना की मार रामलीला और दशहरा में दिख रही है। पिछली बार कोरोना की वजह से रावण दहन नहीं हुआ था तो पुतले भी तैयार नहीं हुए और इस बार भी कोरोना का साफ असर दिख रहा है, कोरोना की वजह से रावण सहित अन्य पुतलों की लंबाई कम की गई है। करीब 20 फुट तक इनकी लंबाई को घटा दिया गया है। जहां उनकी लंबाई पहले करीब 60 से 70 फीट तक होती थी तो इस बार इसकी लंबाई 35 से 50 फीट तक ही है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि करीब आधी लंबाई को कोरोना की वजह से घटा दिया गया है। इस बार कोरोना की वजह से रामलीला वालों का बजट कम है, साथ ही रामलीला करने के लिए भी कम समय मिला,उसकी वजह से इसका असर रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों पर पड़ा है। मोहम्मद हारून के 21 वर्षीय बेटे हारिस ने बताया कि वो अपने दादा के समय से रावण के पुतले बनाने का काम करा रहे है।अब वो अपने पापा के साथ रावण के पुतले तैयार करने का काम करते है।आगे भी वो यही काम करते रहेंगे।