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कांग्रेस: जनता की आवाज उठाएंगे, तो सरकार मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेगी-देखें वीडियो

अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
राज्य सभा सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह से विफल रही है और अपनी विफलता उस हद तक है, on the floor of the house संसद के अंदर विरोधी दल उनकी विफलताओं के सामने सवाल करें, जनता की आवाज उठाएंगे, तो सरकार मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेगी, इसके लिए लोकतंत्र का गला घोंट कर कोई ना कोई षडयंत्र किया जाता है कि ताकि विरोधी दल को लोकतंत्र बचाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करनी पड़े और सुचारु रुप से संसद ना चले, इसकी साजिश सरकार बनाती है। मैं आपको उसके उदाहरण देता हूं –

कल ज्यों ही हम बार-बार कहते थे, वही बात सरकार को माननी पड़ी और तीन काले कृषि कानून वापस लिए। अब आप सब जानते हैं, सिर्फ कुछ ही दिन पहले संविधान दिवस मनाने वाले उन प्रधानमंत्री और भाजपा को मैं कहना चाहता हूं कि संविधान उठा कर देख लो, क्या लिखा है। पार्लियामेंट के रुल देख लो, आज तक के प्रिसिडेंट देख लो, कोई भी कानून बनाना हो, तो बिल आता है हाउस में, फुल फ्लेज्ड डिस्कशन होता है। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी टाइम अलोट करती है, वोटिंग होती है और कानून बनता है। कानून में कोई संशोधन करना हो, अमेंडमेंट करना हो, बिल आता है, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी डिस्कशन का टाइम अलोट करती है, फूल फ्लेज्ड डिस्कशन होता है, वोटिंग होती है और कानून में संशोधन होता है। कोई भी कानून रिपील करना हो, खारिज करना हो, तो उस वक्त भी बिल आता है, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी डिस्कशन का टाइम अलोट करती है, फुल फ्लेज्ड डिस्कशन होता है, फिर वोटिंग होती है और बिल रिपील होता है। आजादी आने के बाद इस देश में 17 कानून रिपील हुए हैं। 17 बिल खारिज हुए, उसका ब्यौरा आप लोगों को हमने दिया कि 17 बिल थे, जो रिपील हुए, हर वक्त बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने टाइम दिया। उतना टाइम फुल फ्लेज्ड हाउस में डिस्कशन उसके बाद वोटिंग और कानून रिपील हुआ। यही परंपरा रही है। अब ये सरकार अगर फुल फ्लेज्ड डिस्कशन करती है, तो इस देश के सुल्तान मोदी जी, जो अपने मित्रों को, पूंजीपतियों के फायदे के लिए मानते थे कि हम तो किसानों को पटा लेंगे, डरा देंगे, दबा देंगे, खरीद लेंगे और मित्रों का फायदा कर देंगे, उस सुल्तान को जगत के तात ने, किसानों ने झुकाया था और उनकी सारी चीजें, चिट्ठा खुल जाता है। तो इसलिए हाउस में विरोधी दल को मौका ना मिले, हाउस सुचारु रुप से नहीं चले, इसलिए कल उन्होंने कैसी बात की कि there will be no discussion, फॉर्मर लॉ रिपील होने पर कोई चर्चा नहीं करवाई और बिना चर्चा के जब लोकतंत्र का गला घोंटने की कोई भी बात करेगा, तो जिनके जिम्मे जनता ने जिम्मेदारी है, मुख्य अपोजिशन पार्टी और दूसरे विरोध दल, लाइक माइंडेड पार्टियां, सभी ने कहा कि ये नहीं होने देंगे। तो ये सिचुएशन किसने क्रियेट की, सरकार ने क्रियेट की और हाउस नहीं चलने दिया। आज उस कानून के रिपील होने के बाद फिर बिल ला रहे थे, कोई वजह नहीं थी, हाउस सुचारु रुप से चल सकता था। जब लगा कि हाउस चलेगा और कुछ ऐसे कानून जो कॉन्स्टिट्यूशन के प्रावधान के खिलाफ, मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। कल के बिजनेस में था, डैम सेफ्टी बिल (Dam safety bill), संविधान की एंट्री 17 में क्लियर कट लिखा है कि नदियाँ, बहता पानी, वाटर मैनेजमेंट विद इन स्टेट उस राज्य का अधिकार है, भारत सरकार का अधिकार नहीं है। वो संविधान का जो भी प्रोविजन थी, उसके खिलाफ वाला बिल उसमें हम हिस्सा लेते। ये कहते कि ये तो आप 2010 में लाते थे, पर 2010 में ऑर्टीकल 252 के तहत ये कानून आ रहा था। ऑर्टीकल 252 ये है कि 2 या ज्यादा स्टेट ये कहें कि ये स्टेट एंट्री में, स्टेट की लिस्ट में है, पर आप कानून बनाइए हमारे राज्य के लिए, तो भारत सरकार कानून बना सकती है, पर जिन्होंने रेजोल्यूशन पास किया, उन्हीं राज्यों पर लागू होगा, क्योंकि संविधान एंट्री 17 में वो स्टेट लिस्ट में है और राज्य चाहें तो अपना विधानसभा में प्रस्ताव पारित करे और सेंट्रल एक्ट को स्वीकार करे, बाकी स्टेट एंट्री 17 के तहत राज्य का अधिकार है, सेंट्रल कानून नहीं बना सकता है। तो हम ला रहे थे ऑर्टीकल 252 के तहत। इन्होंने वहाँ से हटाकर सारे देश के लिए भारत सरकार कानून बनाएगी, वो लाना चाहते थे, उसमें चर्चा होती। ये सरकार डरती है। ये हाउस सुचारु रुप से चलेगा, तो हमारी धज्जियां उड़ेंगी। तो इसलिए क्या किया – हमारे एमपी को सस्पेंड करने का प्रस्ताव लेकर आए। आपको ताज्जुब होगा कि कल के दिन के कृत्य के लिए नहीं, अब पार्लियामेंट में अपने रुल हैं, अपने नियम हैं। उस नियम के तहत अगर कोई अनरुली मैंबर होता है, तो चेयरमैन या लोकसभा में स्पीकर उसको नेम करते हैं उसी वक्त कि आप, आपका बिहेवियर अनरुली है, मैं आपको नेम करता हूं। नेम करने के बाद मैंबर की हरकत अगर फिर भी अनरुली रहती है और मैंबर नहीं मानते हैं, तो फिर उसी वक्त पर रेजोल्यूशन आता है मैंबर का संस्पेंशन का। पर कब- जब हाउस के सामने बिजनेस चलता हो।कल क्या हुआ- कल कोई नेमिंग नहीं था, कल कोई अनरुली बिहेवियर उस वक्त पर मैंबर की नहीं थी। जिस मैंबर के कुछ के नाम लिए, वो तो कल हाउस में भी नहीं थे और उसके लिए लाए कि पूरा ये सेशन उसको सस्पेंड, निष्कासित किया जाए। ये पूरी तरह से, आज तक के प्रिसिडेंट आप देखिए, पार्लियामेंट का आजादी से लेकर आज तक, भाजपा वाले दिखाएं एक बार भी किसी भी सरकार ने ऐसा काम किया हो और आप सब काफी पत्रकार मित्र पार्लियामेंट को कवर करते हैं। राज्यसभा टीवी उस वक्त पर था, अब तो उसका गला घोंट कर संसद टीवी के साथ मर्ज किया। उसका लाइव जाता है, उसमें देख लीजिए। कुछ ऐसे मैंबर हैं, जिनको उस वक्त पर नेम किया था। लाइक मैं कहता हूं पंजाब से बाजवा जी हैं हमारे। उस वक्त पर नेम किए गए थे। पर कल के संस्पेशन में उनका नाम नहीं है, क्योंकि किसान के लिए बाजवा जी संस्पेंड होते, तो पंजाब में उसकी नामना होती। तो संस्पेशन भी विद पॉलिटिक्ल मोटिव, पॉलिटिकल कैल्क्युलेशन, वोट बैंक की पॉलिटिक्स, इसको देखकर कभी भी पास्ट में माने अगले सत्र में तुमने कोई कृत्य किया था, तो उस वक्त तुम्हारा कृत्य स्वीकार था, तो सजा नहीं था, आज मैं आपको दंडित करता हूं। क्या कोई कानून ऐसी अनुमति देता है क्या? संभव ही नहीं है। ना आज तक कभी हुआ है। पर ये नहीं चाहते हैं कि पार्लियामेंट सुचारु रुप से चले। अगर हाउस चलेगा तो हम पूछेंगे कि आप कहते हैं कि माफ कर देना, तो गलती की है आपने। माफी तो तभी मांगी जाती है जब गलती की हो, तो आपकी गलती थी और 700 किसान शहीद हुए, तो आपकी गलती की वजह से हुआ। तो 700 किसानों के परिवार को मुआवजा दो, हम मांग करेंगे।हम कहेंगे मित्र मोदी जी, जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त का आपका ये वीडियो है, जिसमें आपने कहा था कि एमएसपी कानूनन होनी चाहिए और अगर लीगल फ्रेम वर्क में एमएसपी नहीं, तो उस एमएसपी का मतलब नहीं है। कानून एमएसपी पर होना चाहिए, वो गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी जी की बार-बार मांग की वीडियो है। आप भी अपनी थोड़ी जांच करेंगे, तो मिलेगी, नहीं मिलेगी, तो हम भी दे देंगे आपको। ये बात हम करेंगे कि जब थे, तब तो एमएसी कानून में होना चाहिए, अब आप क्यों नहीं दे रहे हैं? वो बात तो सहन नहीं कर पाएंगे।हम कहते हैं कि डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी एक्ट है और इस कानून के तहत 4 लाख रुपए का मुआवजा, जिनकी भी कोरोना में डेथ हुई है, उनको मिलना चाहिए। ये आपका डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी एक्ट कहता है। आपका खुद का, माने मोदी सरकार का मार्च 20 में निकाला हुआ सर्कुलर भी है कि कोरोना की डेथ होती है तो 75 प्रतिशत सेंट्रल और 25 प्रतिशत स्टेट, जो कि प्रावधान डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी एक्ट का है, उसके तहत 4 लाख रुपए का मुआवजा कोरोना में मृत्यु वाले परिवार को देना है। मेरी पार्टी की जहाँ सरकारें हैं, चाहे राजस्थान है, चाहे छत्तीसगढ़ हैं, चाहे पंजाब है, हमने कहा है कि हम 4 लाख रुपए मुआवजा देने के लिए तैयार हैं। आप 75 प्रतिशत रिलीज करिए। 25 प्रतिशत हमारा रिलीज होगा, डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी एक्ट के तहत और 4 लाख रुपए का मुआवजा मिलना चाहिए। वो हम पार्लियामेंट में उठाते। ये हम ना उठाएं, इसलिए हाउस नहीं चलने देना है। झुठ के पुलिंदे बहुत बांधे हैं इन्होंने।हमारे कंधों पर एक जिम्मेदार अपोजिशन के नाते जनता की आवाज उठाना, वो हमारा फर्ज है, हमारा धर्म है। ये हाउस डेमोक्रेसी का हाउस है, किसी की अपनी प्रोपर्टी या अपना हाउस नहीं है। ये लोकतंत्र का गृह है, किसी के वारिस में मिला हुआ अपना पुरखों का अपना गृह नहीं है। लोकतांत्रिक तरीके से गृह को, हाउस को चलाना चाहिए और वो चलाने के लिए हम बात करते हैं, तो वो नहीं चलने देने के लिए षडयंत्र बनता है।हम हमारा फर्ज निभाते रहेंगे, लाइक माइंडेड पार्टी, सभी को हम साथ रखकर लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारे नेता ने राज्यसभा में लीडर ऑफ राज्यसभा, लोकसभा में, लीडर ऑफ लोकसभा में, हमारे खरगे जी और अधीर रंजन चौधरी जी ने पूरी कोशिश की है सभी विपक्षी दलों को साथ लेकर सुचारु रुप से हाउस कैसे चले, उसके लिए सुझाव देने की। आज सामने से चेयरमैन के घर तक जाने की कोशिश विरोधी दल ने की, मिलने की कोशिश की, पार्टी इन पॉवर को बताया कि पास्ट में आप लोग कहते थे कि हाउस नहीं चलने देना is a democratic tactic और ये विरोधी दल का शस्त्र है, जिसे विरोधी दल को बार-बार उठाना चाहिए और पार्टी इन पॉवर की जिम्मेदारी है कि हाउस सुचारु रुप से चले और अपोजिशन पार्टी उसमें हिस्सा ले और अपोजिशन पार्टी पूरे विश्वास के साथ हाउस में बैठे, वो देखने की जिम्मेदारी पार्टी इन पॉवर की है। ये जेटली जी ने कहा था, ये सुषमा स्वराज जी ने कहा था, ये भाजपा के नेता जब-जब विरोधी दल में रहे, तब उन्होंने कहा था। आज वो ज्ञान कहाँ गया? आज कहते हैं, ठीकरा हमारे सिर पर फोड़ते हैं कि अपोजिशन हाउस नहीं चलने देता है। ये सरासर झूठ है और हम लड़ेंगे, लड़ते आए हैं।कहते हैं कि माफी मांगे मैंबर, किस चीज की माफी मांगे? आप अगर डेमोक्रेसी का गला घोंटो और मैंबर आक्रोश करके वेल में नहीं आएंगे, तो कहाँ जाएंगे? हाँ गलत किया होगा, गुनाह किया है, तो ठीक बात है। सच की लड़ाई लड़ने के बाद किसी के भी डर से माफी मांगने की ना संस्कृति, ना हमारी फितरत है। हम गांधी जी की विचारधारा में चलते हैं और आज भी अहमदाबाद में, सर्किट हाउस में गांधी जी के खिलाफ अंग्रेजों ने केस चलाया, उसकी पूरी प्रोसीडिंग वहाँ लगी है। वहाँ जज ने कहा था गांधी जी को कि अगर जेल नहीं जाना है, than regret, say sorry और गांधी जी ने कहा था मैं जो कर रहा हूं, वो सच कर रहा हूं और सच करने के बाद तुम्हारे डर से माफी नहीं मांगूंगा। तो ये फ़ितरत है हमारी।

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