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अपराध नोएडा

परीक्षार्थी की जगह नकली परीक्षार्थी को बैठकर पास कराने का ठेका लेने वाले साल्वर गैंग का पर्दाफाश, चार अरेस्ट 

अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट 
नोएडा सेक्टर-58 कोतवाली पुलिस ने राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओं का पेपर आउट कराने और परीक्षार्थी की जगह नकली परीक्षार्थी को बैठकर पास कराने का ठेका लेने वाले सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने प्रतियोगी परीक्षाओं के नोएडा में परीक्षा देने आए चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. जिसमें गिरोह सरगना भी शामिल है पुलिस ने आरोपियों के पास से पांच मोबाइल, पांच पैन कार्ड, पांच आधार कार्ड, 52 हजार रुपये, दो फर्जी प्रवेश पत्र और व्हाट्सएप चैटिंग का प्रिंट आउट बरामद किया है।

पुलिस की गिरफ्त मै खडे घवेंद्र, विकास कुमार, संजय कुमार और अनीश चाहर उस गिरोह के सदस्य है जो परीक्षार्थी की जगह नकली परीक्षार्थी को बैठकर पास कराने का ठेका लेता है. कोतवाली सेक्टर-58 पुलिस ने बुधवार को चार आरोपियों को सेक्टर-62 स्थित गुप्ता तिराहे के पास से गिरफ्तार किया है। नोएडा जोन के अपर पुलिस उपायुक्त रणविजय सिंह ने बताया कि गिरोह का सरगना अनीश है, जबकि राघवेंद्र अभ्यर्थी है। अनीश नौकरी दिलाने के नाम पर छात्रों से पैसे लेकर विकास से मिलवाता था। विकास पैसे लेकर छात्रों के स्थान पर परीक्षा देता था। चारों आरोपी बीएससी पास हैं। गिरोह पांच साल से मोटी कमाई कर रहा था। वहीं, आगरा में प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाला रिंकू यादव फरार है। परीक्षा दिलवाने के लिए रिंकू फर्जी कागजात तैयार करता था। रणविजय सिंह ने बताया कि सरगना अनीश फिरोजाबाद में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग देता है। वहीं से वह छात्रों से नौकरी दिलाने की बात कर सौदा करता था। प्रतियोगी परीक्षाओं में पास कराने के लिए वह सात से आठ लाख रुपये लेता था। इसके बाद वह संजय के जरिये विकास से संपर्क करता था। विकास ही दूसरे की जगह परीक्षा देता था। इसके एवज में करीब दो लाख रुपये उसे मिलते थे। विकास ने बताया है कि एक दर्जन से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में वह दूसरे की स्थान पर बैठकर परीक्षा दे चुका है। एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि 9 दिसंबर को विकास को राघवेंद्र की जगह परीक्षा देनी थी। आरोपी दिल्ली पुलिस, जेल वार्डन, आईटीबीपी, एसएससी से लेकर कई कई तरह की परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा करते थे और इनका नेटवर्क यूपी, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान तक फैला हुआ है। गिरफ्तार आरोपियों के पास से कई व्हाट्सएप चैटिंग मिली हैं। इनमें पता चला है कि ग्रुप बना कर ये आरोपी अभ्यर्थियों को जोड़ते थे और उन्हें प्रलोभन देकर ठगते थे। कुछ आरोपियों से ये आरोपी नौकरी दिलाने के नाम पर एडवांस में पैसे भी लेते थे और बाद में संपर्क नहीं करते थे। गिरोह में अभी कुछ अन्य आरोपियों के नाम सामने आ रहे हैं जिनकी तलाश की जा रही है।

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