Athrav – Online News Portal
दिल्ली नई दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय वीडियो

कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने आज पत्रकारों से आयोजित प्रेस कांफ्रेस में क्या कहा-जानने के लिए- देखें इस वीडियो में

अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की प्रेस वार्ता भारत सरकार की जो ईयर एंड सेल चल रही है और उस ईयर एंड सेल में एक प्रॉफिटेबल कंपनी को निपटा दिया गया है, जो प्रोफिट कमा रही है, जो स्ट्रैटेजिक इम्पोर्टेंस की है और ऐसे व्यक्ति को दी है, मैं आपके सामने उसकी डिटेल रखूंगा। तो जब तक आप कागज नहीं देखेंगे, आप विश्वास नहीं करेंगे मेरी बात का, ये भी मैं कह सकता हूं और सारे कागज आपके सामने रखूंगा।

कंपनी का नाम है, सीईएल (सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड) कंपनी का हैडक्वार्टर, कंपनी की फैक्ट्री साहिबाबाद, गाजियाबाद के पास, साहिबाबाद में इस कंपनी का हैडक्वार्टर है। 1974 में इनकॉर्पोरेट होती है, 1974 में इस कंपनी का इनकॉर्पोरेशन होता है और ये कंपनी भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अंतर्गत आती है, 100 प्रतिशत इसकी होल्डिंग भारत सरकार के पास है। कोई प्राइवेट एंटिटी के पास इस कंपनी का एक भी शेयर नहीं है। इस कंपनी को आज से 30 दिन पहले 29 नवंबर को, एग्जेक्ट डेट भी मैच हो रही है, 29 नवंबर को इसकी टोटल 100 प्रतिशत इक्विटी को 210 करोड़ में दे दिया गया। मतलब पूरी कंपनी 210 करोड़ में किसके हवाले की, वो बताऊंगा आपको, पर 210 करोड़ में पूरी कंपनी जो प्रोफिट कमा रही है, जिसके आगे 5 साल तक प्रोफिट कमाने की फॉरकास्ट है, जिसकी ऑर्डर बुक 1,600 करोड़ रुपए की है, उसको कितने में दे दिया गया, 210 करोड़ में। ध्यान रहे साथियों, इस कंपनी की रिजर्व प्राइस सरकार ने निश्चित की 194 करोड़ रुपए, ये प्राइस ध्यान रखना – 210, 194 करोड़ रुपए।

अब आते हैं, इस कंपनी के पास टोटल जमीन है और ये मैं कंपनी की बिड डॉक्यूमेंट है, उससे लाया हूं। कंपनी के पास टोटल जमीन है 2 लाख 2 हजार 18 स्क्वायर मीटर टोटल जमीन है और ये यूपी सरकार की सर्कल रेट आपके सामने रख रहा हूं। सिर्फ अभी जमीन की बात करुंगा। यूपी सरकार की ये सर्कल रेट का नोटिफिकेशन है। यूपी स्टेट इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, उसमें कहा गया कि सर्कल रेट है 21 हजार 803 प्रति वर्ग मीटर। जमीन थी 2 लाख 2 हजार 18 स्क्वायर मीटर और सर्कल रेट 21 हजार 803, सिर्फ सर्कल रेट मान रहा हूं, उसके ऊपर कोई प्रीमियम नहीं। मतलब सिर्फ जमीन-जमीन इस कंपनी की हो गई – 440 करोड़ रुपए की और कंपनी कितने में निपटाई – 210 करोड़ में, मतलब अभी तक मैंने इसका नो हाउ, पेटेंट, बिल्डिंग, प्लांट इक्विपमेंटट और सर्कल रेट से ऊपर 50 प्रतिशत, 100 प्रतिशत प्रीमियम कुछ नहीं जोड़ा। कंपनी की जमीन का जो सर्कल रेट है, उसके 44 प्रतिशत ऑफ CEL land value is the final offer price of CEL. जो सर्कल रेट था, उसकी 44 प्रतिशत जो उसकी लैंड वैल्यू है, उसमें उस कंपनी को आपने दे दिया, एक ऐसे व्यक्ति को और उस व्यक्ति और उस कंपनी की डिटेल आगे लाऊंगा।

इस कंपनी की जो फोरकास्ट है, वो मैं आपको फोरकास्ट दिखाना चाहूंगा। ये इस कंपनी के फोरकास्ट हैं। अभी मौजूदा समय में इस कंपनी के पास पेंडिंग ऑर्डर हैं – 1,592 करोड़ के पैंडिंग ऑर्डर हैं अभी। क्योंकि ये कंपनी स्ट्रैटेजिक इम्पोर्टेंस की चीजें बनाती हैं। डिफेंस में डाइनामाइट में जो प्लग लगता है, वो ये कंपनी बनाती है। ये कंपनी भारत सरकार के डिफेंस सेक्टर को सप्लाई करती है। उनको नो हाऊ सप्लाई करती है। उनके लिए नए-नए पेटेंट करवाती है, उनके लिए नए–नए डिस्कवरी करती है। उस कंपनी के पास 1,592 करोड़ का ऑर्डर बुक है और जो पिछली ग्रोस प्रोफिट है, उसके अनुसार इस 1,592 करोड़ में 730 करोड़ आपको ग्रोस प्रोफिट होगा। ये मैं नहीं कह रहा हूं, ये उसी कंपनी की डिटेल कह रही है। उसको आपने कितने में दे दिया – 210 करोड़ में।

अब आप देखिए, किसको दी, ये बात महत्वपूर्ण है। एक ऐसी कंपनी को दी, जिसका नाम है- नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड़। अब इस नंदल की कहानी सुनिए। इसके पास फाइनेंशियल ईयर 2020 में 10 से कम एम्प्लॉई थे। बात यहीं खत्म नहीं हुई। इसके पास इसकी 99.96 प्रतिशत, इस कंपनी की नंदल लीजिंग एंड फाइनेंस की 99.96 प्रतिशत इक्विटी एक इंटिरियर डेकोरेटिव और फर्नीचर कंपनी के पास है। आपने एक ऐसी कंपनी जिसकी 99.96 प्रतिशत इक्विटी फर्नीचर और इंटिरियर कपंनी के पास है। उसको आपने स्ट्रैटेजिक इम्पोर्टेंस की कंपनी दे दी। उस कंपनी का, यही नहीं रुका और ये बहुत चौंकाने वाला तथ्य आपके सामने रख रहा हूं। ये है एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल) में इस नंदल फाइनेंस का लिक्विडेशन का केस पेंडिंग है। इससे ज्यादा हैरतअंगेज कारनामें क्या हो सकते हैं कि जिस कंपनी के लिक्विडेशन का केस रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी में चल रहा है, उसको पीएमएलए का दोषी मानकर उस पर लिक्विडेशन का केस चल रहा है, उस कपनी को, आपने भारत सरकार की कंपनी, जिसकी लैंड की जो अगर सर्कल रेट है, उसके 44 प्रतिशत, 210 करोड़ रुपए में दे दी। क्यों भाई, ये नंदल से आपका ऐसा क्या रिश्ता है? जिस कंपनी के पास कोई अनुभव नहीं है, 10 से कम एम्पलॉई हैं। ये डिटेल मैं आपको दे रहा हूं। इसकी जो बैलेंस शीट है, उससे मैं पढ़कर सुनाता हूं – There is less than 10 employee and none of them have rendered five years of continued service, ये मैं नहीं कह रहा, ये डिटेल यहाँ लिखी हुई है। ये नंदल फाइनेंस की हकीकत है, फॉर फाइनेंशियल ईयर 1920 कि एक भी आदमी इसका ऐसा नहीं है एम्पलॉई, जिसने 5 साल नौकरी की है और इसी कंपनी को अगर हम आगे बढ़ाएं तो इसी कंपनी का, नंदल फाइनेंस का 99.96 प्रतिशत इक्विटी है एक फर्नीचर कंपनी के पास। उसको आपने कौन सी कंपनी दी – जो डिफेंस के लिए नो हाऊ है, जो इक्विपमेंट बनाती है, जो इलेक्ट्रोनिक्स की कंपनी है, जो एक प्रोफिट मेकिंग कंपनी है, जिसने मौजूदा वित्तीय वर्ष में प्रोफिट कमाया, जिसके पास 1,592 करोड़ के ऑर्डर बुक है। उसको आपने 210 करोड़ में इस नंदल को दे दी है।

अभी यहाँ कहानी खत्म नहीं हुई है। अभी तो एक और इसमें इशू है। ये जो इसकी बिडिंग हुई, इस सीइएल को बेचने की, तो दो लोगों ने बिड की, हम और आपको भारत सरकार में अगर ये पैन भी खरीदना होता है, तो मिनिमम 3 बिड की आवश्यकता होती है। दो लोगों ने बिड की और वो दोनों भी मिले हुए हैं। एक दूसरे सज्जन ने बिड की, उनका नाम है – मैसर्स जेपीएम इंडस्ट्री और अब देखिए, नंदल और जेपीएम कैसे मिले हुए हैं। ये डेटा लेकर आया हूं। जो नंदल की पेरेंट कंपनी है, उसमें और जेपीएम की जो पेरेंट कंपनी है, उसमें डायरेक्टर कॉमन है। ये सारा मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर से सारा डेटा आपको दे रहा हूं। डायरेक्टर कॉमन हैं इनके। जो दो जनों ने बिड की, दोनों की जो पेरेंट कंपनी है, उसमें डायरेक्टर कॉमन। 44 प्रतिशत सर्कल रेट की सिर्फ लैंड की वैल्यू उसमें आपने 100 प्रतिशत इक्विटी दे दी।

हम पांच सवाल पूछना चाहते हैं–

1. What is the strategic road-map for selling profit making company and why Government of India is in a mood to sell the profit making enterprises?

क्यों स्ट्रैटेजिक और प्रोफिट मेकिंग कंपनियों को बेचना चाहते हो?

हमारा दूसरा सवाल है कि जब नेशनल इंट्रस्ट में कोई कंपनी काम कर रही है, क्योंकी सीइएल क्या बनाती है, मैं आपको थोड़ा सा विवरण देना चाहता हूं। सीइएल बनाती हैं – इंडिजिनस टेक्नोलॉजी, इसका मतलब हमारी स्वयं की यूज करने वाली टेक्नोलॉजी। एक तरफ तो हम वोकल फोर लोकल पर बात करते हैं। एक तरफ तो हम ये कहते हैं कि हम हमारे इनवेंशन खुद का चालू रखें, एक कंपनी जो ये कर रही है 1974 से, जिसका प्रोफिट है, उसको आपने एक फर्नीचर बनाने वाली कंपनी को दे दिया। उस कंपनी की 44 प्रतिशत लैंड वैल्यू पर टोटल कंपनी आपने दे दी। दो बिडर थे और दोनों इंटर रिलेटेड़ हैं और फिर भी आप चुप रहे। उस कंपनी को आपने उस नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग को दे दिया, जिसका एनसीएलएटी में केस पेंडिंग है, आज भी। ये भी जो डॉक्यूमेंट है, ये आज सुबह ही मैंने एनसीएलएटी की वेबसाइट से लिया है, ये वाला डॉक्यूमेंट। ये आज का है, आज केस पेंडिंग है।

हमारा तीसरा सवाल इस संदर्भ में ये है कि जो सीइएल, जिसकी वेल्यूएशन कंजरवेटिव बेसिस से 1300 से 1600 करोड़ रुपए होनी चाहिए, वो आपने 210 करोड़ में क्यों दे दी? क्यों आपने रिजर्व प्राइस को मात्र 194 करोड़ रखा?

हमारा चौथा सवाल है कि आपने इंटर कनेक्शन बिटवीन बिडर का वेल्युवेशन क्यों नहीं किया? जब दो ही बिडर आए और दोनों इंटर कनेक्टेड थे और आपने कंपनी बेच थी?

अंत में हम ये पूछना चाहते हैं कि Why a profit making strategic PSU is handed over to a company, which is having less than 10 employees? जिसके 10 से कम एम्प्लॉई हैं, उसको आपने स्ट्रैटेजिक प्रोफिट मेकिंग पीएसयू दे दी। जिसका केस एनसीएलएटी में पेंडिंग चल रहा है, उसको स्ट्रैटेजिक पीएसयू दे दी। जिसकी वेल्युवेशन एक कंजरवेटिव हिसाब से भी अगर देखें तो 1,300 से 1,600 करोड़ रुपए होनी चाहिए थी, आपने रिजर्व प्राइस 194 करोड़ रुपए क्यों रखी? ये क्या हो रहा है? आप तो कहते थे कि आप देश नहीं बिकने देंगे, ये क्या हो रहा है? आपने 1,300 से 1,600 करोड़ वेल्युवेशन की कंपनी को 194 करोड़ पहले रिजर्व प्राइस रखी जाती है, फिर 210 करोड़ में उस कंपनी को ऐसे फर्म को दे दिया जाता है, जो कि फर्नीचर बनाती है, जिसमें 10 से कम एम्प्लॉई हैं और ये जो हमारी सीइएल है, ये बनाती है इंडिजिनियस नो हाऊ, ये कहाँ यूज होता है – सैटेलाइट सिस्टम में, बुलेट प्रूफ मैटेरियल ऑफ बॉडी आर्मर में, नाइट विजन डिवाइसेस में, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के लिए हिट 55 डायनामाइट बनाने के लिए। ये सारे वहाँ पर सप्लाई करते हैं। उस कंपनी को आपने किसको दे दिया – नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग को, जहाँ 10 से कम कर्मचारी हैं। ये नंदल से क्या रिश्ता है? ये नंदल को अचानक से इलेक्ट्रॉनिक में रुचि कैसे हो गई? जिस नंदल का एनसीएलएटी में केस पेंडिंग चल रहा है, वाइंडिग अप के लिए, वो इलेक्ट्रॉनिक में घुस गई। जिस कंपनी की सिर्फ लैंड की वैल्यू का 44 प्रतिशत पर आपने पूरी कंपनी दे दी और लैंड भी सिर्फ सर्कल रेट। Market value will be double of circle rate.

तो हमारे ये पांच प्रश्न है कि आप स्ट्रैटेजिक प्रोफिट मेकिंग पीएसयू को क्यों बेचना चाहते हो?

दूसरा कंपनी का वेल्युएशन 1,300 से 1,600 करोड़ रुपए था, उसका आपने 194 करोड़ रिजर्व प्राइस क्यों रखी?

आपने इंटर कनेक्शन बिटविन दी बिडर को इवेल्युवेट क्यों नहीं किया? दो बिड पर ही आगे क्यों बढ़ गए, ऐसा क्या रिश्ता है और ऐसी कपनी जिसका कोई एक्सपिरियंस नहीं है इलेक्ट्रॉनिक्स में, जो फर्नीचर कंपनी है, जिसका 99 प्रतिशत इक्विटी होल्ड कर रही है, उसको आपने सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड जो डिफेंस को सप्लाई करता है, उस कंपनी को आपने क्यों बेच दिया? ये रिश्ता क्या कहलाता है? ये ऐसी आपकी क्या उनसे दोस्ती है, हम ये पूछना चाहते हैं?

तीन दिन बचे हैं प्रधानमंत्री जी साल खत्म होने में, हम चाहते हैं कि देश की हमारे पुरखों के खून पसीने की मेहनत को ये नंदल, कमंडल और इस तरह की कंपनियों को ना बेचें। ये कंपनियां बरसों की मेहनत के बाद देश के लोगों ने बनाई है। इनका प्रोफिट मेकिंग है, तो बेचने की जरुरत क्या है। जिस कंपनी के पास 1,592 करोड़ की ऑर्डर बुक है, उसको बेचने की जरुरत क्या है? जिस कंपनी की हजारों वर्ग मीटर की जमीन है, उसको आपने जमीन का मुआवजा भी नहीं लिया और ध्यान रहे साथियों, एक अंतिम प्वाइंट बताना चाहूंगा कि ये जो जमीन है, ये उत्तर प्रदेश के किसानों की जमीन है और उत्तर प्रदेश की सरकार ने वायदा किया था उन किसानों को, जब ये जमीन सीइएल के लिए ली थी कि आपको हम नौकरी देंगे, आज तक वो नहीं दिया गया। उनकी जमीन ले ली आपने और जमीन अपने दोस्तों के हवाले कर दी और उनको अभी तक जो एम्प्लोयमेंट का वायदा किया था, वो तक नहीं हुआ।

एक अंतिम तथ्य बताऊंगा, फिर आपके सवाल लूंगा कि ये जो दोनों बिडर आए, इनकी बिड में भी ज्यादा अंतर नहीं है। एक का 210 करोड़ है, जिसके हवाले ये कंपनी कर दी गई और दूसरा है जेपीएम इंडस्ट्री, इसका 190 करोड़ है और रिजर्व प्राइस है 194 करोड़। अब इससे ज्यादा क्या? 194 रिजर्व प्राइस, 210 में कंपनी दे दी गई, जो दूसरा बिडर है उसका 190 करोड़ बिड है, इससे ज्यादा क्या साक्ष्य चाहिए? इससे ज्यादा किस तरह से सेल हो रही है, इस सेल को रोका जाए। ये बरसों से लोगों की कमाई है, इसको अपने दोस्तों के हवाले करना बंद किया जाए।

Related posts

कुख्यात गैंगस्टर दीपक बॉक्सर को फर्जी पासपोर्ट मुहैया कराने, जिस की मदद से विदेश भाग गया था, आरोपित अरेस्ट।

Ajit Sinha

ग्रेटर फरीदाबाद के नाम की घोषणा क्या हुई की एमएलए राजेश नागर के निवास पर बधाई देने वालों का तांता, सुने इस वीडियो

Ajit Sinha

सीएम आतिशी ने वाल्मीकि जयंती के मौके पर पंचकुइयाँ रोड स्थित भगवान वाल्मीकि मंदिर में दर्शन किए.

Ajit Sinha
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
error: Content is protected !!
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x