अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: पेंटोग्राफ ट्रेन की छत पर लगने वाला उपकरण होता है जिसका इस्तेमाल ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन वायर(ओएचई) से पावर लेने के लिए किया जाता है। ऐसा ही एक पेंटोग्राफ जो हाल ही में उपयोग में नहीं रहा, उसका नवीकरण कर प्रदर्शन हेतु संग्रहालय में रखा गया है। मेट्रो ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले पेंटोग्राफ के चित्र के साथ-साथ इनकी जानकारी देने वाला एक बोर्ड भी प्रदर्शित किया गया है।
इस समय देश के सभी प्रमुख शहरों में मेट्रो सिस्टम चल रहे हैं। देश में मेट्रो नेटवर्क के विस्तार को दर्शाने वाले दिल्ली मेट्रो सहित विभिन्न मेट्रो ट्रेनों के आठ कोचों वाले मॉडल को भी संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शन के लिए संग्रहालय में रखी गई इन वस्तुओं को देखने वालों को जानकारी भी मिल सकेगी कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में मेट्रो नेटवर्क में कितनी तेज़ी से प्रगति हुई है। कोविड-19 महामारी के चलते बाधाओं के बावजूद दिल्ली मेट्रो संग्रहालय निरंतर नई वस्तुएं जोड़ने और उन्हें प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा है। उपर्युक्त प्रदर्शित वस्तुओं के अलावा, जापान सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स द्वारा डीएमआरसी को दिए गए प्रतिष्ठित पुरस्कार को भी यहां प्रदर्शित किया गया है। इस दौरान जब संग्रहालय में दर्शकों की संख्या कम रही तो इस समय का उपयोग करके रिडेवलपमेंट और मेंटेनेंस के लिए एक गहन अभियान भी चलाया गया। एक बड़ी कार्य प्रक्रिया के दौरान, पुराने पैनलों के बाहरी अग्रभागों को नए डिजाइनों के साथ नया रूप दिया गया ताकि संग्रहालय को बेहतर और अधिक आकर्षक बनाया जा सके। बड़े डिजिटल स्क्रीन के साथ ही साथ मेट्रो ट्रेनों के अन्य मॉडलों, स्टेशनों और टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के कटर-हैड के रखरखाव के लिए एक विशेषज्ञ एजेंसी की सेवाएं ली गई हैं। दिल्ली मेट्रो संग्रहालय की स्थापना वर्ष 2009 में पटेल चौक मेट्रो स्टेशन पर की गई थी। आज इसमें दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की तारीखवार महत्वपूर्ण मुकामों को दर्शाने वाले लगभग 50 विभिन्न पैनल, मॉडल, प्रदर्शन सामग्री, फोटो गैलरी इत्यादि उपलब्ध हैं। कोरोना के प्रकोप से पहले संग्रहालय देखने आने वालों में वार्षिक तौर पर स्कूलों एवं कॉलेजों के 10,000 से अधिक विद्यार्थियों के अलावा अति विशिष्ट व्यक्तियों के साथ-साथ आम दर्शक भी शामिल थे। ‘म्यूजियम फॉर चिल्ड्रन’ पहल के तहत संग्रहालय द्वारा बच्चों के लिए विभिन्न गतिविधियों जैसे कार्यशालाएं, ड्राइंग एवं पेंटिंग प्रतियोगिताएं, कठपुतली शो,
फिल्म फेस्टिवल इत्यादि आयोजित किए जाते रहे हैं।
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