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“वंशवादी राजनीतिक दलों” से देश के लोकतंत्र को खतरा है -जे पी नड्डा

अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आज गुरुवार को नई दिल्ली स्थित नेहरू ऑडिटोरियम में वंशवादी राजनीतिक दलों से लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को खतरा विषय पर रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी के तत्वाधान में आयोजित सेमिनार को संबोधित किया और इसे समसामयिक एवं अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि परिवारवाद पर आधारित कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों का मुख्य उद्देश्य येन-केन प्रकारेन, सत्ता प्राप्त करना है और परिवारहित में सत्ता का दुरुपयोग करना है। उन्होंने कहा कि विचारधारा विहीन पार्टियों से भारतीय जनता पार्टी को कोई नुकसान नहीं है लेकिन “वंशवादी राजनीतिक दलों” से देश के लोकतंत्र को खतरा है क्योंकि हमारे देश सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

नड्डा ने कहा कि 21 सदी में जब दुनिया में लोकतंत्र की महत्ता को स्वीकार कर उसे स्थापित करने में लगी है तब भारतीय लोकतंत्र में परिवारवाद की पार्टियाँ राजतंत्र लाने का प्रयास कर रही है। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए स्वस्थ राजनीतिक पार्टियों का होना अति आवश्यक है। संविधान में स्पष्ट कहा गया है कि जन्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव असंवैधानिक और गैर-क़ानूनी है किंतु परिवारवादी राजनीतिक पार्टियों में अमूमन वही अगला
अध्यक्ष होता है जो अध्यक्ष का बेटा होता है या उस परिवार में जन्म लेता है। राजतंत्र वाली यह परम्परा भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
कांग्रेस पार्टी में परिवार के अंदर ही अध्यक्ष पद के लिए चल रहे खींचतान पर तंज कसते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार की पार्टी में लंबे से एक ही आदमी अध्यक्ष बना रहता है। उन लोगों का मानना होता है कि पार्टी का अध्यक्ष हम होंगे और यदि हम नहीं बनेंगे तो अस्थायी अध्यक्ष बनाकर पार्टी चलाएंगे। वंशवादी पार्टी में परिवार हित प्राथमिक होता है। वहां पर पार्टी का आतंरिक चुनाव भी फर्जी और एक तरह से महज दिखावा होता है। यदि परिवार के पक्ष में चुनाव है तो चुनाव करा लेंगे और नहीं है तो नहीं कराएंगे। ऐसी पार्टियां लोकतंत्र में अलोकतांत्रिक राजनीतिक पार्टी के रूप में काम करती हैं।

नड्डा ने इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल लागू कर देश की सत्ता कब्जाने एवं कांग्रेस पार्टी के समर्थन पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी अब न तो इंडियन है और न ही नेशनल। यह बहुत पहले से ही बस एक परिवार की पार्टी और अब तो भाई-बहन की पार्टी बन कर रह गई है। 1975 का आपातकाल और उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष द्वारा “इंडिया इज इंदिरा” और “इंदिरा इज इंडिया” कहना इसका बहुत बड़ा प्रमाण है। यह
संकेत देता है कि पार्टी की आत्मा बहुत पहले मर चुकी थी। वह जीवंत और लोकतांत्रिक पार्टी नहीं है। कांग्रेस सहित देश के अधिकांश क्षेत्रीय पार्टियों में परिवारवाद के वर्चस्व पर चिंता जाहिर करते हुए नड्डा ने कहा कि आज भाजपा को छोड़ कर लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां परिवारवाद और वंशवाद की समस्या से ग्रस्त है।

तमिलनाडु से लेकर बिहार और पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक लगभग सभी राजनीतिक दल वंशवाद आधारित दल के रूप में काम कर रहे हैं। वहां न तो विधायकों की भूमिका है, न सांसदों की और न ही किसी मंत्रियों की। यूपी में समाजवादी पार्टी, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, बिहार में आरजेडी, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी, जम्मू-कश्मीर में पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस, तमिलनाडु में डीएमके, तेलंगाना में टीआरएस, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर, झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा – इन पार्टियों का कोई लक्ष्य नहीं है।
लोकतंत्र पर मंडराते खतरे की ओर ध्यान दिलाते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि इन पार्टियों के बारे विस्तार से बताने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि 18 करोड़ सदस्यों वाली भाजपा किस तरह की पार्टियों से लड़ रही है।

भाजपा आज वंशवाद पर चलने वाली पार्टियों से लड़ रही है जिसके पास न तो विकास का विजन है और न ही कोई नीति। ये विचारधारा विहीन तो हैं ही, साथ ही इनका कार्यक्रम भी लक्ष्यविहीन है। ये वोटबैंक के तुष्टिकरण के लिए कार्यक्रम चलाते हैं न कि समाज कल्याण के हित में। खासबात है कि ये सभी परिवारवादी पार्टियों पहले क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां थी। इन्होंने क्षेत्रीय आकाँक्षाओं को जगा कर खुद को स्थापित किया। इसके लिए सिर्फ और
सिर्फ कांग्रेस पार्टी दोषी है क्योंकि कांग्रेस ने 60 वर्षो के शासन में राष्ट्रीय मुद्दों के समक्ष क्षेत्रीय विकास और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को कभी जगह नहीं दी। उन्होंने एक भारत और श्रेष्ठ भारत की अवधारण को लेकर चलने वाली भाजपा की विचारधारा को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि भाजपा “विविधता में एकता” को महत्व देती है। भाजपा इस अवधारणा पर चलती है कि केंद्र मजबूत होना चाहिए लेकिन क्षेत्रीय आकांक्षाओं को भी समुचित जगह मिलनी चाहिए और राष्ट्रीय उद्देश्यों की पूर्ति में उनका समावेश होना चाहिए जबकि कांग्रेस की नीतियों ने क्षेत्रीय पार्टियों को फलने-फूलने का अवसर दिया। क्षेत्रीय पार्टियों में व्यक्ति विशेष का कद विशेष रूप से बड़ा हो जाता है, जो धीरे-धीरे क्षेत्रीय पार्टी पर कब्जा कर लेता है। तत्पश्चात इन पार्टियों में विचारधारा एवं क्षेत्रीय आकांक्षा को दरकिनार कर दिया जाता है और परिवार हित सर्वोपरि हो जाता है।इसलिए ये पार्टियां पनपी, स्थापित हुई और कालान्तर में इन्होंने एक परिवार के हित में अपने आप को समर्पित कर दिया। नड्डा ने कहा कि परिवारवादी पार्टियां जाति और धर्म की राजनीति करने के साथ-साथ सत्ता में आने के लिए ध्रुवीकरण की राजनीति करती हैं।क्षेत्रीय पार्टी का नेता जिस जाति का होता है उस जाति को उभारता है। जिस धर्म को जोड़ने वोट मिलता है, उसके तुष्टिकरण में ही ये लगे रहते हैं। परिणामस्वरूप राष्ट्रीय उद्देश्य शून्य हो जाते हैं और सिर्फ सत्ता पाना ही मुख्य उद्देश्य हो जाता है। यह देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि परिवारवादी राजनीतिक दलों से ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि इन पार्टीयों का वोट बैंक धीरे-धीरे घटने लगता है और विचारधारा की पार्टी ही लंबे समय तक खड़ी रखती है। भारतीय जनता पार्टी विचारधारा आधारित पार्टी है और हमेशा आगे बढ़ेगी। हमने तो विषम से विषम परिस्थिति में भी अपनी विचारधारा से समझौता नहीं किया। देर सबेर इस तरह की पार्टियां राजनितिक परिदृश्य से चली जाएगी और भाजपा हमेशा जीतकर आएगी। नड्डा ने कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल महत्वपूर्ण उपकरण है। अगर वह स्वस्थ हो तो प्रजातंत्र स्वस्थ है। अगर वो अस्वस्थ है तो प्रजातंत्र अस्वस्थ है। इससे धीरे-धीरे प्रजातांत्रिक व्यवस्था पर आघात पहुंचने लगता है। पार्टी का स्वास्थ्य कैसा है, उसके सिस्टम कैसे हैं, ये सब बहुत महत्वपूर्ण है। इस महत्व को समझते हुए हमें ये ध्यान रखना होगा कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्य क्या हैं, relation between leaders क्या हैं, संगठन की विचार प्रक्रिया क्या है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा चार-चार पीढ़ियों के त्याग, तपस्या और बलिदान के बल पर इस मुकाम तक पहुंची है। भाजपा में साधारण एवं निम्न आय वर्ग के परिवार से आने वाले नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनते हैं तो मेरे जैसा साधारण परिवार से आने वाला व्यक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक पहुँचता है। यह भारतीय जनता पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को दर्शाता है। उन्होंने बौद्धिक एवं जागरुक लोगों से अपील करते हुए कहा कि आपलोग हमेशा हमे भी जागरूक रखना ताकि हमारे ताकत का पता चल सके और हम से कहां गलती हो रही है। भाजपा अपनी विचारधारा पर अटल रहती है। भाजपा ने 1951 में कहा था कि एक देश में दो निशान, दो विधान नहीं चलेंगे। इस स्टैंड पर हम कायम रहे जबकि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि धारा 370 तो अस्थायी है घिस घिसकर खत्म हो जाएगा। लेकिन जब धारा 370 खत्म करने का समय आया तो कांग्रेस को जम्मू एवं कश्मीर सिर्फ याद रहा और देश भूल गए। जम्मू एवं कश्मीर से द्धारा 370 ख़त्म करने के मामले में कांग्रेस ने राज्य सभा और लोकसभा में इसका विरोध किया था। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति थी जिसके बल पर धारा 370 धाराशायी हुआ।

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