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बालीवुड के किसी फिल्म जैसी रोचक दास्तान है नेपाल के कृष्णा की, एक मां ने जन्म दिया दूसरी ने 27 साल तक पाला

अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
ग्रेटर नोएडा : मिलने बिछड़ने की इस कहानी की स्क्रिप्ट किसी फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर ने नहीं, खुद ऊपर वाले ने लिखी थी, जिसमें नेपाल से रोजगार की तलाश आए एक ऐसे युवक की दास्तान है, जिसे 27 साल बाद अपने परिवार से मिलने की खुशी से ज्यादा पालने वाले परिवार से बिछड़ने का गम था. उसने नेपाल जाने से इंकार कर दिया. इस बीच उसकी मां को उसकी खबर लगी तो वो नेपाल से दादरी के कोट गांव पहुंची, तो मां को देख युवक पूरी तरह से टूट गया और उससे लिपट कर रोने लगा. अंततः पुलिस और परिवार वालों के बहुत समझाने पर वह नेपाल लौट गया.

बालीवुड के किसी फिल्म जैसी रोचक दास्तान है नेपाल का रहने वाला 14 वर्षीय कृष्णा उर्फ रवि जो अपने रिश्ते में चाचा लगने वाले टीकाराम के साथ रोजगार की तलाश में दिल्ली आया था. मानसिक स्थिति ठीक न होने पर वो रास्ता भूल गया और भटकते हुए ग्रेटर नोएडा के कोट गांव पहुंच गया जहां उसकी तबीयत खराब होने की वजह से बेहोश हो कर खेत में गिर पड़ा. ये खेत संजय का था जिसने उसे अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज कराया.

कृष्णा उर्फ रवि उसके साथ रहने लगा. इस बीच कृष्णा के परिवार वालों ने उसकी तलाश शुरू की और जब वह नहीं मिला तो उसके अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया पुलिस चाचा टीकाराम को कृष्णा को गायब करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

कोट गांव के रहने वाले संजय और उसके परिवार ने कृष्णा उर्फ रवि को अपने घर में न केवल लगभग 22 वर्षों तक रखा बल्कि उसे वे हर सुविधा उपलब्ध कराई जो उसको मिलनी चाहिए थी. इस बीच एक दिन रवि को कुछ लोग अपनी बातों में फंसा कर बागपत जिले ले गए जिस पर संजय और उसके परिजनों के द्वारा दादरी कोतवाली में रवि की गुमशुदगी दर्ज कराई और लगभग ढाई वर्षो के बाद रवि को बागपत से ढूंढ निकाला और एक बार फिर रवि संजय और उसके परिवार के बीच आ गया.

लेकिन यहां भी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था जिसके चलते बागपत के रहने वाले लोगों के द्वारा कृष्णा उर्फ रवि की जानकारी नेपाल एम्बेसी को देते हुए कहा कि रवि को जबरन कोट गांव में कैद करके रखा गया है जिस पर नेपाल एंबेसी ने इसकी जांच कराई और फिर इसकी जानकारी रवि के परिजनों को दी.जब नेपाल पुलिस उसे लेने आई तो रवि ने नेपाल जाने से इंकार कर दिया, अपने बेटे रवि को देखने के लिए बैचेन रवि की मां लक्ष्मी अपने आप को रोक ना सकी और दादरी चली आई और को देख उससे से लिपट कर रोने लगी. मां को देख कृष्ण उर्फ रवि पूरी तरह से टूट गया और उससे लिपट कर रोने लगा.

रवि को लगभग 22 वर्षों तक पालने वाली महिला और उसका बेटा संजय भी अपने आप को रोक नहीं पाया और रवि से बिछड़ने के गम में जमकर रोए इस दौरान थाने का माहौल भी गमगीन हो गया. पुलिस के अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए फिर कृष्णा उर्फ रवि को नेपाल से आए उसके परिजनों और पुलिस के हवाले करते हुए कृष्णा उर्फ रवि को वापस नेपाल के लिए रवाना कर दिया, वहीं दूसरी तरफ रवि के परिजनों ने लगभग 22 वर्षों तक रवि को अपने घर में शरण देने वाले लोगों को आभार प्रकट करते हुए उनका धन्यवाद किया और बालीवुड के किसी फिल्म की तरह इस कहानी की हैप्पी एंडिंग हो गई.

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