अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने विधानसभा में कहा कि असंवैधानिक तरीके से सर्विसेज को केजरीवाल सरकार से छीनकर केंद्र सरकार अधिकारियों के तबादले कर 6 लाख बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। भाजपा शासित केंद्र सरकार ताश के पत्तों और म्यूजिकल चेयर की तरह दिल्ली सरकार के विभागों के अधिकारियों का तबादला कर रही है। इससे सबसे ज्यादा उच्च शिक्षा प्रभावित हो रही है। वर्तमान में दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटीज में एडमिशन का समय चल रहा है लेकिन पिछले निदेशक के तबादले के बाद 22 दिनों से उच्च शिक्षा निदेशक के पद पर किसी को नियुक्त नहीं किया गया है। स्कूली शिक्षा बच्चों की नींव को मजबूत करती है। ठीक उसी तरह उच्च शिक्षा नौजवानों के भविष्य को संवारने का काम करती है। लेकिन आज केंद्र सरकार नौजवानों के भविष्य के साथ खेल रही है।
केंद्र सरकार ने सर्विसेज को दिल्ली की चुनी हुई सरकार से असंवैधानिक रूप से छीन कर ट्रांसफर पोस्टिंग की शक्ति छीन ली है। अब उन शक्तियों का दुरुपयोग कर ताश के पत्तों को फेंकने के समान दिल्ली के अधिकारियों का ट्रांसफर कर रही है। दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष और विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एमसीडी में बिल्डिंग डिपार्टमेंट के जूनियर इंजीनियर सात-सात साल से वहीं पर हैं। मगर उच्च शिक्षा के प्रमुख सचिव का तबादला कुछ दिनों में ही हो जाता है। ट्रेनिंग एंड टेक्निकल एजुकेशन विभाग के अंदर चार साल में 9 प्रमुख सचिव और 7 निदेशक बदले गए हैं। भविष्य में लोग हसेंगे कि एलजी को दिल्ली में तबादले करने की ताकत केंद्र सरकार ने दे दी थी। एलजी हर 2 महीने के अंदर उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक का ही तबादला कर देते थे। यह बात उन्होंने विधानसभा में अल्पकालीन चर्चा में कही।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लगातार तबादले पर विधानसभा में बोलते हुए कहा कि दिल्ली में संवैधानिक व्यवस्था के तहत भूमि, पुलिस व पब्लिक आर्डर केंद्र सरकार के पास है। उसके बाद सभी विभाग से संबंधित निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली के लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार के पास है लेकिन केंद्र सरकार बेहद बेशर्मी के साथ बाबा साहेब द्वारा बनाए गए संविधान की धज्जियाँ उड़ा रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार ने सर्विसेज को दिल्ली की चुनी हुई सरकार से असंवैधानिक रूप से छीन कर ट्रांसफर पोस्टिंग की शक्ति छीन ली है और अब उन शक्तियों का दुरूपयोग कर ताश के पत्तों को फेंटने के समान दिल्ली के अधिकारियों का ट्रान्सफर कर रही है। इसका सबसे ज्यादा नुक्सान उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में हुआ है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने असंवैधानिक रूप से दिल्ली की चुनी हुई सरकार की ये शक्तियां छीन कर दिल्ली में उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा को पूरी तरह बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहा कि संविधान के तहत उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा देने का अधिकार राज्य की चुनी हुई सरकार के पास- मुख्यमंत्री जी के पास है। उनके नेतृत्त्व में हम वर्ल्ड-क्लास स्किल सेंटर बना रहे है, अपनी यूनिवर्सिटीज में रिसर्च का काम कर रहे है लेकिन केंद्र सरकार सर्विसेज को छीन कर उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा किए जा रहे शानदार कामों को रोकने का प्रयास कर रही है।उन्होंने आगे कहा कि हाल ये हो चुका है कि किसी शानदार आईडिया पर आज शाम उच्च शिक्षा के डायरेक्टर के साथ चर्चा करो और प्लान बनाओ लेकिन अगले दिन पता चलता है कि केंद्र द्वारा उसका ट्रान्सफर कर दिया गया। केंद्र सरकार ने पूरे सिस्टम का मजाक बना दिया है। अगर कोई अधिकारी गलत कर रहा है तो बेशक उसका ट्रांसफर क्या जाए लेकिन इस बात का क्या औचित्य है कि बिना किसी कारण में हर 2-3 महीने में उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा के डायरेक्टर-सेक्रेटरी का ट्रांसफर कर दिया जाता है। ऐसी क्या वजह है कि केंद्र सरकार अधिकारियों का लगातार ट्रान्सफर कर रही है। उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि शायद केंद्र सरकार को शिक्षा की कोई समझ नहीं है इसलिए उच्च शिक्षा के अधिकारियों के साथ म्यूजिकल चेयर का खेल खेलते हुए उनका ट्रांसफर कर रही है। उन्होंने कहा कि जैसे स्कूली शिक्षा बच्चों के नींव को मजबूत करती है ठीक उसी तरह उच्च शिक्षा नौजवानों के भविष्य को संवारने का काम करती है लेकिन आज केंद्र सरकार नौजवानों के भविष्य के साथ खेल रही है| उन्होंने कहा कि वर्तमान में दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटीज में एडमिशन का समय चल रहा है लेकिन पिछले निदेशक के ट्रांसफर के बाद पिछले 22 दिनों से उच्च शिक्षा निदेशक के पद पर किसी को नियुक्त नहीं किया गया है. उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को बर्बाद करने के लिए ही केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से सर्विसेस को छीनने का काम किया है और 6 लाख नौजवानों के भविष्य के साथ खेल रही है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने विधान सभा में तबादले का मुद्दा उठाते हुए कहा कि दिल्ली में 2015 में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तो केंद्र सरकार एक नोटिफिकेशन लेकर आई थी। उस नोटिफिकेशन के हवाले से केंद्र सरकार ने सर्विसेज विभाग यानी कि अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार एलजी को दिए थे। इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में गया। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने केजरीवाल सरकार को वापस बहुत सारे अधिकार दे दिए। केंद्र सरकार इसके अंदर अभी भी अपनी मनमानी करके अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग करती है। यहां तक भी ठीक था कि आप अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग कीजिए। ऐसे अधिकारी जो अच्छा काम नहीं कर रहे हैं, उनको हटा दीजिए।उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार के सबसे महत्वपूर्ण विभाग हैं जो किसी भी समाज और देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। उन विभागों में प्रमुख सचिव के ट्रांसफर की लिस्ट निकाली है। जब मैं शुरू में विधायक बना था, तह जो आईएएस अधिकारी थे उनके नंबर नाम से फोन में नंबर सेव करता था। जैसे दिल्ली जल बोर्ड का कोई सीईओ है तो मैं उनके नाम के आगे लिखता था सीईओ दिल्ली जल बोर्ड। इनका एक-दो साल बाद तबादला हो जाता था तो उसके आगे लिख देता था कि ओल्ड और नए वाले के सामने लिख देता था न्यू सीईओ दिल्ली जल बोर्ड। इससे नंबर खोजने में आसानी होती थी। इसके बाद अधिकारी हर साल बदलने लगे। इसके बाद फिर मैं लिखने लगा प्रिंसिपल सेक्रेट्री एजुकेशन 2021, 2022 लिख देता था। अब मैंने एक अधिकारी को फोन किया था जिनके सामने 2022 प्रिंसिपल सेक्रेटरी लिखा था। तब उन्होंने बताया कि उनका तबादला हो गया है। ऐसे में मुझे अब महीने लिखने पड़ते हैं। अब मैं लिखता हूं कि जून 2022 प्रिंसिपल सेक्रेटरी हायर एजुकेशन।उन्होंने कहा कि एमसीडी में बिल्डिंग डिपार्टमेंट के जूनियर इंजीनियर सात-सात साल से वहीं पर हैं। मगर उच्च शिक्षा के प्रमुख सचिव का तबादला कुछ दिनों में ही हो जाता है। जबकि माना जाता है कि कोई आईएएस अधिकारी विभाग में आएगा तो उसको 6 महीने सीखने में लग जाता है कि आखिर इस विभाग में क्या है और क्या करना है? तकनीकी शिक्षा और उच्च शिक्षा वह विभाग हैं, जो देश का भविष्य बनाते हैं। इन फैक्ट्रियों में हर साल देश का भविष्य पैदा होता है। अगर आज हिंदुस्तान का नाम पूरे विश्व में है तो वह उन चंद हिंदुस्तानियों के नाम से है, जिन्होंने बहुत अच्छी बड़ी-बड़ी भारत की यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और उच्च शिक्षा ली है। उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और कोका कोला तक पहुंचे हैं। उन लोगों और देश का नाम इसलिए हुआ क्योंकि देश के बड़े शैक्षणिक संस्थानों से पढ़ कर निकले। यह फील्ड इतने महत्वपूर्ण और प्रतियोगी होते हैं कि इन के अंदर हर साल सिलेबस बदले जाते हैं। जब मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग की तो इसे सबसे अच्छा माना जाता था। एक-दो साल में ही कंप्यूटर साइंस का फील्ड आ गया। उसके बाद नए फील्ड इंफॉर्मेशन साइंस, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग जैसी नई नई ब्रांच आ गई है। उच्च शिक्षा के अंदर हर रोज दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी, संस्थान के सिलेबस, इंडस्ट्री-बिजनेस की जरुरत और हमारी अर्थव्यवस्था की पॉलिसी के मुताबिक रोज बदलाव करने हैं। हर रोज नए संस्थान खोलने हैं, नए पाठ्यक्रम लाने हैं और सिलेबस के अंदर बदलाव करने हैं। बाहर से अच्छे लोगों को यूनिवर्सिटी के अंदर लाना है। इस फील्ड को समझने के लिए 6 महीने लगते हैं। इसके बाद आप फिर सरकार का विजन और ट्रेंड्स देखते हैं बदलाव करने के लिए। मगर इतने में पता चलता है कि कुछ महीनों के अंदर अधिकारी बदल दिए जाते हैं। पिछले चार सालों में अधिकारियों के हुए तबादले की सूची पेश करते हुए कहा कि जून 2018 से जून 2022 तक विभागों में हुए अधिकारियों के तबादले की स्थिति यह है कि ट्रेनिंग एंड टेक्निकल एजुकेशन विभाग के अंदर 2018 में प्रमुख सचिव एच राजेश प्रसाद आए। उनका 24 दिन के बाद तबादला हो गया। इसके बाद डॉक्टर जी नागेंद्र कुमार का 1 महीने 11 दिन में तबादला हो गया। इसके बाद देवेंद्र सिंह का 5 महीने 28 दिन, शिव प्रताप सिंह को 8 महीने 9 दिन, जी नागेंद्र कुमार 4 महीने 11 दिन, मनीषा सक्सेना 6 महीने में तबादला कर दिया। इसके बाद दोबारा एच राजेश प्रसाद को ले आए और 6 महीने 25 दिन में फिर तबादला कर दिया। इसके बाद एसपी दीपक कुमार को लाए और 5 महीने 28 दिन में ही तबादला कर दिया। अब आरएलएस वाज 9 महीने 9 दिन से टिकी हुई हैं। यह मुबारकबाद की हकदार हैं कि 9 महीने पूरे किए। वरना अधिकतम 8 महीने से ज्यादा कोई नहीं टिका है। केंद्र सरकार ऐसा कैसे करती है कि 24 दिन के लिए किसी अधिकारी को लाए और उसके बाद कहे कि यह ठीक नहीं है। इसको बदलो और नया लाए। इसके बाद फिर 1 महीने 11 दिन में उसको बदल दिया जाए। जिस तरह से ताश के पत्तों को फेंकते रहते हैं और जो निकल गया, उसको डाल देते हैं। यह उच्च शिक्षा का हाल है। दुनिया का कोई भी प्रशासनिक आदमी बताएं कि क्या कोई लॉजिक है और कोई दिमाग लगाकर सोचता है कि इसके अंदर क्या कर रहे हैं। देश की राजधानी की सरकार के उच्च शिक्षा विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग इस तरह से हो रहे हैं। सौरभ भारद्वाज ने टेक्निकल और ट्रेनिंग एजुकेशन डिपार्टमेंट के निदेशकों के तबादलों की जानकारी देते हुए कहा कि गरिमा गुप्ता 2 महीने 8 दिन, वीरेंद्र कुमार 3 महीने 12 दिन, देवेंद्र सिंह 3 महीने 26 दिन, एसएस गिल 1 साल 6 महीने, अजीम उल्हक 11 महीने 16 दिन, रजना देशवाल 10 महीने 8 दिन में तबादला कर दिया। यह हाल उच्च शिक्षा विभाग का है। जैसे लूडो खेलते हैं और जिसका पासा आ गया उसका तबादला कर दिया। हैरानी की बात है कि यह वह विभाग हैं जिनके ऊपर पूरे देश, राज्य की शिक्षा व्यवस्था और भविष्य निर्भर करता है। प्रमुख सचिव पद पर 4 साल में 9 लोगों के ट्रांसफर कर दिए और निदेशक के पद पर 4 साल में 7 लोगों के तबादले कर दिए। इसी तरह का रवैया दूसरे विभागों में है। उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि तबादले एलजी करते हैं। लेकिन जो भी लोग इनके पीछे तबादले करते हैं उन से निवेदन है कि कम से कम इन विभागों को तो बख्श देना चाहिए। इन बेहद पवित्र विभागों के अंदर सालों का विजन तैयार होता है। उसके अंदर अगर आप इस तरह से तबादले करेंगे तो काम कैसे होगा। यह सारी चीजें रिकॉर्ड हो रही हैं, भविष्य के अंदर लोग हसेंगे कि एक ऐसी भी सरकार दिल्ली के अंदर चली थी, जहां पर एलजी को पावर केंद्र सरकार ने दे दी थी। एलजी हर 2 महीने के अंदर उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक का ही तबादला कर देते थे। सदन इसके ऊपर चर्चा करे और उपराज्यपाल को संदेश जाए। क्योंकि यह हमारे पूरे भविष्य के साथ खिलवाड़ है और उसको रोकना चाहिए।
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