अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की तिकड़ी अपने विज्ञापन में दावा करते रहते हैं कि हमने दिल्ली की स्कूली व्यवस्था बदल कर विश्वस्तरीय बना दिया है। अब खुद दिल्ली सरकार ही मान रही है कि दिल्ली के स्कूलों में क्या- क्या कमियां हैं। 15 से अधिक स्कूलों की एक बहुत बड़ी फेहरिस्त दी गई है कि इन स्कूलों में क्या क्या गड़बड़ी है और किस प्रकार से ये गड़बड़ी अभिभावकों, स्कूल के बच्चों और वहां के स्टॉफ को प्रभावित कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक प्रोपगेंडा के तहत दिल्ली के स्कूलों को विश्व के सबसे अच्छे स्कूल बताने में दिन रात लगे रहते हैं।
मनीष सिसोदिया के शिक्षा विभाग ने पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्यपालक अभियंता को एक पत्र लिखा है.
इस पत्र ने दिल्ली के स्कूलों की पोल खोल करके रख दी है। दिल्ली के स्कूलों के भवन निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत करते हुए पीडब्ल्यूडी के कार्यपालक अभियंता को लिखे गए इस पत्र में स्कूलों में लीकेज, सैनिटेशन, बिजली, पेयजल आदि की व्यवस्क्था में भारी गड़बडी का जिक्र किया गया है। कई स्कूलों के भवन खास्ता हाल स्थिति में हैं ।दिल्ली सरकार ने स्कूलों की व्यवस्था को बेहतरीन करने का दावा किया था, लेकिन दस्तावेज के माध्यम से अरविंद केजरीवाल सरकार की एक और सच्चाई खुलकर सामने आ गई है।दिल्ली के जहांगीरपुरी, शक्करपुर आदि कई जगहों पर स्थित स्कूल के निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार हुआ है। ये स्कूल भवन कभी भी गिर सकते हैं। एक स्कूल में तो जल रखने के लिए टंकी की व्यवस्था तक नहीं है।
अशोक नगर स्थित एक स्कूल की शिकायत है कि निर्माण कार्य में निम्न स्तर का सामान इस्तेमाल किया गया है। शिक्षा विभाग खुद पत्र लिख रहा है कि स्कूलों के भवन आदि निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद अपने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को भ्रष्ट नहीं होने का प्रमाण लगातार दे रहे हैं । ध्यान रहे, सत्येन्द्र जैन पीडब्ल्यूडी विभाग भी संभालते हैं। स्कूलों में निम्नस्तर के मटेरियल इस्तेमाल किया जा रहा था। इसके बावजूद, सत्येन्द्र जैन को अरविन्द केजरीवाल लगातार क्लीन चिट देते आ रहे हैं। यह चिंता का विषय है। अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया वर्ल्ड क्लास एजुकेशन की बात करते रहते हैं. शिक्षा क्षेत्र में जहां इन्हें प्राथमिकता के साथ कार्य करने की जरुरत थी वहीँ ये लोग दिन रात सिर्फ प्रोपगेंडा फ़ैलाने का काम करते रहे।
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