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गुडगाँव

डीसी ने ली स्ट्रक्चरल ऑडिट को लेकर डिवलेपर, फर्म तथा आरडब्ल्यूए सदस्यों की सामुहिक बैठक।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
गुरुग्राम: गुरुग्राम के उपायुक्त  निशांत कुमार यादव ने रिहायशी सोसायटियों के स्ट्रक्चरल ऑडिट को लेकर बुधवार को डिवलेपर, ऑडिट करने वाली फर्म के सदस्यों तथा उन सोसायटियों के निवासियों की एसोसिएशन सदस्यों की एक संयुक्त बैठक बुलाई। उन्होंने कहा कि पहले चरण में उन 17 सोसायटियों का ऑडिट करवाया जाएगा जिनकी शिकायतें पहले आई थी, उसके बाद अन्य सोसायटियों में भी जरूरत के अनुसार ऑडिट होगा।

इस बैठक में उपायुक्त ने बताया कि प्रशासन ने स्ट्रक्चरल ऑडिट के लिए चार फर्मो को सूचीबद्ध किया है जिनका पहले इस विषय में लंबा अनुभव है। ये फर्में शुरू में 17 रिहायशी सोसायटियों में जाकर पहले विज्युअल इंस्पेक्शन करेंगी। उसके बाद जिन सोसायटियों के स्ट्रक्चर या इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमी मिलेगी उनके फिर दूसरी स्टेट और तीसरी स्टेज के टेस्ट होंगे। विज्युअल इंस्पेक्शन के दौरान इन सोसायटियों में रहने वाले लोगों की एसोसिएशन के दो प्रतिनिधि तथा डिवलेपर का प्रतिनिधि भी फर्म के साथ मौजूद रहेंगे। जिन सोसायटियों में एक से ज्यादा एसोसिएशन हैं, उनके प्रत्येक के एक-एक सदस्य को शामिल किया जाएगा। रेजिडेंट्स एसोसिएशन कोशिश करें कि अपनी सोसायटी के सिविल इंजीनियर या आर्किटेक्ट, यदि कोई हो, तो उन्हें प्रतिनिधि के तौर पर फर्म के साथ लगाएं ताकि वे स्ट्रक्चर में कमियों को सही ढंग से दिखा सकें।

इसके साथ उपायुक्त ने सभी रेजीडेंट्स को यह भी आश्वस्त किया कि निरीक्षण में जो भी कमियां सामने आएंगी, उन्हें दूर करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि समय-समय पर रेजीडेंट्स के साथ बैठक करके आगे की कार्यवाही के बारे में विचार विमर्श किया जाएगा। जिला प्रशासन के अधिकारी भी बीच-बीच में किसी सोसायटी में जाकर ऑडिट कार्य का जायजा लेंगे।उन्होंने रेजिडेंट्स तथा डिवलेपर दोनो पक्षो से इंस्पेक्शन में सहयोग करने की अपील की है। उपायुक्त ने कहा कि इस शुक्रवार तक सभी डिवलेपर रिहायशी सोसायटियों के स्ट्रक्चरल और आर्किटेक्चरल डिजाईन डीटीपी कार्यालय में जमा करवा देंगे। उसके बाद सोमवार से ऑडिट फर्मो को वर्क अलॉट कर दिया जाएगा। ये फर्मे समानांतर रूप से सभी 17 रिहायशी सोसायटियों में निरीक्षण करेंगी और उनका स्ट्रक्चरल डिजाईन देंखेगी। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान फर्म ऑडिट की प्रक्रिया के बारे में भी बताएगी। उन्होंने कहा कि यदि रेजीडेंट्स के प्रतिनिधि नहीं भी होंगे तो भी ये फर्मे ऑडिट का काम सही ढंग से करेगी क्यांेकि इन फर्मों की साख भी जुड़ी हुई है। किसी बिल्डिंग को फर्म ऑडिट में ठीक बता दे और बाद में कमियां निकल आएं तो फर्म की साख पर फर्क पड़ता है। उन्होंने कहा कि फर्म स्ट्रक्चरल ऑडिट का कार्य 45 दिन में पूरा करेंगी। वे अलग-अलग सोसायटियों में समानांतर रूप से ऑडिट करेंगी। इसके साथ उपायुक्त ने यह भी कहा कि रेजीडेंट्स की एसोसिएशन इन फर्मों को कमियां दिखाए लेकिन इतना ज्यादा भी दखल अंदाजी ना करें कि फर्म ऑडिट ही ना कर पाए। उपायुक्त ने कहा कि ऑडिट के लिए फर्म को रिहायशी सोसायटी अलाट करते समय यह ध्यान रखा जाएगा कि उस डिवलेपर ने उस फर्म के साथ पहले काम ना किया हो। उन्होंने बताया कि रेजीडेंट्स को आने वाले 4-5 दिन में यह अवगत करवाया दिया जाएगा कि कौन सी सोसायटी का ऑडिट कौन सी फर्म कर रही है। उन्होंने कहा कि विज्युअल इंस्पेक्शन के बाद यह तय होगा कि किस सोसायटी में स्ट्रक्चरल सेफ्टी के लिए टेस्ट करवाने की जरूरत है। सभी सोसायटियों में टेस्ट करवाना मुनासिब भी नही है क्योंकि यह महंगा कार्य है और इसमें समय भी लगता है। इससे पहले लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता प्रवीण कुमार ने बताया कि किस प्रकार से जिला प्रशासन ने इन ऑडिट फर्र्माे का चयन किया है।बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा, लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंत प्रवीन कुमार, डीटीपी अमित मधोलिया भी उपस्थित थे।

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