अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरूग्राम: हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (हरेरा) गुरुग्राम ने लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में आईएसएच रियेलटर पर 12 लाख (बारह लाख) रूप्ये का जुर्माना लगाया। रेरा के प्रवक्ता ने बताया कि इस मामले में कई अनियमितताएं सामने आई हैं । उन्होंने बताया कि डीटीसीपी ने गांव पावल खुसुरपुर स्थित सेक्टर 109 गुरुग्राम की राजस्व संपदा में पड़ने वाली 3.7187 एकड़ भूमि पर वाणिज्यिक परियोजना के विकास के लिए जितेंद्र जांघू के साथ सात भूस्वामियों के पक्ष में लाइसेंस जारी किया था। प्राधिकरण ने लाइसेंस के किसी भी रिकॉर्ड में आईएसएच रियेलटर्स का कोलेबोरेट्रर्स के रूप में कोई उल्लेख नहीं देखा, फिर भी उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए यूनिट बेची और खरीदारों से धन एकत्र किया। आईएसएच रियेलटर ना तो लाइसेंस होल्डर था और ना हो कालेबोरेटस फिर भी उसने नियमों का उल्लंघन करते हुए कमर्शियल प्रौजेक्ट में यूनिटों को आबंटियों को बेचा और लोगों के साथ धोखाधड़ी की। इस मामले का रेरा द्वारा जुलाई माह में संज्ञान लिया गया।
इस मामले में प्राधिकरण ने जांच के दौरान पंजीकरण प्रक्रिया में दस्तावेजों संबंधी अनुपालना में लापरवाही बरतने पर आईएसएच रियल्टर पर 12 लाख रुपये की राशि का जुर्माना लगाया है। वर्तमान में यह परियोजना चल रही है और वर्ष 2017 में हरियाणा में इसके अस्तित्व में आने के बाद इसे रेरा के साथ पंजीकृत किया जाना था। रेरा के चेयरमैन डा. के के खंडेलवाल ने कहा कि ‘हमारा उद्देश्य उन आबंटियों के हितों की रक्षा करना है जिन्होंने परियोजना में अपनी मेहनत की कमाई का निवेश किया है, इसलिए रेरा ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए लाइसेंस / भूमि मालिकों और कोलैबोरेटर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जुलाई में पहली बार मामले की सुनवाई करते हुए, प्राधिकरण ने कंपनी के अनुरोध पर आईएसएच रियल्टर को रेरा पंजीकरण के लिए आवेदन करने और अनिवार्य औपचारिकताओं को पूरा करके पंजीकरण प्रमाण पत्र (आरसी) प्राप्त करने के लिए दो महीने का पर्याप्त समय दिया था।
कंपनी के प्रतिनिधियों ने रेरा के समक्ष दूसरा अवसर देने का अनुरोध किया जिस पर प्राधिकरण एक सप्ताह का समय देने के लिए सहमत हो गया।प्राधिकरण ने कंपनी के निदेशकों और शेयरधारकों के एडिश्नल डिटेल की मांग करते हुए कहा, ‘आईएसएच रियल्टर्स को दस्तावेजों की कमी को पूरा करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जा रहा है, जिसमें विफल होने पर इसे बार-बार अपराध माना जाएगा और एक आपराधिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी और इस मामले की और सख्ती से जांच की जाएगी। इस बीच, प्राधिकरण ने आईएसएच रियेलटर्स को किसी भी बैंक खाते से कोई पैसा/राशि निकालने से रोक दिया है, जहां आबंटियों के परियोजना में किसी भी इकाई के पैसे की बिक्री आबंटन/बुकिंग/प्रोविजनल अलॉटमेंट के संबंध में किसी भी अन्य बैंक खाते में जमा या स्थानांतरित किया गया था। प्राधिकरण ने इंडसइंड बैंक, डिफेंस कॉलोनी, नई दिल्ली में आईएसएच रीयलटर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर बैंक खाते को फ्रीज करने के निर्देश जारी किए। ‘यूनिवर्स सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड‘ के निदेशक पुष्पेंद्र सिंह राजपुरोहित ने जुलाई में आईएसएच रीयलटर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ धोखाधड़ी की रेरा में शिकायत दर्ज करवाई थी। राजपुरोहित ने दावा किया कि उन्होंने 2.02 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान करके आईएसएच रियेलटर्स से 12,286 वर्ग फुट का सुपर एरिया स्पेस 6300 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से खरीदा है। राजपुरोहित ने अपनी शिकायत में कहा, ‘पर्याप्त राशि प्राप्त होने के बावजूद न तो साइट पर कोई निर्माण किया गया और न ही डेवलपर/ प्रमोटर द्वारा कोई विकास कार्य किया गया।‘ जांच के दौरान प्राधिकरण द्वारा यह पाया गया कि जिस परियोजना का विज्ञापन, विकास और बिक्री की गई थी, वह पंजीकृत नहीं थी। खंडेलवाल ने कहा, ‘यह अधिनियम की धारा 3 (1) का घोर उल्लंघन है और अधिनियम के तहत निर्धारित मानदंडों की अवहेलना पाए जाने पर कारावास भी हो सकता है। यदि यह प्राधिकरण की जांच में विफल रहता है, खंडेलवाल ने कहा कि यदि कोई प्रमोटर धारा 3 का उल्लंघन करता है तो वह दंड के लिए उत्तरदायी होगा जो अधिकतम परियोजना की अनुमानित लागत का दस प्रतिशत हो सकता है।
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