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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आज आयोजित प्रेस वार्ता में पीएम मोदी को हाथ जोड़ते हुए क्या कहा- वीडियो सुने।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा-

• मोदी सरकार ने रुपए को इतिहास में सबसे कमजोर किया, 1 डॉलर के मुक़ाबले 82 पार करने पर तुला हुआ है।
• पिछले 12 महीनों में रुपए के मूल्य में 12% से ज़्यादा गिरावट।
• मोदी सरकार के कार्यकाल में 1 डॉलर के मुक़ाबले 24 रुपए (43.5%) गिरा भारतीय रुपया।
• विदेशी मुद्रा भंडार पिछले 1 महीने में 26 बिलियन डॉलर कम हुआ, 1 साल में 642 बिलियन डॉलर से गिरकर 545.5 बिलियन डॉलर पर पहुँचा।
• लगातार रुपए के गिरने से महंगाई और बढ़ी, लोन की किश्तें भी बढ़ीं।
• जून 2013 में रुपया 15% गिरकर 1 डॉलर के मुक़ाबले 58 से 69 पर पहुँचा था, लेकिन 4 महीने के अंदर रुपया को मज़बूत करके वापस 58 $ पर ले आए।
मोदी सरकार ने इतिहास में सबसे कमज़ोर किया रुपया

• इतिहास में पहली बार डॉलर के मुक़ाबले भारत का रूपया 82 की तरफ़ तेज़ी से दौड़ लगा रहा है – अब 1 अमरीकी डॉलर के बदले 81.47 रुपए देने होंगे। लग रहा है मोदी जी पेट्रोल की तरह रूपये से भी शतक लगवाने के लिए बेताब हैं।
• मोदी जी की असीम अनुकम्पा से रुपया निरंतर कमजोर होते हुए इतिहास में सबसे कमज़ोर बन गया है और जो गिरती साख की बात करते थे, ना जाने किस गड्ढे में गोता खा रही आबरू को अब ढूँढ ही नहीं पा रहे हैं।
आगे बात करने से पहले कुछ तथ्य सामने रख दें:

• ठीक एक साल पहले, सितम्बर 2021 में 1 डॉलर के मुक़ाबले रुपए का मूल्य 73 था, जो अब 81.47 हो गया है – मतलब 12 महीने में 12% से ज़्यादा गिर गयी प्रधानमंत्री की आबरू।

• 26 मई 2014 को जब मोदी जी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तब 1 डॉलर के मुक़ाबले रूपए का मूल्य 58.62 था, मतलब मोदी जी के कार्यकाल में रुपए का मूल्य 41.5% गिरा है ।

• रुपया गिरता ही जा रहा है-

$1 = ₹45 (2004)

$1 = ₹58 (2014) ( 13 रुपए)

$1 = ₹82 (2022) (24 रुपए)

• भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ठीक एक साल पहले, सितम्बर 2021 में 642 अरब डॉलर था, अब 545.65 अरब डॉलर है।
• यही नहीं, सिर्फ 1 महीने पहले देश का विदेशी मुद्रा भंडार 571 अरब डॉलर था, जो अब 545 अरब डॉलर पर आ गिरा है। यानि 1 महीने में 26 अरब डॉलर की गिरावट!
1) पर सवाल तो यह है कि रुपए के कमजोर होने का असर आपकी जेब पर कैसे पड़ता है?

• रुपया कमजोर होने का मतलब है आयात की लागत बढ़ना। जैसे – कोई सामान विदेश से 1 डॉलर में आता है तो सितंबर 2021 में हमें 73 रुपए चुकाने होते थे।
• वहीं, अब इसी सामान के 82 रुपए चुकाने होंगे, पूरे 9 रुपए ज्‍यादा।
• जब कोई सामान विदेश से 9 रुपए ज्‍यादा कीमत पर देश में आएगा, तो लोगों को भी महंगे दाम पर मिलेगा। जैसे – भारत 80% कच्‍चा तेल आयात करता है, अब यह महंगे दाम पर भारत आएगा।
• तेल महंगा होगा, तो महंगाई बढ़ेगी; आख़िर डीज़ल के ट्रकों से ही ज़्यादातर माल (फल, सब्ज़ी, खाद्यान्न, और अन्य चीजें) ढोए जाते हैं, तो उसकी लागत बढ़ जाएगी। इसकी वजह से चीजें महंगी होंगी।
2) महंगाई का असर बैंक की किश्तों पर कैसे पड़ता है?

• जब महंगाई बढ़ेगी तो RBI इसे काबू करने के लिए ब्‍याज दर बढ़ाएगी। ऐसे में लोन की EMI (किश्तें) बढ़ जाएगी और लोगों को ज्‍यादा रकम चुकानी होगी।
3) क्या सरकार कुछ नहीं कर रही है?

• मोदी सरकार पानी की तरह पैसा बहाने के बावजूद रुपए को स्थिर करने में नाकाम है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ठीक एक साल पहले सितम्बर 2021 में 642 अरब डॉलर था, अब 545.65 अरब डॉलर है।
• लेकिन असली कहानी तो यह है कि सिर्फ 1 महीने पहले देश का विदेशी मुद्रा भंडार 571 अरब डॉलर था, जो अब 545 अरब डॉलर पर आ गिरा है। 1 महीने में 26 अरब डॉलर की गिरावट।
• एक साल में सरकार ने 96 अरब डॉलर से ऊपर लगाए हैं, रुपए को मज़बूत करने में, लेकिन अर्थव्यवस्था में व्याप्त कमियों के कारण ऐसा हो ना सका।
• मोदी सरकार की विफल नीतियों से उपभोग, निवेश और रोज़गार के टूटे चक्र और महंगाई के कारण निवेशकों का भरोसा मार्केट में डगमगा चुका है। इसी कारण वह पलायन कर रहे हैं – जिससे रुपया और कमज़ोर होता जा रहा है।
4) क्या रुपए का गिरना निर्यात के लिए सुखद संदेश है?

• ऐसा होता अगर हमारा निर्यात बढ़ रहा होता, लेकिन अगस्त में आयात 37% बढ़ कर 61.9 अरब डॉलर पर पहुँचा, वहीं निर्यात मात्र 1.5% बढ़ कर 33 अरब डॉलर पर है।
• अगस्त में व्यापार घाटा लगभग ढाई गुना बढ़कर 28.7 अरब डॉलर पर पहुँचा, जो रुपए को और कमजोर करेगा।
5) 2013 में रुपया गिरा, तो इतनी बखूबी से सम्भाला कैसे?

• 82 की तरफ़ लुढ़कते रुपए और सरकार की विफलताओं के बचाव में 2013 में रुपए की गिरावट पर बड़ी चर्चा होती है, पर असलियत यह है कि 2013 में तो अंतर्राष्ट्रीय कारण और भी भयावह थे, और तब कांग्रेस सरकार ने रुपए को मज़बूत करके ही दम लिया था।
• जून 2013 में जब taper tantrum के चलते विदेशी निवेशक देश छोड़ के जाने लगे, तब रुपया मई से अगस्त के बीच 15% गिर कर 58 $ से 69 $ पर पहुँच गया था।
• लेकिन डा मनमोहन सिंह जी की सरकार, वित्त मंत्री पी चिदम्बरम और तत्कालीन RBI गवर्नर रघुरामराजन ने साथ मिलकर रुपए को सम्भाला: 4 महीने के अंदर ना सिर्फ़ रुपया वापस 58 $ पर ले कर आए, बल्कि 1 साल के अंदर GDP ग्रोथ 5.1% से बढ़ा कर 6.9% भी लाए। यही नहीं, 12 अरब डॉलर का जो विदेशी निवेश देश छोड़ के गया था उसके बनिस्बत 35 बिलियन डॉलर का निवेश वापस भारत में आया।
रुपए से भी शतक, मोदी जी?

प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी जी कहते थे- रुपए के साथ देश के प्रधानमंत्री की साख गिरती है और सरकार बनने पर रुपए को 40 डॉलर पर लाएँगे। रुपए का कमजोर होना आपके और देश के कमजोर होने की निशानी है।

मोदी जी से एक ही आग्रह है कि रुपए को शतक लगाने से रोक लें।

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