अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: देश से बाहर नौकरी करने वालों, पढ़ने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। प्रदेश में भी अधिकतर परिवार के बच्चे बाहर जाकर पढ़ाई कर रहे है और कई वहीँ के स्थाई निवासी हो गए है। साइबर ठग आजकल इसी जानकारी के आधार पर विदेशी रिश्तेदार बनकर साइबर अपराधी खूब चपत लगा रहे है । रिश्तेदार या दोस्त दूर होने के कारण , चिंता अधिक होती है, जिसका फायदा साइबर ठग उठाते है और अक्सर पीड़ित के पास अंतराष्ट्रीय कॉल की सुविधा नहीं होती है और वो हड़बड़ाहट में साइबर अपराध में फंस जाता है।
मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर ठगा, 1930 पर कॉल की तो बचे 2.5 लाख
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पंचकूला निवासी प्रेम चंद ने अपनी शिकायत में बताया उसका भतीजा कनाडा में पढ़ाई कर रहा है। शिकायत अनुसार पीड़ित की पत्नी के पास 16 सितंबर को एक अनजान नंबर से एक कॉल आई जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को उसका भतीजा बताया और कहा कि पार्टी के दौरान उसका किसी से झगड़ा हो गया है। झगडे में सामने वाले को चोट लग गई है और अगर उसका इलाज नहीं करवाया तो पुलिस कार्रवाई की जाएगी। शिकायत अनुसार तीन किश्तों में उसने ठगों को कुल 7.5 लाख रूपए रकम ट्रांसफर की है।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि फ्रॉड की जानकारी होने पर प्रेम चंद ने 1930 पर शिकायत दर्ज कार्रवाई जिस पर तुरंत कार्रवाई कर पुलिस ने खाते को फ्रीज़ कर 2.5 लाख रिफंड करवाए।
सोशल मीडिया से लेते है विदेशी रिश्तेदारों की जानकारी, डिपोर्ट होने का दिखाते है डर।
प्रदेश के इस क्षेत्र में अधिकतर लोगों के रिश्तेदार व् बच्चे विदेश में रह रहे है और पढाई कर रहे है। साइबर ठग अक्सर फेसबुक व अन्य सोशल मिडिया से जुड़कर अपने शिकार को ढूंढते है। वहीँ से इन्हें जानकारी प्राप्त होती है और उसी आधार पर अपराध को अंजाम दिया जाता है। जैसा की विदित है, ऐसे ही अन्य एक केस में पंचकूला एक व्यक्ति को साइबर अपराधी ने खुद को विदेश में रहने वाला भतीजा बताकर इसी मोडस ऑपरेंडी के तहत 6 लाख की ठगी की थी जिसमें 1930 पर शिकायत करने के बाद साइबर टीम ने 2.5 लाख रुपए बचाये थे।
इसी तरह एक अन्य केस में कैथल निवासी साहब सिंह को कनाडा से ठगों ने वकील बनकर फ़ोन किया था। जिसमें साहब सिंह के रिश्तेदार को पुलिस से लड़ाई होने व डिपोर्ट करने का डर दिखाया था। उक्त केस में साहब सिंह ने ठगों की बातों में आकर एक लाख रूपए भेज दिए थे लेकिन साइबर फ्रॉड समझ आते , 1930 पर शिकायत दी गई व साइबर टीम ने उक्त केस में 90 हज़ार रूपए बचाने में सफलता हासिल की। ऐसे ही एक अन्य केस में सोनीपत निवासी महिला से दोस्ती के नाम पर करीबन सवा दो लाख की ठगी की गई थी जिसकी शिकायत 1930 पर करने के बाद 1.35 लाख रुपए पुलिस द्वारा बचाए गए थे।
साइबर ठगी एक संगठित अपराध है, सोशल मीडिया को परिवार तक ही सीमित रखें – ओ पी सिंह, आईपीएस
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अपराध ओ पी सिंह, आईपीएस , ने बताया कि साइबर ठगों के निशाने पर हर वो शख्स है जो किसी भी डिजिटल माध्यम से जुड़ा है। फिर चाहे वो सोशल मीडिया हो या इंटरनेट बैंकिंग। ख़ास तौर से आज के दौर में जब हमारी ज़िन्दगी सोशल मीडिया पर एक खुली किताब के समान हो गई है। बदलते वक्त के साथ साइबर ठगों ने अपने पैंतरे भी बदले हैं। आज शायद ही कोई शख्स हो जो इंटरनेट का इस्तेमाल न करता हो और उसका सोशल मीडिया पर अकाउंट ना हो। आज फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम और ट्विटर से लेकर वाट्सएप तक आपका अकाउंट होगा। साइबर ठग सोशल मीडिया के जरिए आपसे दोस्ती करते हैं और धीरे-धीरे आपकी ना सिर्फ बैंक से जुड़ी जानकारी बल्कि आपके परिवार की जानकारी भी हासिल कर लेते है। विदेश में बच्चों व रिश्तेदारों का होना आजकल एक सामान्य बात हो गई है और इसी का डर दिखाकर साइबर अपराधी अपने मंसूबों में कामयाब हो रहे है। ऐसे में जनता को इस बात का ख्याल रखना है की सोशल मिडिया एकाउंट्स लॉक रखें जाएँ। अपनी परिवार की जानकारी सामाजिक ना करें। विदेशी रिश्तेदारों के नाम से आने वाली कॉल पर जल्दबाज़ी ना दिखाएं। पहले पूरी तरह से संतुष्ट हो जाएँ उसके बाद ही कोई कदम उठाएं। साइबर अपराध होने की स्थिति में 1930 पर तुरंत अपनी शिकायत दर्ज करवाएं।