अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
नोएडा के सेक्टर- 93 ए स्थित ट्विन टावर के मलवा हटाने के काम नवंबर में प्रदूषण बढ़ने से प्रभावित हुआ है और यहाँ पर मलबा हटाने को रोक दिया गया है. ग्रैप लागू होने के बाद भी शहर की आबोहवा लगातार बेहद खराब बनी हुई हैं। एनजीटी के मानकों के अनुसार प्राधिकरण क्षेत्र में निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है। और यहां काम कर रहे 235 मजदूरों को छुट्टी दे दी गई है। यह काम कब शुरू होगा अभी इसकी कोई जानकारी कोई भी अधिकारी देने को तैयार नहीं है। ट्विन टावर के मलबे को ग्रीन नेट से ढक दिया गया है ताकि धूल न उड़े, मशीनें शांत खड़ी है, और यहाँ काम करने वाले मजदूर नदारद नजर आ रहे है,
क्योंकि यहां पर मलबा हटाने का काम को पूरी तरह से रोक दिया गया है। मलबे से निकाले स्कैप को कुछ मजदूर जरूर ट्रक में भर रहे हैं ताकि इन्हें हटाया जा सके लेकिन मलबे का तोड़ने और उसे हटाने का काम पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। नोएडा सेक्टर-93 ए में बने सुपरटेक ट्विन टावर को 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुरक्षित तरीके से ब्लास्ट करके गिरा दिया गया था. जिसमें करीब 80 हजार टन अनुमानित मलबा निकला था। वहां से मलबा हटाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग को तीन महीने का समय दिया गया है। इसमें 15 दिन का समय अथॉरिटी से एनओसी न मिल पाने के कारण यूं ही बर्बाद हो गया था। अब नवंबर में प्रदूषण बढ़ने से जो अड़चन आ रही है। इससे यहां से मलबा जल्द साफ होने की उम्मीद कम ही जा रही है।
ट्विन टावर के मलबे को हटाने के काम की देखरेख कर रहे सुपरवाइजर रोहित कुमार बताते है कि ग्रैप लागू होने के बाद एनजीटी के मानकों के अनुसार मलवा हटाने को रोक दिया गया था। काम बंद होने कारण मजदूरों को वेतन देना काफी मुश्किल हो रहा है, इसलिए उन्हें छुट्टी दे दी गई अब तक इस साइट से 25 ट्रक लगभग 510 लोहे का स्क्रैप हटाया जा चुका है, जबकि 5340 टन कंक्रीट और मलबा 267 तक उनसे लाद कर हटाया गया है.
उनका कहना है कि अग्रीम आदेश आने के बाद काम को चालू किया जाएगा। ट्विन टावर की साइट पर लगाई गई पुलिस की व्यवस्था भी हटा दी गई है लेकिन दोनों तरफ बैरिकेडिंग लगाकर लोगों की आवाजाही पर रोक लगाया गया है। यहां पर एडिसिफ कंपनी के सुरक्षा कर्मी व्यवस्था को देख रहे है। वहीं, रेजिडेंट्स चाहते हैं कि जल्द से जल्द यहां से मलबा हटे तो वह राहत की सांस लें। उनका कहना है मलबे को ठीक तरीके से ढका नहीं गया है नियमित पानी का छिड़काव न होने के प्रदूषण की समस्या बनी हुई है। जरा सी हवा चलने पर आसपास के टावरों में लोगों को धूल की वजह से दिक्कत हो रही है। हवा जहरीली होने से सांस रोगियों की परेशानी बढ़ती जा रही है।
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