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अपराध हरियाणा

पलवल:ड्यूटी मजिस्ट्रेट दंड प्रक्रिया संहिता-1973 में निहित कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियों का करेगा प्रयोग: हितेश कुमार

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़:हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि राज्य सरकार ने लापता व्यक्तियों से संबंधित मामलों की जांच के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की गई है। इस एसओपी के तहत यदि 4 माह के भीतर जिला पुलिस द्वारा गुमशुदा बच्चों का पता नहीं लगाया जाता है, तो राज्य अपराध शाखा में गुमशुदा व्यक्तियों से संबंधित मामलों को अपने हाथ में ले लिया जाता है और लापता व्यक्तियों को ढूंढने के लिए कार्यवाही में तेजी लाई जाती है।विज ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि पुलिस विभाग और बाल कल्याण समितियों द्वारा ढूंढे गए लापता व्यक्तियों हेतु क्राइम एवं क्रिमिनल टैªकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) में इंटीग्रेटिड इस्वैस्टीकेट फार्म (आईआईएफ-9) को भरने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया जाए ताकि लापता व्यक्तियों के लिए बने सीसीटीएनएस के आईआईएफ 8 के साथ इन आंकड़ों का मिलान किया जा सकें। इन दोनों के मिलान से लापता व्यक्तियों का पता लगाने में सहयोग मिलेगा और पाए गए व्यक्तियों और बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया जा सकेगा।
         
विज ने कहा कि मानव तस्करी रोधी इकाइयों तथा जिला पुलिस द्वारा वर्ष 2020, 2021 और 31 अक्तूबर, 2022 तक कुल 39830 गुम हुए बालकों व व्यक्तियों को रिकवर करने और बाल भिक्षुकों तथा बाल श्रमिकों का बचाव करने की उपलब्धि हासिल की है।उन्होंने बताया कि मानव तस्करी रोधी इकाइयों द्वारा वर्ष 2020, 2021 और 31 अक्तूबर, 2022 तक कुल 11353 गुम हुए बालकों व व्यक्तियों को रिकवर करने और बाल भिक्षुकों तथा बाल श्रमिकों का बचाव करने की उपलब्धि हासिल की है। इसी प्रकार, जिला पुलिस द्वारा कुल 28477 गुम हुए बालकों व व्यक्तियों को रिकवर करने और बाल भिक्षुकों तथा बाल श्रमिकों का बचाव करने की उपलब्धि हासिल की है। मानव तस्करी रोधी इकाइयों द्वारा वर्ष 2020, 2021 और 31 अक्टूबर, 2022 तक 18 साल से ऊपर के गुम हुए 650 पुरूषों तथा 884 महिलाओं, 18 साल से नीचे के गुम हुए बालकों में 836 लड़के और 651 लड़कियों को रिकवर किया गया। इसी प्रकार, वर्ष 2020, 2021 और 31 अक्तूबर, 2022 तक बाल भिक्षुकों में 2653 लडकें और 1256 लड़कियों  और बाल श्रमिकों में 4144 लडकें तथा 279 लड़कियों को  बचाया गया। श्री विज ने बताया कि मानव तस्करी रोधी इकाइयों द्वारा वर्ष 2020 में 18 साल से ऊपर के गुम हुए 5 पुरूषों तथा 22 महिलाओं, 18 साल से नीचे के गुम हुए बालकों में 204 लडकें और 100 लड़कियों को रिकवर किया गया।
        
इसी प्रकार, वर्ष 2020 में बाल भिक्षुकों में 858 लडकें और 366  लड़कियों और बाल श्रमिकों में 978 लड़के तथा 110 लड़कियों को  बचाया गया। इसी तरह, मानव तस्करी रोधी इकाइयों द्वारा वर्ष 2021 में 18 साल से ऊपर के गुम हुए 377 पुरुषों तथा 546 महिलाओं, 18 साल से नीचे के गुम हुए बालकों में 374 लड़के और 348 लड़कियों को रिकवर किया गया। इसी प्रकार, वर्ष 2021 में बाल भिक्षुकों में 1247 लड़के और 651 लड़कियां और बाल श्रमिकों में 1970 लड़के तथा 122 लड़कियों को बचाया गया। उन्होंने बताया कि मानव तस्करी रोधी इकाइयों द्वारा 31 अक्टूबर, 2022 तक 18 साल से ऊपर के गुम हुए 268 पुरुषों तथा 316 महिलाओं, 18 साल से नीचे के गुम हुए बालकों में 258 लड़के और 203 लड़कियों को रिकवर किया गया। इसी प्रकार, 31 अक्तूबर, 2022 तक बाल भिक्षुकों में 548 लडकें और 239  लड़कियों  और बाल श्रमिकों में 1196 लडकें तथा 47 लड़कियों को बचाया गया।उन्होंने बताया कि जिला पुलिस द्वारा वर्ष 2020, 2021 और 31 अक्टूबर, 2022 तक 18 साल से ऊपर के गुम हुए 7379 पुरुषों तथा 14989 महिलाओं, 18 साल से नीचे के गुम हुए बालकों में 2365 लड़के और 3478 लड़कियों को रिकवर किया गया। इसी प्रकार, वर्ष 2020, 2021 और 31 अक्तूबर, 2022 तक बाल भिक्षुकों में 46 लडकें और 14  लड़कियों  और बाल श्रमिकों में 194 लड़के तथा 12 लड़कियों को बचाया गया।ऐसे ही, वर्ष 2020 में 18 साल से ऊपर के गुम हुए 2030 पुरूषों तथा 4576 महिलाओं, 18 साल से नीचे के गुम हुए बालकों में 595 लड़के और 894 लड़कियों को रिकवर किया गया। इसी प्रकार, वर्ष 2020 में बाल भिक्षुकों में 21 लड़के और 12 लड़कियां और बाल श्रमिकों में 82 लड़के तथा 12 लड़कियों को बचाया गया। इसी तरह, वर्ष 2021 में 18 साल से ऊपर के गुम हुए 2594 पुरूषों तथा 5391 महिलाओं, 18 साल से नीचे के गुम हुए बालकों में 854 लड़के और 1406 लड़कियों को रिकवर किया गया। इसी प्रकार, वर्ष 2021 में बाल भिक्षुकों में 25  लड़के  और 02  लड़कियों  और बाल श्रमिकों में 71 लड़कों को बचाया गया। इसी प्रकार, 31 अक्तूबर, 2022 तक 18 साल से ऊपर के गुम हुए 2755 पुरूषों तथा 5022 महिलाओं, 18 साल से नीचे के गुम हुए बालकों में 916 लड़के और 1178 लड़कियों को रिकवर किया गया। इसी प्रकार, 31 अक्तूबर, 2022 तक बाल श्रमिकों में 41 लड़कों को बचाया गया। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज के लिए मानव तस्करी एक बुराई है और मानव (विशेषकर महिलाओं और बच्चों) को वेश्यावृत्ति, घरेलू कामगारों, भीख माँगने, जबरन विवाह और जबरन श्रम के उद्देश्य से तस्करी की शिकायतें दर्ज होती हैं । उन्होंने ऐसे घिनोने कार्य में संलिप्त लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि या तो वे इस कार्य को छोड दें अन्यथा हरियाणा को छोड दें वरना उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। विज ने कहा कि मानव तस्करी समस्या से निपटने के लिए वर्तमान में हरियाणा राज्य में कुल 22 मानव तस्करी रोधी इकाइयां (एएचटीयूएस) कार्यरत हैं, जो राज्य अपराध शाखा, हरियाणा की देखरेख में पंचकूला, अंबाला, यमुना-नगर, मधुबन, सोनीपत, पानीपत, कुरुक्षेत्र, कैथल, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, जींद, भिवानी, रोहतक, चरखी दादरी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, मेवात, रेवाड़ी, नारनौल और झज्जर में स्थित हैं।  इन इकाइयों में वर्तमान में 09 एसआई, 08 ईएसआई, 22 एएसआई, 08 ईएएसआई, 46 एचसी, 02 ईएचसी और 02 कांस्टेबल सहित कुल 97 पुलिस अधिकारी काम कर रहे हैं।  इन इकाईयों के मुख्य कार्य में बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) और जिला पुलिस के समन्वय से काम करना है तथा मुख्य कार्य लापता व्यक्तियों को छुड़ाना और उन्हें उनके माता-पिता/अभिभावकों के साथ फिर से जोड़ना, बाल भिक्षुकों को छुड़ाना और बाल श्रमिकों को छुड़ाना है।  

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