अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:सुप्रीम कोर्ट के आदेश का गंभीरता से पालन करते हुए आज एनआईटी नगर निगम प्रशासन ने बड़खल क्षेत्र में जबरदस्त तोड़फोड़ की कार्रवाई को अंजाम दिया। आज की कार्रवाई में नगर निगम प्रशासन ने 100 से अधिक मजबूत और पक्के, और दो- दो मंजिलों के कई मकानों को ध्वस्त कर दिया। जैसे जैसे लोगों के मकानों पर पोकलेन और अर्थ मूवर मशीने चल रही थी, उतनी ही बौछार से लोगों के आखों से आंसू बहती जा रहीं थी,जो रूकने का नाम नहीं ले रही थी,रो-रो कर उनकी छाती फटती जा रही थी, शरीर से पसीनें पानी की तरह बहती जा रही थी, भूखे- प्यासे रह कर अपने घरों से सामानों को निकालते हुए लोग नजर आ रहे थे ,
और नगर निगम और पुलिस के कर्मचारी उन्हें बार -बार यह कहते हुए नजर आ रहे थे कि अपने घरों को जल्दी-जल्दी खाली करों, लोग उन्हें ये कह रहे थे कि घर के सामानों को जोड़ने में पूरे के पूरे 50 साल लग गए, अब इसे 50 मिनट में कैसे खाली करें, और लोग फुट -फुट कर रोने लगते थे। इस तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान एनआईटी डीसीपी नरेंद्र कादियान के नेतृत्व में भारी पुलिस बल मौजूद थी। इस वजह से तोड़फोड़ की कार्रवाई आज शांति पूर्वक चल रही थी। खबर लिखे जाने तक तोड़फोड़ की कार्रवाई धड़ल्ले से जारी थी।
ओल्ड फरीदाबाद नगर निगम की संयुक्त आयुक्त डा. शिखा के नेतृत्व में एनआईटी नगर निगम का तोड़फोड़ दस्ता आज सुबह लगभग साढ़े 9 बजे बड़खल क्षेत्र में पहुंची, इस तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान ड्यूटी मजिस्टेट के रूप में नगर निगम के अधिशासी अभियंता ओमवीर सिंह व निगम के कार्यकारी अभियंता विनीत कुमार मौजूद थे,तोड़फोड़ की कार्रवाई की देखरेख एसडीओ सुरेंद्र हुड्डा व सुमेर सिंह कर रहे थे, इस तोड़फोड़ में नगर निगम प्रशासन ने दो पोकलेन और 6 अर्थमूवर मशीनों की मदद ली, की सहायता से आज बड़खल क्षेत्र में 100 से अधिक कच्चे-पक्के और दो-दो मंजिलों के मकानों को ध्वस्त कर चुके थे। खबर लिखे जाने तक तोड़फोड़ की कार्रवाई जारी थे। एसडीओ सुरेंद्र हुड्डा ने पूछने पर बताया कि अब तक लगभग 500 से अधिक मकानों पर बुल्डोजर कर नगर निगम की लगभग 25 एकड़ जमीनों को खाली कराए जा चुके हैं, जिनकी कीमत कई सौ करोड़ रूपए में हैं, का सही अंदाजा अभी तुरंत नहीं लगाया जा सकता हैं।
स्थानीय निवासी वसीम ने बताया कि लगभग 9 साल पूर्व में वह लोग गांव अटाली में रहते थे, 9 साल पूर्व में हुई हिंसा के बाद उनके 3 परिवार के लोग यहां रहने के लिए आ गए थे, लंबे संघर्ष करने के बाद फिर से उन्होनें छोटे -छोटे मकान जैसे तैसे कमा करके बनाए थे, वह भी नगर निगम ने आज तोड़ दिया। आखिरकार में वह लोग कहा जाए, उनके परिवार में छोटे -छोटे बच्चे हैं, घर में बड़े बुजुर्ग और महिलाएं हैं, इन्हें लेकर अब कहा जाए, कह रहे की घर से अपने -अपने सभी सामानों को तुरंत निकालों, ये सभी सामानों को लेकर अब कहा जाए , इतनी जल्दी तो किराए के मकान भी नहीं मिलेंगे, मिलेंगे भी तो उनका किराया बढे हुए हैं, इतने तादाद में यहां के लोग बेघर हुए हैं, इन्हें किराए का मकान कहा मिलेंगें । यहां तो कोई भी मददगार नजर नहीं आ रहा हैं।
चुनाव के समय तो बड़ी -बड़ी गाड़ियों में सफ़ेद पैजामा कुरता पहन कर बड़े -बड़े नेता गण वोट मांगने के लिए आ जाते हैं, इनमें में कोई नेता जीत जाता हैं, कोई हार जाता हैं, अब उन के ऊपर इतनी बड़ी मुसीबत आ गई हैं, किसी ने भी उन लोगों को ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं की, ना ही उन लोगो के खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं की, इनमें मानवता बिल्कुल खत्म हो गई हैं, या तो बिल्कुल बेशर्म हो गए हैं, उन्हें तत्काल ठहरने की व्यवस्था टेंट लगा कर करनी चाहिए थी , फिर धीरे -धीरे वह लोग अपनी कही और व्यवस्था कर लेते, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, और लोग फुट कर रोने लगते थे।
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