अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:राष्ट्रीय राजधानी को ‘झीलों का शहर’ बनाने के विजन को साकार करने के लिए केजरीवाल सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली की झीलों को पुनर्जीवित कर उन्हें आकर्षक पर्यटन स्थलों में तब्दील किया जा रहा है। इसी कड़ी में मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निलोठी में बनाई गई तीन कृत्रिम झीलों व निलोठी एसटीपी का मुआयना किया। इस मौके पर डिप्टी सीएम ने परिसर में मौजूदा 20 एमजीडी एसटीपी से ट्रीटेड पानी को इन झीलों में छोड़ा। साथ ही अधिकारियों को वैज्ञानिक पद्धति और प्रौद्योगिकियों के जरिए परियोजना के फायदों को लेकर स्टडी करने के निर्देश दिए। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने परियोजना का दौरा कर विभिन्न कार्यों में तेजी लाने के लिए कहा और पानी के रिसाव को बढ़ाने के लिए इलाके में जलस्तर में बढ़ोतरी को मापने व निगरानी करने के लिए अतिरिक्त रिचार्ज पिट बनाने के निर्देश दिए। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर जल्द पीजोमीटर स्थापित करने के निर्देश दिए।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार का उद्देश्य शहरी बाढ़ को रोकना और अवरुद्ध नालियों से बचने के लिए विभिन्न जलाशयों का निर्माण करना है। दिल्ली सरकार ‘सस्टेनेबल मॉडल’ का उपयोग करके झीलों का कायाकल्प कर रही है। झीलों के आस-पास पर्यावरण तंत्र को जीवित करने के लिए देसी पौधे लगाए जा रहे है। साथ ही सभी जल निकायों को सुंदर रूप देने की दिशा में कड़ी मेहनत की जा रही है। दिल्ली को झीलों का शहर बनाने की कवायद में दिल्ली सरकार की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक निलोठी झील है। इकोलॉजिकल सिस्टम को बनाए रखने और लागत प्रभावी तरीकों के साथ ज्यादा से ज्यादा अंडरग्राउंड वॉटर रिचार्च करने के लिए यहां एक साथ 3 झीलों का निर्माण दिल्ली जल बोर्ड द्वारा किया गया है। आज से इन झीलों में पानी भरना शुरू हो गया है। एक महीने में 3 झीलों में पानी पूरी तरह से भर जाएगा। जिसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा इनका उद्घाटन किया जाएगा।
निलोठी सीवरेज प्लांट के परिसर के अंदर की ये जमीन पूरी तरफ बंजर हुआ करती थी। केजरीवाल सरकार ने यहां एक साथ तीन झीलों का निर्माण कराया। ये मेगा झीलें निलोठी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के परिसर के अंदर 10.5 एकड़ में फैली हैं। झीलों की संचयी वॉटर होल्डिंग क्षमता 255 मिलियन लीटर है। इन 3 झीलों से करीब 25 मिलियन लीटर पानी रोजाना रिचार्ज किया जाएगा, जोकि हर साल 4600 एकड़ जमीन से प्राप्त ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने के बराबर है। इस परियोजना का उद्देश्य स्थानीय क्षेत्र में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के साथ-साथ भूजल स्तर को बढ़ाना है। यहां देशी पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। साथ ही जनता के लिए झीलों के साथ-साथ पर्यावरण अनुकूल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा भी तैयार किया जाएगा।उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि इन 3 झीलों के निर्माण के सभी कार्य पर्यावरण के अनुसार ही हो किए गए है। केजरीवाल सरकार का विजन दिल्ली को झीलों का शहर बनाना है। झीलों के निर्माण व कायाकल्प से न केवल भूजल स्तर बढ़ेगा, बल्कि क्षेत्र में एक इकोसिस्टम का भी निर्माण होगा। निलोठी झील को बनाने के पीछे का मकसद ग्राउंड-वाटर रिचार्ज करना और आसपास के गांवों में पानी की कमी को पूरी करना है। झील को यहां मौजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के ट्रीट हो रहे पानी से भरा जा रहा है। भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए झील में पीजोमीटर भी लगाए जाएंगे, जो पानी का स्तर कितना है, इसकी जानकारी देते हैं। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा की निलोठी की इन झीलों में सालभर साफ पानी भरा रहे। इन झीलों के चारों ओर शेष लैंडस्केपिंग अगले कुछ महीनों में पूरी कर ली जाएगी, जिसके बाद यह जनता के लिए ओपन कर ली जाएगी।इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सभी जल निकायों को सुंदर रूप देने की दिशा में कड़ी मेहनत कर रहे है। बारिश की बूंदों को सहेजने के लिए जलाशयों को जीवित करना बेहद जरूरी है। इसके लिए भी दिल्ली सरकार द्वारा काम किया जा हैं। ये झीलें कार्बन भंडारण के लिए एक सिंक के रूप में भी काम करेगी। पौधों, पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों के लिए आशियाना बनेगी। साथ ही यहां पर्यटक गर्मी से राहत के साथ सुकून के पल तलाश पाएंगे। झीलों से आसपास की आबोहवा भी साफ होगी। इससे महानगर की बढ़ती आबादी के लिए पानी की डिमांड और सप्लाई के अंतर को कम करने के अलावा गर्मी के चरम के दौरान तापमान को कम करने में भी मदद मिलेगी।
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