नई दिल्ली/अजीत सिन्हा
कांग्रेस अध्यक्ष व राज्य सभा सांसद मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा- सभापति मुझे कल बात करनी थी, लेकिन मेरी तबीयत आज भी ठीक नहीं है, खराब है, लेकिन मेरा कर्तव्य भी मुझे निभाना है। तो मैंने राष्ट्रपति जी का जो ये भाषण देखा और ये मेरा दुर्भाग्य है कि उस दिन मैं ज्वाइंट सेशन में हाजिर नहीं हो सका, क्योंकि कश्मीर में मौसम खराब होने की वजह से बहुत सी वहाँ की फ्लाइट कैंसिल हुई और अक्सर मेरी ये आदत होती है कि जब पार्लियामेंट चलती है, मैं हमेशा यहाँ पर हाजिर होने की कोशिश करता हूं। राष्ट्रपति जी के अभिभाषण के लिए मैं उनको शुभकामनाएं देता हूं, क्योंकि एक महिला राष्ट्रपति, जिन्होंने इस देश के लिए संदेश दिया और उन्होंने कुछ चीजें… अक्सर ऐसा होता है कि सरकार जो कहती है, वही राष्ट्रपति, गवर्नर कहते हैं।
तो मुझे तो थोड़ी उम्मीद इसलिए थी कि राष्ट्रपति भी अपना कुछ प्रेशर बना कर समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए कुछ ठोस संदेश देंगी और कुछ ठोस काम बताएंगी। ऐसी मेरी इच्छा थी, लेकिन मैं निराश हो गया। सर एक विजन स्टेटमेंट ये नहीं है, हमेशा राष्ट्रपति का जो अभिभाषण होता है, उसमें बहुत सी चीजें बताई जाती हैं कि हम आगे क्या करने वाले हैं और किस ढंग से इस देश को आगे चलाएंगे, किन-किन पॉलिसी पर हमारे आगे क्या कदम होंगे। लेकिन उसमें ज्यादातर यही था पिछले दिनों में उन्होंने क्या किया और कितना उन्होंने अचीव किया और कभी-कभी उसमें ये भी आया कि पिछली सरकारों ने क्या किया। ये मैं अपेक्षा नहीं करता था कि आप जो करते हैं, वो बोलिए। कितने दिन वही बोलेंगे, कि पीछे आपने क्या किया और अभी भी मैं भाषण सुन रहा था साहब का, बहुत ही लिस्ट बना-बनाकर कौन कितने काम किए, कौन-कौन से प्रोजेक्ट अटक गए थे, उसका पूरा उन्होंने ब्योरा दिया। लेकिन मेरे पास पूरा है, समय नहीं रहने की वजह से मैं वो सारा नहीं बता सकता।
मेरे पास अध्यक्ष यहाँ टेबल पर भी रखूंगा, वो रिकॉर्ड में नहीं आएगा। क्योंकि भाषण जो हम कहते हैं, वही रहेगा। 1947 से पहले इस देश की स्थिति क्या थी और 2014 तक स्थिति क्या थी और 2014 से लेकर आज तक क्या किया, ये सब इसमें है। अगर उतना टाइम आप देते हैं, मैं कंपैरेटिव बोल सकता हूं, लिटरेसी रेट पहले क्या था, लाइफ़ एक्सपेक्टेड क्या था, इंफ़ैंट मॉरटैलिटी क्या था, फीमेल लिटरेसी क्या था, एससी, एसटी क्या था, सारी चीजें बता सकता हूं, लेकिन इतने काम करने के बावजूद भी, क्या कहेंगे हम, इतनी जेलेसी क्यों है? भाई, अपनी बात को रखिए आप, लेकिन दूसरों ने जो काम किया, उसको भी थोड़ा सा कहिए, अगर बुनियाद नहीं हैं, तो वहाँ बिल्डिंग कहाँ खड़ी होगी? जब बुनियाद नहीं है, साहब बुनियाद में जो पत्थर जाते हैं, वो किसी को नहीं दिखते हैं, लेकिन ऊपर जो रहते हैं, वहीं इनॉगरेशन के नाम पर दिखते हैं। इसलिए मैं ये 10 पेज का पूरा यहाँ पर रखूंगा, लेकिन बोलने के लिए मेरे पास समय कम है। लेकिन आप बड़े दिल वाले हैं। मैं उतने समय का तो उपयोग करूंगा, लेकिन आपके पास डिस्क्रिशनरी पावर है ना सर। हमने तो दिया है आपको, ये हाउस को आगे बढ़ाने का समय भी आपके पास है। सभी को पूछ कर आप एक, 2 घंटे, 4 घंटे चला सकते हैं। तो सब सुप्रीम पावर आपके पास है, मेरे पास तो सिर्फ रिक्वेस्ट करने की है।
प्राइम मिनिस्टर साहब पार्लियामेंट जब चलती है, तो ज्यादा इधर ध्यान दें तो अच्छा रहेगा। लेकिन वो हमेशा इलेक्शन मोड में ही रहते हैं। इधर पार्लियामेंट चलती रहती है, उधर मेरे कॉन्स्टिट्यूएंसी में गए हैं, गुलबर्गा, वहाँ पर लंबा राउंड का कॉन्फ्रेंस है जाकर, पूरा हाल, अरे मेरी एक ही कॉन्स्टिट्यूएंसी मिली आपको और एक कॉन्स्टिट्यूएंसी में दो मीटिंग। (टीका-टिप्पणी पर बोलते हुए श्री खरगे ने कहा जो भी हंस रहे हैं, पहली बार हंस रहे हैं, मोदी साहब पहली बार हंस रहे हैं, आप उनको हंसने भी नहीं दे रहे हैं) मैंने ये कहा था उस वक्त तो नायडू साहब बैठे थे। तो मुझे महसूस ऐसा हो रहा है कि बात करने नहीं देते और 267 में चर्चा करने नहीं देते और कोई भी चीज हम उठाना चाहते हैं, आपका दिल दरिया होना चाहिए, कि आपको उसको अलाउ करना चाहिए। फिर बाद में सरकार है, उसको निपटाती है, वो कह देते हैं, इसको ठीक है, नहीं हैं, फिर आप सबको समझा देते हैं। इसलिए मेरा एक निवेदन है आपसे कि पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी में तो चर्चा होती है। जब होती है, तो उसका उत्तर भी मिलता है, तो इसलिए मैं आपसे फिर एक बार निवेदन करता हूं कि आप हमें ऐसे ही बोलने के लिए चांस देते जाओ, डेमोक्रेसी में सुनते जाओ और उसको सुलझाओ, जो भी हम सलाह देते हैं।
दूसरी बात, अब भारत जोड़ो यात्रा, राहुल गांधी जी कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक चले और हर रोज स्टेट में, मैं भी उसमें हाजिर हुआ और अपनी बात बहुत सी जगह कही और ये जो भारत जोड़ो यात्रा, ये कोई किसी के खिलाफ नहीं थी। ये 3,600 किलोमीटर चलना और लोगों के विचारों को सुनना और लोग जो कहते हैं, वो आगे के लिए मार्गदर्शन उसका लेना, यही मकसद था। लेकिन यहाँ पर जो सदन में मैं देखता हूं, सदन के बाहर भी मैं देखता हूं कि कभी भी नफरत की बात ज्यादा करते हैं। बार-बार मैं देखता हूं, हमारे रिस्पॉन्सिबल एमपी, मिनिस्टर ऐसी बात करते हैं कि कहीं भी जाओ हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-मुस्लिम। अरे वही है आपके लिए देश में, हिंदू-मुस्लिम ही मिलता है, दूसरे सब्जेक्ट नहीं मिलते, ये और दूसरी तरफ कहीं क्रिश्चियन का चर्च है, उसकी तरफ आपकी निगाह, एक शेड्यूल कास्ट का व्यक्ति किसी मंदिर में गया, तो उसको मारते हो, उसकी सुनवाई नहीं होती है। देखिए, आज हम शेड्यूल कास्ट को हिंदू समझते हैं ना, समझते हैं? समझते हैं तो उसको मंदिर में क्यों नहीं अलाउड है? समझते हैं तो उसको पानी क्यों नहीं देते हो? समझते हैं तो उसको शिक्षा क्यों नहीं? समझते हैं तो उसको बराबरी का स्तर क्यों नहीं देते हैं? अरे उसके घर में जाकर खाना खाकर शोर मचाते हैं। हमने आज शेड्यूल कास्ट व्यक्ति के मकान में जाकर खाना खाया। बहुत से मंत्री फोटो निकाल कर टीवी में बताते हैं कि आज शेड्यूल कास्ट के घर में खाना खाया। बड़ी बात है? अरे धर्म एक है ना? जब धर्म एक है…..सर मैं दुख के साथ कहता हूं कि मेरा दर्द दूसरे लोग समझ नहीं सकते हैं। इसलिए डॉ.बाबा साहब अंबेडकर ने कहा है कि जिसको दर्द होता है, उस दर्द में मलहम कौन लगाता है, उसी को महसूस होता है। जो मलहम नहीं लगाने वाले हैं या उसको देखने वाले नहीं, उनको मालूम नहीं होता है। जो झेलता है, ये कठिनाई उसी को मालूम होती है, दूसरों को नहीं। तो एक तरफ हमारे साथ भी नफरत। फिर उसके बाद धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, भाषा के नाम पर, वहाँ भी नफरत, नफरत से भरा हुआ है। इसलिए नफरत छोड़ो, भारत जोड़ो।
सर, कॉन्सिट्यूएंट असेंबली के मेंबर राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा था उस वक्त कि सभी समुदायों के अधिकारों का सम्मान करना होगा, चाहे हिंदू हो या मुसलमान, राजा हो या किसान, सबका सम्मान करना चाहिए, लेकिन आज नफरत हर जगह फैल रही है, उसको हमारे ही प्रतिनिधि लोग, मंत्री लोग बढ़ावा दे रहे हैं। लेकिन मैं प्रधानमंत्री जी से पूछता हूं कि आप चुप क्यों बैठे हैं? आप हर एक को डराते हैं, लेकिन इनको क्यों नहीं डराते हैं? जो लोग नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं, अगर आपकी नजर एक बार उधर गिरी, तो वो ऐसा बैठ जाएगा, कि मुझे टिकट मिलने वाला नहीं है, समझ कर वो बात बंद करेगा, बोलेगा नहीं, लेकिन आपके चुप्पी साधने की वजह से और आपके मौनी बाबा बनने की वजह से ये परिस्थिति बन रही है। (स्पीकर की टोका-टिप्पणी पर बोलते हुए श्री खरगे ने कहा देखिए, आप इतना इमोशनल मत हो जाइए साहब) अगर आप ऐसे इंटरप्ट करते गए, मैं क्या कहूं, क्योंकि जब फ्लोर पर हम बोलते हैं, अगर कहीं गलती है, आप एक्सपंज करो अगर कहीं ठीक नहीं है।
मैं आपको एक बात और बताना चाहूंगा। वहां पर मैं 5 साल फ्लोर लीडर था, मैं बहुत सी बातें करता था, लेकिन उसका उत्तर दे देता था, यहां पर मैं 2 साल से हूं, नीचे 9 साल था वहां पर कर्नाटक में और 5 साल डिप्टी लीडर था… उस वक्त जो लीडर थे वो थोड़े से बीमार थे तो मुझे थोड़ा सा तो अनुभव है साहब, लेकिन आप बार-बार मुझे टोक रहे हो, अपनी पोजिशन के तहत बात नहीं कर रहे हैं, मुझे बोलना भी आप सिखाएंगे।
सर आपने जो मुझे सलाह दी मैं उसका स्वागत करता हूं, लेकिन सलाह दोनों साइड होनी चाहिए मैं यही उम्मीद करता हूं। 2014 में प्रधानमंत्री जी ने एक बहुत बड़ी बात बोली या जुमला बोलिए ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ लेकिन मैं आपके सामने ये पूछना चाहता हूं कि चन्द उद्योगपतियों को क्यों खिला रहे हैं।
ये देखिए मोदी जी साहब के नजदीकी दोस्त की दौलत ढाई साल में 13 गुना बढ़ गई। 2014 में 50,000 करोड़ रुपए थी, 2019 तक 1 लाख करोड़ रुपए हुई, अचानक ऐसा क्या जादू हो गया कि 2 साल में 12 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति हो गई। मुझे समझ में नहीं आता इतना फास्ट डेवलपमेंट, ये क्या दोस्ती की मेहरबानी है, क्या आप उनसे…
दूसरा हिंडनबर्ग की रिपोर्ट तो है इंटरनेशनल, अब वो उसको मानते नहीं, लेकिन उसके बारे में मैं डीटेल जाना नहीं चाहता और फिर ऐसी गड़बड़ क्रिएट करके मेरा टाइम तो चला गया, मैं और आगे इसको बढ़ाना नहीं चाहता।
तो मैं आपके सामने इस व्यक्ति को जो प्रोत्साहन मिला है कि एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने इस ग्रुप को 82,000 करोड़ रुपए तक का लोन दिया। एक उदाहरण देता हूं साहब आप भी आश्चर्यचकित होंगे, मोदी साहब को भी ये मालूम होगा कि गुजरात में एक किसान को 31 पैसे बकाया के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं मिला।
मैं एनेक्सर साथ पढ़कर आपको बताऊंगा। सब धन कुबेरों के हजारों करोड़ों रुपए माफ, किसान के 31 पैसे बसूलने पर अड़ा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कर चुकाने के बाद भी किसान को नहीं दिया नो ड्यूस सर्टिफिकेट। कुछ ही समय बाद पूरा ऋृण चुका दिया, फिर भी बैंक उपभोक्ताओं को जमीन अपने नाम दर्ज नहीं कराने दिया गया, जमीन के नए मालिक 2 वर्ष पहले उच्च न्यायालय पहुंचे जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई और कोर्ट ने ये कहा कि 50 पैसे तक तो ये माफी है।
न्यायमूर्ति करिया ने कहा बैंकिंग अधिनियम के मुताबिक 50 पैसे से कम राशि को नजरअंदाज कर सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि मूल कर्जदार ने पहले ही ऋृण को पूरा चुका दिया था तो 31 पैसे के लिए, ये करोड़ो रुपए लूट रहा है… और दूसरी चीज ये है कि ये जो बैंक उनको शॉर्ट पीरियड में डिफेंस, एयरपोर्ट, पोर्ट, हाइवेज़, सोलर, विंड, गैस, मीडिया, सीमेंट… अब मेरे पास भी आ गए वो अब भाषणों में, चुनावी प्रचार में मोदी साहब मेरे पीछे लगे हैं… सीमेंट वो लेकर कारखाना, वहां पर कारखाना मेरे पास शाहबाद में खरीदा है।
तो ये है इनको पैसा तो पब्लिक सेक्टर ने दिया, बैंको ने दिया पैसा भी मेरा, मेरा मतलब जनता का, पैसा भी हमारा, एयरपोर्ट, पोर्ट, रोड भी हमारे, चलो हमारे ही पैसे से पब्लिक सेक्टर खरीदो और इसमें जो सामान्य लोगों को नौकरियां मिलती थीं पब्लिक सेक्टर में वो सब डूब गए, अगर पब्ल्कि सेक्टर जिन्दा होते तो उसमें रिजर्वेशन मिलता। आज आपको मालूम है इससे पहले भी मैंने आंकड़े निकालकर रखे थे और मैंने बोला था सरकार में चाहे डिफेंस हो, चाहे बीएसएनएल हो, दूसरे जितने भी पब्लिक सेक्टरर्स हैं, गर्वनमेंट के जितने भी स्कूल या सेन्ट्रल यूनिवर्सिटीज़ में ये सब नौकरियों का आप जायजा लेंगे 30 लाख वैकेंसीज़ हैं, 30 लाख में 15 लाख तो रिजर्वेशन मिलती है एससी को, एसटी को, बैकवर्ड क्लास को, आप भी शायद उसी में आते हैं, आपको भी उसका फायदा होता तो 15 लाख नौकरियों में से 10 परसेंट इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन के लिए ये नौकरियां क्यों नहीं दे रहे हैं, किसलिए नहीं दे रहे हैं, क्यों भर्ती नहीं कर रहे हैं और ये प्राइवेटाइज करके इनको नौकरी भी नहीं मिल रही है और अश्योरेंस जो लोगों को मिलता था वो भी खत्म हो रहे हैं और आप तो गरीबों के लिए ज्यादा काम करने वाले हो तो ये क्यों कर रहे हो, पब्लिक सेक्टर को मजबूत करो न, प्राइवेट सेक्टर में पूरा पैसा भेज रहे हो 82,000 हजार करोड़ रु। उसके बदले पब्लिक सेक्टर में इन्वेस्ट करो, दस लाख लोग पब्लिक सेक्टर में काम करते हैं और अडानी जी को 82,000 करोड़ रु. आप देकर उनके पास सिर्फ 30,000 लोग काम करते हैं, फिर भी उनको प्रोत्साहन मिलता है।
Sir, I differ with your opinion. If I speak truth, it is anti-national! I am not anti-national. I am more patriotic than anybody up here. I am a Bhumi Putra. I have not come from Afghanistan or from Germany or from other countries. I am native of this land, I am a Mool Bhartiya… don’t try to suppress me, my feelings. You are ruling the country and you are telling I am anti-national!
ये सारी चीजें मैंने आपके सामने रखीं कि किस ढंग से एक व्यक्ति ने हजारों करोड़ रुपए पब्लिक सेक्टर के बैंक्स से लिए और 2 ही साल में 12 लाख करोड़ की संपत्ति के ऊपर कब्जा करके आज बैठा है तो इसलिए हम चाहते हैं कि ज्वाइन्ट पार्लियामेंट्री कमेटी बैठाओ। 31 पैसे का भी आएगा, 12 लाख करोड़ रुपए का भी आएगा, हिंडनबर्ग की जो रिपोर्ट है वो भी आएगा, ज्वाइन्ट पार्लियामेंट्री कमेटी बैठाइए, उसके सामने हम भी आएंगे, वो भी आएंगे, ‘दूध का दूध और पानी का पानी होगा’ और अगर उसमें ये लोग जो घोटाले करने वाले हैं, पवित्र हरीशचन्द्र के जैसे निकलें तो आप और हम जाकर उनको हार डालेंगे, गले में माला डालेंगे।
ज्वाइन्ट पार्लियामेंट्री कमेटी से क्यों भाग रहे हैं, मुझे मालूम नहीं तो आप भागते जाओ, हम पीछे आपको पकड़ेंगे। एक तो ज्वाइन्ट पार्लियामेंट्री कमेटी की हमारी डिमांड है, सभी पार्टियों ने यहां पर रखा है और पूरी पार्टी के लोग एक होकर, एक आवाज में इस सदन में हमने पूछा है, उसको आप मानें देश के हित में। इसमें तो देशद्रोह का मामला नहीं है न, ये तो देश के हित में है न और हम तो इलेक्टेड रिप्रेजेंटेटिव है, हम तो कहीं बाहर से ऊपर से तो नहीं टपके हैं तो इसलिए मैं और डिमांड करूंगा, बार-बार डिमांड करूंगा ज्वाइन्ट पार्लियामेंट्री कमेटी आप बनाए।
दूसरी चीज अब डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशंस पर अटैक हो रहे हैं। इतना कि एक तरफ आप तो संविधान बहुत पढ़े हैं क्योंकि बहुत ही जाने-माने एडवोकेट हैं और आपने कहा… सर आप तो कॉन्स्टिट्यूशन के भी बहुत पंडित है, माहिर हैं और हमारा जो आइडिया भारत का है… सॉवरेन, सोशलिस्ट, सेक्युलर, डेमोक्रेटिक, रिपब्लिक, जिसमें हर नागरिक को लिबर्टी, इक्वैलिटी, फ्रेटरनिटी और जस्टिस मिले… ये है। लेकिन आज क्या हो रहा है, जो आदमी सच बोलता है, उसको बोलने नहीं दिया जाता। जो इंसान सच लिखता है, उसको लिखने नहीं देते। जो जर्नलिस्ट अपने विचार को लोगों के सामने रखता है, उसको जेल भेजा जाता है। अगर टीवी पर भी डिबेट होता है, 10 बजे का देखिए या 9 बजे का देखिए, डिबेट में भी अगर कोई सत्यता की बात कोई एंकर रखता है, तो दूसरे दिन ही उसको हटा दिया जाता है या तो खरीद लेते हैं। साहब, तो ये स्थिति है, ये मेरे ऊपर आ गया, ये कल आपके ऊपर भी आएगा। इसलिए मैं हाथ जोड़कर विनती करता हूं, ऐसी बात आप सुनिए।
तो दूसरी चीज, सर ये जो भारत का संविधान है, इस संविधान के तहत अगर हम चलेंगे, तो सबको सुख और समृद्धि मिलेगी। लेकिन हर चीज में इक्वैलिटी को खत्म कर रहे हैं, लिबर्टी को खत्म कर रहे हैं, जस्टिस नहीं है गरीबों के लिए और फ्रेटरनिटी तो नहीं है, ये हिंदू है, मुस्लिम है, क्रिस्चियन है, ये बुद्धिस्ट है, फलाना-फलाना। धर्म के नाम पर बांट रहे हैं, ये चीज आप लोग कर रहे हैं और उसका ब्लेम दूसरों पर डाल रहे हैं।
एक और बात, उसके बाद आपके पास बहुत से हथियार हैं डराने के लिए कि कहीं जनता से चुनी हुई सरकार बनती है, अगर आप लोगों को मेजॉरिटी नहीं मिलती है या आपके मन के मुताबिक सरकार वहाँ नहीं होती है तो लगाओ ईडी, लगाओ सीबीआई और ऑटोनॉमस बॉडी का इस्तेमाल करके हर जगह तोड़-फोड़ करके सरकार बना देते हैं। क्यों, एक-दो सरकार ज्यादा अपोजिशन में हो जाए तो क्या नुक्सान होने वाला है। आप तो इतने मेजॉरिटी से आए हैं, क्यों डर रहे हैं, मुझे तो समझ नहीं आ रहा है। तो बहुत है, इतनी मेजॉरिटी हो गई कि डाइजेस्ट ही नहीं होता, इतनी मेजॉरिटी है, फिर भी डरते हैं। ऐसा मत करिए। कभी-कभी होता है आदमी को बहुत मिलता है, तो अपनी परछाइ से भी डरता है, ऐसा होता है। तो इसलिए डरना नहीं। किसी पर आप इंकम टैक्स लगाते हैं। अगर आपकी बात कोई मानता नहीं, कोई मेंबर अगर आपके पार्टी में नहीं आता, तो उसको कुछ ना कुछ तरीके से, कहीं ना कहीं चाय पिलाकर आप उसको अंदर लाते हैं। ऑथेंटिकेट ! …. कितनी सरकार साहब, कर्नाटक की सरकार, महाराष्ट्र की सरकार, मध्यप्रदेश की सरकार, कितने ऑथेंटिकेशन करूं, मणिपुर की सरकार, गोवा की सरकार, कितनी हुईं? और एक बहुत बड़ी इंटरेस्टिंग मशीन मोदी साहब और शाह साहब ने खरीदी है, वॉशिंग मशीन। जो भी ईडी और इंकम टैक्स घोटाले में फंसे होते हैं मेंबर या उनके ऊपर कोई केस है, डरा कर उनको अपनी तरफ ले लेते हैं, फिर उनको वॉशिंग मशीन में डालते हैं। ये निरमा वॉशिंग मशीन है, उसमें डालते हैं, फिर निकालते हैं।
मैं ऐसे ही वॉशिंग मशीन शब्द का इस्तेमाल नहीं कर रहा, उस वॉशिंग में आने के बाद वो व्यक्ति, कलंकित व्यक्ति उज्ज्वल बनता है और उसके खिलाफ छापे बन्द हो जाते हैं और उसको वहां पर लिया जाता है। और दूसरी चीज बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को भी बैन किया गया है। मुझे मालूम हुआ बहुत सी यूनिवर्सिटीज़ में हंगामे हो गए, लाठीचार्ज हो गए, लेकिन जो भी चीजें अगर डेमोक्रेटिकली कोई डॉक्यूमेंट्री बताना चाहता है तो बताने दो, आपको क्या होने वाला है, आप तो उत्तर उसका देंगे और इसके बावजूद भी आप मजबूत हैं न, फिर क्यों डर रहे हो तो बीबीसी की जो… आपने तो बैन किया, बहुत से लोगों ने देखा… शाहरुख खान की फिल्म के जैसा होता है तो साहब, मैं बोलता हूं कि बैन आप जितना करते जाएंगे, रोकने की कोशिश जितना करेंगे, लोग उतना देखेंगे कि क्या है, उसमें क्या है।
तो इसीलिए मैंने कहा आपको कि डॉक्यूमेंट्री ही तो है, उसमें है क्या? मैं ये कोट अटल बिहारी बाजपेयी जी का करूंगा, ये तो कर सकता हूं न। अहमदाबाद में कहा था ‘साम्प्रदायिक हिंसा से विदेशों में भारत की छवि खराब हुई है’, मैंने नहीं कहा, ये अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा। ‘क्या मुंह लेकर विदेश जाऊंगा, राजधर्म का पालन नहीं हुआ’, ये मेरा नहीं है, ये अटल बिहारी वाजपेयी जी का है।
मैं मेरे मुंह से नहीं बोल रहा हूं, ये 4 अप्रैल का है, अगर आपको डीटेल जानना है तो मैं लाकर दूंगा। अब गुजरात मॉडल की बात बोलते हैं और डबल इंजन सरकार की बात। जब कर्नाटक में गए, प्रधानमंत्री जी ने कहा डबल इंजन सरकार रहे तो डेवलपमेंट होता है…. मैं जो गुजरात में डबल इंजन की सरकार है, उसके बारे में सिर्फ 2 मिनट में बताऊंगा। गुजरात में शिशु मृत्यु दर 31 परसेंट है 1,000 बच्चों पर। 100 पैदा होने वाले 25 परसेंट बच्चे कुपोषित होते हैं, गुजरात इसमें 30 राज्यों में से 29वें स्थान पर सबसे नीचे है, ये मैं नहीं बोल रहा, नीति आयोग और हार्वर्ड की रिपोर्ट के अनुसार तमाम हेल्थ इंडीकेटर्स पर गुजरात सबसे नीचे स्तर पर है और देश के 766 जिलों में से सबसे नीचे के 10 जिलों में से 6 जिले गुजरात के हैं, साहब आपको तो मालूम होगा।
ये गुजरात में डबल इंजन सरकार में स्वास्थ्य, शिक्षा और मानव संसाधन के हालात हैं। क्या आपको उतना अधिकार नहीं, प्रधानमंत्री को ये बताना होगा, क्योंकि साढ़े तेरह साल तो वहां मुख्यमंत्री थे और 9 साल से यहां प्रधानमंत्री हैं इससे पहले भी बीजेपी सरकार ही थी, जब 25-30 साल, 40 साल आप हुकूमत करते हो, खुद के प्रदेश में ये स्थिति है और दूसरों की बताते हैं!
मैं इन्फ्लेशन की तो बात नहीं करता, क्योंकि सभी ने कहा रिकॉर्ड इन्फ्लेशन, इस देश में कैसे महंगी हुई एलपीजी, पेट्रोल, डीजल और इन सारी चीजों में यूपीए की आप बात नहीं करते हो… यूपीए के समय में पेट्रोल के दाम 70 रुपए थे और सिलेंडर 410 रु. का था और कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत तो हाई थी। आज कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई है लेकिन एलपीजी और पेट्रोल एक साथ में बढ़ते जा रहे हैं। बेरोजगारी तो आपको मालूम है… वेकेंसी तो मैंने आपको बताया… मैं वो छोड़ देता हूं, लेकिन कम से कम प्रधानमंत्री मोदी जी ने जो वायदे किए थे इस देश की 130 करोड़ जनता को हर साल 2 करोड़ नौकरियां “युवाओं मैं अगर आ गया हर साल 2 करोड़ नौकरियां”, अब 2 साल में 18 करोड़ नौकरियां कहां हैं? 18 करोड़ तो छोड़िए, 50 लाख भी आप नहीं भर रहे हो।
सरकारी नौकरी नहीं भर रहे हो और गरीबों को जो मिल रहा है रिजर्वेशन में, वो नहीं मिल रहा है। बार-बार गरीबों की बात करने पर टोका जाता है, लेकिन आपने जो कहा – 2 करोड़ नौकरी, यहां कहीं भी नहीं मिल रही। 15 लाख तो बहुत होगा, फिर वो साफ-साफ उसको ये बोल देंगे कि अरे ये तो चुनावी जुमला था, छोड़ दो उसको तो छोड़ देता हूं मैं।
सर प्राइम मिनिस्टर के हर कार्यक्रम देश को बहुत भारी पड़े। और मोदी सरकार के नए कार्यक्रम नोटबंदी, उससे कितनी परेशानी हो गई लोगों को और फिर भी उसकी तारीफ करते रहते हैं। अरे जो नुकसान हुआ है, अगर ठीक नहीं है ये कार्यक्रम, मान लेने में कोई अपमान नहीं होने वाला है। अगर ठीक नहीं है, तो बोलिए ठीक नहीं है। जीएसटी का भी मिसमैनेजमेंट आपने किया। उसके बाद इकोनॉमिक सिचुएशन बिगड़ी और खाई बढ़ती जा रही है, गरीब और गरीब बनता जा रहा है, अमीर और अमीर बनता जा रहा है और ये मेरी रिपोर्ट नहीं है। फिर भी आप पूछते हैं तो ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट है कि टाप 5 प्रतिशत लोगों के पास 62 प्रतिशत दौलत है और वहीं बॉटम 50% लोगों के पास सिर्फ 3-4 प्रतिशत दौलत है। तो बताइए साहब, इसको कैसे ठीक करें। ये अभिभाषण में तो नहीं है कि गरीब को कैसे आप ऊपर ला रहे हैं। लेकिन इन बातों को आप नहीं करेंगे। कॉर्पोरेट वालों को 30 प्रतिशत से 22 प्रतिशत कर दिया और जो जीएसटी देने वाले लोग हैं गरीब, उनको तो कमजोर कर दिया, जो अमीर लोग आज बहुत पैसा कमा रहे हैं, वो तो जीएसटी कम देते हैं। तो आपने इसके बारे में भी कुछ नहीं कहा। एससी, एसटी, ओबीसी इनकी बात बहुत चली प्रेजिडेंट के अभिभाषण में, तो उस बारे में भी थोड़ा आपको सर मैं अपील करता हूं… कॉलेज, यूनिवर्सिटी का आपने निजीकरण बहुत किया। बहुत से कॉलेज आज प्राइवेट कर दिए हैं। एससी, एसटी, ओबीसी और यहाँ तक कि मैट्रिक स्कॉलरशिप, मौलाना आजाद फेलोशिप स्कीम सब बंद हो गए। अरे, एजुकेशन तो मोस्ट इंपॉर्टेंट। (पुन: टीका-टिप्पणी पर खरगे जी ने कहा – नहीं आप तो उसूलों की वजह से बंधे नहीं हुए हैं, आप किसी वजह से बंधे हुए नहीं हैं)
दूसरी बात, पैरा नंबर 26 में आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल की बात कही, लेकिन आज मेरे प्रश्न का उत्तर इस सदन में ही मिला है – 41 प्रतिशत टीचिंग पोस्ट खाली हैं। अब वो बच्चे क्या पढ़ेंगे, जिनको मैथमेटिक्स, साइंस, इंग्लिश के अध्यापक नहीं मिलते हैं, वो बच्चे आगे कैसे आएंगे? तो ये 41 प्रतिशत पोस्ट खाली हैं एकलव्य स्कूलों में, और आपने तो जिक्र किया है उसका और फिर ऑथेंटिसिटी पूछेंगे मेरे अनस्टार्ड क्वेश्चन का, रिप्लाई मैं