अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा असंवैधानिक तरीक़ों से की गई हालिया कार्रवाइयों पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि एलजी के आरोप पूरी तरह निराधार और ओछी राजनीति से प्रेरित हैं। एक तरफ उन्होंने दिल्ली सरकार की हर एक फाइल रोक रखी है, वहीं दूसरी तरफ वे सरकार पर पूरी दिल्ली में मंदिरों को तोड़े जाने से जुड़ी फाइलों में देरी करने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एलजी का यह व्यवहार उनकी प्राथमिकताओं पर संदेह पैदा करता है। एलजी दिल्ली में मंदिरों पर बुलडोजर चलाने के लिए इतना उत्साहित क्यों है? यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उपराज्यपाल इतने संवेदनशील मामले पर राजनीति कर रहे हैं, जो दिल्ली के दर्जनों पुराने मंदिरों से जुड़ा है। जबकि धार्मिक ढांचों में कोई संशोधन करने का निर्णय भी जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता, उन्हें गिराने की अनुमति देना तो बहुत दूर की बात है।
क्या एलजी के लिए सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फ़िनलैंड भेजने से ज़्यादा ज़रूरी मंदिरों को तोड़ना है? एलजी खुद को दिल्ली का लोकल गार्जियन” कहते हैं, तो वह जनहित की परियोजनाओं को मंजूरी क्यों नहीं देते हैं?उपराज्यपाल के पास प्रिंसिपलों, डीईआरसी चेयरमैन,कानूनी सलाहकारों की नियुक्ति के लिए अनुमोदन लंबे समय से लंबित है। एलजी राजनीति करने के बजाय इस दिशा में काम करें। मैं एलजी से विनती करता हूं कि वो बिना कोई बाधा डाले चुनी हुई दिल्ली सरकार को शांतिपूर्वक काम करने दें।उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज पूरी दिल्ली में धार्मिक ढांचों को गिराने के दिल्ली एलजी के प्रयास पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एलजी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने धार्मिक ढांचे को गिराने से संबंधित फाइलों को मंगवाया है। एलजी ने दावा किया है कि उक्त फाइलें मेरे विभाग द्वारा रोकी गई हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एलजी इतने संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। बता दें कि यह विचाराधीन मामला दिल्ली में दशकों पुराने कई बड़े मंदिरों सहित कई धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने की मंजूरी देने से संबंधित है।
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि ऐसी संरचनाओं में कोई भी संशोधन करने का निर्णय तक जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता है, उन्हें गिराने की अनुमति देना तो बहुत दूर की बात है। इस मामले से संबंधित सभी कारणों का आकलन किया जा रहा हैं। हम एक भी नागरिक की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहते हैं और इस तरह की कार्रवाई से होने वाले प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। उचित मूल्यांकन के बिना लिया गया कोई भी निर्णय समाज में गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है और इस प्रकार हम प्रत्येक पहलू की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद ही इस पर कोई निर्णय लेंगे।उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि क्या एलजी के लिए दिल्ली के मंदिरों पर बुलडोजर चलाना सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने से ज्यादा महत्वपूर्ण है? शिक्षकों को ट्रेनिंग पर भेजने की फाइल उनके पास महीनों से लंबित पड़ी है और उनके कार्यालय के चक्कर काट रही है। उपराज्यपाल ने सरकारी स्कूलों में 244 पदों पर प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति की मंजूरी पर रोक लगा दी है और विभाग से कहा है कि वह असेसमेंट स्टडी कराकर यह जांच करें कि स्कूलों में इन प्रधानाध्यापकों की आवश्यकता है या नहीं। यह पद पिछले पांच साल से खाली पड़े थे। यह कैसा मजाक है? यह चौंकाने वाली बात है कि राष्ट्रीय राजधानी के एलजी होने के बावजूद उनके पास ओछी राजनीति करने का समय है, लेकिन सार्वजनिक हित की परियोजनाओं को मंजूरी देने का नहीं।” उन्होंने आगे कहा कि यह कोई अकेला मामला नहीं है, 2015-16 में, दिल्ली सरकार ने शिक्षा अधिनियम में संशोधन को मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय को भेजा था। अगर संशोधन को मंजूरी दे दी गई होती तो हम निजी स्कूलों को विनियमित करने में सक्षम होते। लेकिन गृह मंत्रालय सात साल से फाइल को दबाए बैठा है। एलजी खुद को दिल्ली का “लोकल गार्जियन” कहते हैं। इसके बाद भी वो गृह मंत्रालय से उस फाइल को मंजूरी क्यों नहीं दिलाते? क्या इसलिए कि वे बच्चों को अच्छी शिक्षा देने से ज्यादा जरूरी धार्मिक ढांचे को गिराना मानते हैं?” एक अन्य मामले में सरकार ने नीतीश कटारा मामले को देखने के लिए एक वकील नियुक्त किया था, लेकिन एलजी ने उस फाइल को भी रोक रखा है। यह समझ से परे है कि एलजी को इतनी बुनियादी चीजों से भी समस्या क्यों है? वो इन फाइलों को क्लियर क्यों नहीं कर रहे हैं?”डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल और उनके कार्यालय को निर्वाचित सरकार के कार्यों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए। एलजी के पास क्लियर करने के लिए दर्जनों फाइलें पेंडिंग हैं, उन्हें इन फ़ाइलों पर गौर करना चाहिए, न कि राजनीति करने के लिए अपने पद का असंवैधानिक इस्तेमाल करना चाहिए। एलजी का यह व्यवहार उनकी प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े कर रहा है । दिल्ली के लोगों ने सीएम अरविंद केजरीवाल को अभूतपूर्व जनादेश दिया है। मैं एलजी से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि आप जनता के जनादेश का अपमान न करें और चुनी हुई सरकार को शांति से काम करने दें।
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