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फरीदाबाद: युवाओं को नई उभरती प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के लिए होना होगा तैयार-बंडारू दत्तात्रेय

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद:हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने युवाओं को नई उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के लिए तैयार करने का आह्वान किया है तथा कहा है कि युवाओं को प्रौद्योगिकी, नवाचार तथा अनुसंधान के क्षेत्र में ध्यान देना चाहिए। हरियाणा राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय आज फरीदाबाद के जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए के चतुर्थ दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे है। विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति के रूप में  बंडारू दत्तात्रेय ने कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर की उपस्थिति में विद्यार्थियों को उपाधि, पदक एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किये। इस अवसर पर हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृजकिशोर कुठियाला विशिष्ट अतिथि रहे तथा दीक्षांत अभिभाषण दिया।

दीक्षांत समारोह के दौरान वर्ष 2017 से 2020 एवं वर्ष 2022 में डिग्री पूर्ण करने वाले विश्वविद्यालय के 2768 में से 1155 विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को कुलाधिपति ने डिग्रियां प्रदान की। इनमें 633 स्नातक और 511 स्नातकोत्तर छात्र-छात्राएं तथा 11 शोधार्थी शामिल रहे। साथ ही, विश्वविद्यालय के कम्युनिटी कॉलेज ऑफ स्किल डेवलपमेंट के अंतर्गत वर्ष 2021 तथा 2022 में बी.वोक की डिग्री पूरी करने वाले 213 छात्रों को भी राज्यपाल द्वारा डिग्री प्रदान की गई।दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक विजेताओं में छात्राओं का प्रतिनिधित्व उत्साहजनक रहा देखने को मिला। कुल 13 स्वर्ण पदक विजेताओं में से 8 छात्राएं रही। लड़कों की तुलना में लड़कियों के बेहतरीन प्रदर्शन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि यह एक अच्छा संकेत है जो साबित करता है कि लड़कियां हर क्षेत्र में अग्रणी हैं। उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं को समाज में आगे बढ़ाना है। महिलाएं आगे बढ़ेंगी तो देश आगे बढ़ेगा।

दत्तात्रेय ने कहा कि वर्ष 1969 में इंडो-जर्मन परियोजना केे अंतर्गत स्थापित हुए इस संस्थान ने प्रगतिशील भारत की युवा शक्ति को कौशलवान तथा उद्यमशील बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हरियाणा सरकार द्वारा महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस के नाम पर इस संस्थान का नामकरण एक सराहनीय पहल है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को नैक द्वारा ‘ए+’ ग्रेड मान्यता तथा विभिन्न तकनीकी पाठ्यक्रमों को एनबीए द्वारा को मिलने पर बधाई भी दी।बेरोजगारी को देश की बड़ी समस्या बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि बेरोजगारी का समाधान कौशल है। नौकरी तभी मिलेगी, जब डिग्री लेने वाले युवाओं के पास रोजगार के लिए जरूरी कौशल होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को कौशलवान बनाने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति बेरोजगारी और गरीबी दूर करने वाली शिक्षा नीति है। इस नीति में औद्योगिक जरूरतों एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित शिक्षा पर बल दिया गया है।इंडिया स्किल्स रिपोर्ट-2023 का उल्लेख करते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि रोजगार योग्यता के मामले में आज बीकॉम की पढ़ाई करने वाले 61 प्रतिशत युवा रोजगार के योग्य 57 प्रतिशत बीटेक वालों से आगे निकल रहे है। इसलिए, युवाओं को हर क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के लिए तैयार रहना होगा। विशेष रूप से नई प्रौद्योगिकी एवं उभरते क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं ज्यादा है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों को उद्यमशीलता के लिए भी प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जॉब-सीकर होने के बजाय जॉब-क्रिएटर बनने के विषय में सोचें, कार्य करें और जीवन में आगे बढ़ें। अपने दीक्षांत संबोधन प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने विद्यार्थियों को अपनी रुचि के अनुरूप करियर चयन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज अधिकांश लोगों के मन में यह भाव आता है कि उन्होंने अपना मनपसंद करियर का चयन नहीं किया। इसलिए युवाओं को अपने अभिभावकों, अध्यापकों एवं बुद्धिशील व्यक्तियों से विचार-विमर्श करके भविष्य के जीवन की संकल्पना करनी चाहिए और करियर का चयन करना चाहिए।  प्रो. कुठियाला ने कहा कि जे.सी. बोस विश्व विद्यालय ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा एवं प्रशिक्षण में सराहनीय कार्य किये है जो अन्यों के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों और प्राध्यापकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि विज्ञान और तकनीक के माध्यम से मानव समाज सही दिशा में जाये। उन्होंने कहा कि शास्त्र को अर्थात ज्ञान को शस्त्र न बनाए। शास्त्र विकास करता है और शस्त्र विनाश करता है। जिन देशों की उच्च शिक्षा को कभी-कभी हम रोल मॉडल बना लेते है उन्हीं से शिक्षा प्राप्त नेतृत्व रूस और यूक्रेन जैसे युद्धों को विस्तार देते है। उन्होंने कहा कि शिक्षक का कार्य विद्यार्थी को ज्ञानवान, कर्मशील और उपयोगी नागरिक बनाना है। इससे पहले कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने अपने स्वागतीय संबोधन में अतिथियों का अभिनंदन किया तथा वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। कुलपति ने विगत वर्षों की विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय ने विभिन्न गुणवत्ता मानदंडों पर खुद को साबित किया है। इस समय विश्वविद्यालय में लगभग 60 पाठ्यक्रम पढ़ाये जा रहे है। विश्वविद्यालय ने नई शोध सुविधाओं तथा ढांचागत व्यवस्थाओं को विकसित किया है तथा रोजगार एवं प्रशिक्षण गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन तथा विश्वविद्यालय के नये परिसर को लेकर भी प्रतिबद्धता जताई। समारोह के अंत में कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग ने धन्यवाद प्रस्तुत किया तथा राष्ट्रगान के साथ दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ।

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