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दिल्ली की जनता का अपनी चुनी सरकार पर दृढ़ विश्वास, विपक्ष की साज़िशें उसे हिला नहीं सकती- अरविंद केजरीवाल

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट नई दिल्ली:
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश किया। यह विश्वास प्रस्ताव विपक्षी दल भाजपा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को वापस लेने के बाद पेश किया गया, ताकि वह अपनी बात रख सके। सीएम की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा हुई और ध्वनि मत पारित कर दिया गया। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता को अपनी चुनी हुई सरकार पर ढृढ़ विश्वास है। विपक्ष की साजिशें जनता के इस विश्वास को हिला नहीं सकतीं। हम जनतंत्र में यकीन करने वाले लोग हैं। जनतंत्र में विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। इसलिए मैंने सदन में विश्वास प्रस्ताव रखा, ताकि विपक्ष अपनी बात रख सके। भाजपा ने ईडी-सीबीआई और करोड़ों का ऑफर देकर अपना पूरा जोर लगा लिया, फिर भी 14 विधायक नहीं जुटा पाई।

अविश्वास प्रस्ताव के लिए 14 सदस्य होने चाहिए थे लेकिन भाजपा के पास 8 ही सदस्य हैं। सदन में विश्वास प्रस्ताव पर 65 मिनट चर्चा हुई, जिसमें विपक्ष को बात रखने के लिए 35 मिनट दिया गया।  उन्होंने कहा कि भाजपा वालों में अगर थोड़ी भी शर्म बची है तो अब ऑपरेशन लोटस की कोशिश भी न करें। हम भगत सिंह के चेले हैं। हम देश के साथ गद्दारी नहीं करते।सदन विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ऐसे समय में जब भाजपा की केंद्र सरकार ने देश में जनतंत्र को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ी, आज इस सदन के अंदर जो कुछ घटनाएं घटी हैं, वो शायद जनतांत्रित मूल्यों के लिए बहुत बड़ा और अच्छा उदाहरण पेश करती हैं। विपक्ष के लोगों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। जब आठ दिन पहले सदन शुरू हुआ था, तभी इन्होंने घोषणा कर दी थी कि अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे। सभी को लग रहा था कि ये कैसे अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे, क्योंकि इसके लिए कम से कम 14 विधायक होने चाहिए। इनके पास तो आठ ही विधायक हैं। एक पत्रकार ने मुझे बताया कि उनकी छह लोगों से और बात हो गई है। मैंने कहा कि मेरे विधायक तो ऐसे नहीं हैं। फिर भी मैंने एक-एक विधायक से बात की।

विधायकों ने मुझे बताया कि धमकियां तो बहुत आ रही हैं कि जैसे मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का हाल किया, वैसे ही तुम्हारा भी कर देंगे। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर झूठे आरोप लगा दिए। झूठे केस लगाकर तुमको भी अंदर कर देंगे। 20-25 करोड़ रुपए का भी लालच दिया। इनको उम्मीद थी कि इनके 14 विधायक हो जाएंगे लेकिन एक भी विधायक नहीं गया। हमारे कुल 62 विधायक हैं। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन हमारे बीच नहीं है। उन्हें छोड़कर 60 विधायक बचे। इन 60 में राजेश गुप्ता, प्रकाश झारवल और रोहित मेहरौलिया दिल्ली के बाहर हैं। एक विधानसभा अध्यक्ष महोदय हैं। इन्हें छोड़कर 56 विधायक बचे जो सदन में मौजूद हैं। ईडी-सीबीआई और करोड़ों रुपए का लालच देने के बाद भी इनको कुछ नहीं मिला। कल इनको लगने लगा कि हमारे पास पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं है तो कल इन्होंने अविश्वास प्रस्ताव को वापस ले लिया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भाजपा की जगह हमारी पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव वापस लिया होता तो ये मीडिया में जाकर कहते कि इनका प्रस्ताव गिर गया। हम जनतंत्र में यकीन करने वाले लोग हैं। मेरे दिल में आया कि अगर विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है, तो ये जरूर कुछ न कुछ अपनी बात कहना चाहते हैं, इनको अपनी बात कहने का मौका मिलना चाहिए। तब मैंने कहा कि ये अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सके, कोई बात नहीं है। ये लोग भी अपने ही लोग हैं। आज ये भाजपा में हैं, कल हमारी पार्टी में आएंगे। इसीलिए हम विश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। भारत में पहली बार ऐसा है कि अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष ला ही नहीं पाया, तब भी एक पार्टी अपनी मर्जी से विश्वास प्रस्ताव लेकर आई है कि कहो जो कहना है। हम चाहते हैं कि ये हमारी आलोचन करें और कमियां निकलें, जिससे हम सीख सकें। सीएम अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा अध्यक्ष को साधुवाद देते हुए कहा कि सदन में विश्वास प्रस्ताव पर 65 मिनट चर्चा हुई, जिसमें से 35 मिनट विपक्ष को दिए गए और 30 मिनट सत्ता पक्ष को दिए गए। जबकि हमारे 62 विधायक हैं और भाजपा के 8 विधायक हैं। मैंने पूरे देश के संसद और विधानसभाओं के ट्रांजेक्शन बिजनेस रूल्स पढ़े। इनके सदन में 11 फीसद लोग हैं। इस हिसाब से इनके मात्र 7 मिनट बनते थे। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने 7 मिनट के बजाय 35 मिनट दिए। यानि विपक्ष को सदन में बोलने के लिए पांच गुना अधिक समय दिया गया।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केवल आलोचना के दृष्टिकोण से आलोचना करना अच्छी बात नहीं है। कुछ तो जनता की बात करो। इन्होंने 2017 में भी कोशिश की थी। ये बोले कि हमारी सरकार गिरा देंगे। तब तक हमें लगता था कि ये ज्यादा ही चाणक्य हैं, लेकिन पता चल गया कि ये खोखले हैं। इनके पास कुछ नहीं है। इनका दिखावा और शोर ज्यादा है। 2017 में ये चाहते थे कि 21 विधायकों को अयोग्य कर देंगे, कुछ को तोड़ लेंगे और फिर सरकार बना लेंगे। जबकि 70 में से 67 विधायक हमारे पास थे और तीन इनके पास थे। अगर हमारे पास 4 भी विधायक हैं तो हमारे पास बहुमत है। मेरी समझ से बाहर था कि ये कैसे सरकार गिराएंगे। लेकिन पत्रकार बताते थे कि अमित शाह लगे हुए हैं, सरकार गिरा देंगे। 2017 के बाद 2019 और 2020 में भी कोशिश कर ली। अगर थोड़ी भी इज्जत बाकी है तो अब मत करना। हम सबने देखा था कि तेलंगाना में नवंबर महीने में स्टिंग हुआ था। भाजपा के तीन नेता तेलंगाना की सरकार गिराने के लिए वहां विधायकों को खरीदने पहुंचे। भाजपा के तीन नेता और बीआरएस के चार विधायकों के बीच चली तीन घंटे की सारी बात रिकॉर्ड हो गई। उसमें वो कह रहे हैं कि हमारे बीएल संतोष साहब और अमित शाह तुमसे मिलेंगे और 50-50 करोड़ रुपए ऑफर कर रहे हैं। साथ ही बोले कि हमने 25-25 करोड़ रुपए में दिल्ली के विधायक खरीद लिए हैं, दिल्ली की सरकार गिरने वाली है। उसी दिन शाम को मेरे पास केसीआर का फोन आया और बोले कि मेरे पास पूरी सूचना है कि आपकी सरकार गिरने वाली है। यह आम आदमी पार्टी है। हम भगत सिंह के चेले हैं। हम फांसी पर चढ़ जाते हैं, बिकते नहीं है। हमें फांसी पर चढ़ना मंजूर है लेकिन देश के साथ गद्दारी नहीं करेंगे। अपने सभी विधायकों को हीरा बताते हुए कहा कि दुनिया की कोई ताकत इनको नहीं तोड़ सकती है। ये हमारे 14 विधायक तोड़ने चले थे, लेकिन एक भी विधायक नहीं टूटा है। सीएम ने विधायकों से कहा कि डरना नहीं है। ज्यादा से ज्यादा सात-आठ महीने जेल में रहना होना, इससे ज्यादा कुछ नहीं होगा। मैं बड़े से बड़ा वकील दूंगा, चिंता मत करना। साथ ही आपके घर का ख्याल भी रखूंगा। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री जगह-जगह बोल रहे हैं कि ईडी-सीबीआई ने सारे भ्रष्टाचारियों को एक मंच पर इकट्ठा कर दिया। प्रधानमंत्री के इस बयान में थोड़ी सी गलती है। ईडी और सीबीआई ने इस देश के सारे भ्रष्टाचारियों को एक मंच पर नहीं बल्कि एक पार्टी में इकट्ठा कर दिया। ईडी-सीबीआई वाले रेड मारते हैं, सिर पर बंदूक रखते हैं और कहते हैं कि जेल जाना है या भाजपा में जाना है। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के सिर पर भी बंदूक रखी। दोनों ने कहा कि जेल मंजूर है, लेकिन भाजपा में जाना मंजूर नहीं है। हिमंत बिस्व सरमा के सिर पर भी बंदूक रखी और वो बोले कि भाजपा मंजूर है, क्योंकि उसने चोरी कर रखी थी। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने चोरी नहीं कर रखी थी। कुछ किया ही नहीं है। कुछ महीने जेल में रख लेंगे। आखिर में जमानत तो मिलनी ही है। नारायण राणे के सिर पर बंदूक रखी और बोले कि भाजपा में जाएंगे। इसी तरह सुभेंदु अधिकारी, मुकुल राय के सिर पर भी बंदूक रखी। इन्होंने घोटाले कर रखे थे। देश के जितने भी चोर, लुटेरे, डाकू, लुच्चे-लफंगे हैं, सारे अब एक ही पार्टी भाजपा में हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि समय एक जैसा नहीं रहता है। समय बदलता रहता है। आज इनकी सरकार है और मोदी जी प्रधानमंत्री हैं। लेकिन हमेशा तो नहीं रहेंगे। कभी न कभी तो जाएंगे ही। उस समय भ्रष्टाचार मुक्त भारत होगा। क्योंकि जितने चोर-उचक्के हैं, वो सारे एक ही कमरे में हैं। उनको पकड़ने में बड़ी आसानी होगी। ज्यादा जांच नहीं करनी पड़ेगी। ईडी-सीबीआई का डर दिखाकर इन्होंने देश के सारे लुटेरों को अपनी पार्टी में कर लिया। जिस दिन भाजपा की केंद्र से सरकार जाएगी और मोदी जी प्रधानमंत्री नहीं होंगे, भाजपा वालों को जेल में डाल दो, देश भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगा। प्रधानमंत्री को भगवान ने बहुत बड़ा मौका दिया था। इस देश की जनता ने भारी जनादेश दिया था। वो चाहते तो इस देश की सूरत बदल सकते थे। कुछ भी कर सकते थे। लेकिन उन्होंने क्या किया- देश में लूट-मार, नफरत, लड़ाई-झगड़ा। आज देश के अंदर हर आदमी डरा हुआ है। जैसे हम सबको साथ लेकर चल रहे हैं, वैसे ही वो भी सबको साथ लेकर चलते। मनीष सिसोदिया ने इतने अच्छे स्कूल बना दिए। प्रधानमंत्री जी मनीष सिसोदिया को बुलाकर कहते कि मैं आपको देश का शिक्षा मंत्री बना रहा हूं, देश के 10 लाख सरकारी स्कूल ठीक कर दो। तब बड़ी बात होती। कल एक बड़ा उद्योगपति मिलने आया था और कहा कि एक-एक करके सब लोग भारत छोड़कर जा रहे हैं और विदेशों की नागरिकता ले रहे हैं। क्योंकि सभी को ईडी-सीबीआई, इनकम टैक्स से डरा रखा है। ये न खुद काम करते हैं और ना किसी को काम करने देते हैं। दो लोगों को छोड़कर बाकी सारी भाजपा भी डरी हुई है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मीडिया को भी डरा रखा है। गलत खबरें दिखाने पर लोग मीडिया को गालियां देते हैं। इन्होंने एक-एक मीडिया हाउस के मालिक के ऊपर ईडी के चार-चार केसेज बना रखे हैं। उनकी मजबूरी है। जिस दिन यह पता चल गया कि मोदी जी जा रहे हैं उस दिन मीडिया इनको खा जाएगा। सब डरे हुए हैं। जब मर्जी इनको जेल में डाल सकते हैं। इन्होंने जजों को भी डरा रखा है। देश के सारे जज डरे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज डरे हुए हैं। उद्यमी डरे हुए हैं। ये किसी भी विपक्षी पार्टी की सरकार को नहीं चलने देते हैं। हमारी पंजाब में सरकार है। उसको बजट सत्र नहीं लाने दिया। पंजाब सरकार को बजट सत्र कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट से आदेश लाना पड़ा। बजट सत्र की फाइल लेकर राज्यपाल बैठ गए थे। एक दिन सीएम भगवंत मान ने राज्यपाल को कोई चिट्ठी लिख दी और वो चिट्ठी उनको पसंद नहीं आई। इसलिए उन्होंने फाइल पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया। ये क्या बात हुई कि बजट सत्र नहीं होगा। अभी तेलंगाना सरकार भी सुप्रीम कोर्ट गई हुई है। वहां राज्यपाल 12 बिल पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। क्या ऐसे देश तरक्की करेगा? 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने भाजपा से गुजारिश करते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव और विश्वास प्रस्ताव का खेल अब खत्म करो। भाजपा ने बहुत प्रयास करके देख लिया, हमारे विधायक नहीं बिकने वाले हैं। अभी हमारे 62 विधायक हैं और उम्मीद करता हूं कि 2025 के चुनाव में वापस बढ़कर 67 हो जाएंगे। मैं विश्वास प्रस्ताव का समर्थन करता हूं।
दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में बुधवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष के लोग सदन में अविश्वास प्रस्ताव (नो कांफिडेंस मोशन) लाना चाहते थे, लेकिन नहीं ला पाए। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 20 फीसद विधायकों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। दिल्ली विधानसभा का सदन 70 विधायकों का है। इसलिए अविश्वास प्रस्ताव के लिए कम से कम 14 विधायकों के हस्ताक्षर की जरूरत थी। विपक्ष 14 विधायक भी एकत्र नहीं कर पाया। हालांकि इन्होंने बहुत डरा-धमकाया और लालच दिया, लेकिन असफल रहे। शायद इसलिए इन्होंने अविश्वास प्रस्ताव वापस ले लिया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने विपक्ष के विरोध में सदन के अंदर विश्वास प्रस्ताव (कॉन्फिडेंस मोशन) रखते हुए कहा कि एक मिनट के लिए भी अगर हम सदन का विश्वास खो देते हैं तो हमें बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। विपक्ष के लोग अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला पाए लेकिन मैं सदन में विश्वास प्रस्ताव रख रहा हूं। सदन में विपक्ष की सीटें खाली हैं। अगर सदन में विपक्ष के सभी लोग होते तो वे अविश्वास प्रस्ताव में जो बोलना चाहते थे, हम उनको विश्वास प्रस्ताव में बोलने का मौका देते। वो सदन में सरकार के खिलाफ जो भी बोलना चाहते हैं, बोलते। सीएम अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति लेकर विश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह सदन मंत्री परिषद में विश्वास व्यक्त करता है।

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