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वीडियो सुने: अडानी को इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है और अडानी की संपत्ति केवल ढाई साल में 12 लाख करोड़ कैसे बनी-खड़गे।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा – मंच पर बैठे हुए मेरे सभी साथियों, पार्लियामेंट के सदस्यगण और यहाँ पर पधारे हुए मी़डिया के मेरे दोस्तों, आज हम आपके सामने इसलिए आए हैं कि ये जो बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से 6 अप्रैल तक जो चला और इसमें कौन सी घटनाएं घटी और पार्लियामेंट को किस तरीके से सरकार के लोगों ने, ट्रेजरी बेंचों ने संसद में चर्चा नहीं होने देने का जो पूरा प्रयास किया, उस बात को मैं आपके सामने रखना चाहता हूं। मोदी सरकार डेमोक्रसी के बारे में तो बहुत बातें कहती है, लेकिन जो कहती है उसके तहत चलती नहीं और आपको एक ही उदाहरण बताऊं, 50 लाख करोड़ का बजट केवल 12 मिनट में पास किया गया और वो हमेशा कहते थे कि अपोजिशन पार्टी को इंट्रेस्ट नहीं है, वो डिस्‍टर्ब करती है, लेकिन डिस्टर्बेंस तो रूलिंग पार्टी से हुआ और जब कभी हम बोलने के लिए उठते थे और हम नोटिस देते थे, नोटिस की चर्चा की मांग जब करते थे, तब वो हमें बोलने नहीं देते थे और ऐसा पहली बार हुआ, मैंने भी अपने संसदीय व विधान सभा के कार्यकाल के 52 साल समाप्त करके 53 वें साल में कदम रखा है, ये नहीं देखा।

मैं 5 साल लोकसभा में भी था, अपोजिशन लीडर, ऐसा वक्‍त कभी नहीं आया और यहां पर 2 साल से मैं देख रहा हूं कि यहां पर खुद ही रूलिंग पार्टी के लोग ही डिस्‍टर्ब करते हैं और इसका उद्देश्‍य यही है जो हम मुद्दे उठाना चाहते हैं, खासकर अडानी के इशू पर सारी 19-20 पार्टियों ने एक होकर… एक कॉमन मुद्दा था कि अडानी को इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है और अडानी की संपत्ति केवल ढाई साल में 12 लाख करोड़ कैसे बनी और सरकार से पैसा लिया, एलआईसी से लिया, बैंको से लिया, सरकार का पैसा और पब्लिक सेक्टर की संपत्ति उन्होंने खरीदी। यानि पैसा भी सरकार का और संपत्ति भी सरकार की तो उसको अभी बनाते गए, बनाते गए, ढाई साल में इतनी बड़ी संपत्ति वाला आदमी देश में या विदेश में कोई नहीं होगा, शायद।

सरकार इतना, खासकर मोदी जी जो बढ़ावा दे रहे हैं, इसका मतलब क्या है? तो यह है कि कैपिटलिस्ट को इतनी सब संपत्ति सरकार की क्यों दे रही है? एयरपोर्ट हो, पोर्ट हो, रोड हो, हवाई अड्डे हों, तो ये सारी चीजें…, जमीन भी नहीं छोड़ी, रेल भी नहीं छोड़ी, पोर्ट भी नहीं छोड़ा, ये जो है, इसलिए दर्शाता है कि किसी एक को ही अमीर बनाना और देश की सारी संपत्ति जो गरीब लोगों ने एलआईसी में पैसा डाला है, बैंक में डिपॉजिट किया है, वो पूरी संपत्ति उनको देकर सरकार की सारी संपत्ति को खरीद रहे हैं, ये हम वहाँ उनसे पूछना चाहते थे।
दूसरी चीज, राहुल गांधी जी ने लोकसभा में पूछा था कि अडानी की संपत्ति इतनी बढ़ी, केवल ढाई साल में, तो ये कैसे बढ़ी, इसका विवरण दो, इस पर चर्चा हो, तब उन्होंने यही कहा कि कितनी बार आपके साथ वो फॉरन ट्रिप पर गए? आपके साथ कहाँ-कहाँ उनकी मुलाकात हो गई, जिन-जिन देशों में आप गए। आपके जाने से पहले किन-किन देशों में आपसे पहले जाकर आपसे मिले और किन-किन देशों के प्रधानमंत्रियों से या वहाँ के बिजनेसमैनो से, या वहाँ के मंत्रियों से मुलाकात की और आपकी वजह से उनको कौन सा ऑर्डर मिला, कैसे मिला, ये सारी डीटेल पर यहाँ पर चर्चा होनी चाहिए, इसलिए हम जेपीसी की मांग कर रहे थे, ज्वाइंट पार्लियामेंट कमेटी। इसमें उनको कोई नुकसान तो होने वाला नहीं था, क्योंकि उनको 2/3 मेजोरिटी है, हाउस में, लोक सभा में, राज्य सभा में भी उनकी मेजोरिटी है। जब कमेटी कॉन्स्टीट्यूट होती है, तो मेजोरिटी मेम्बर्स आपके रहते हैं, इसके बावजूद आप जेपीसी कॉन्स्टीट्यूट करने से क्यों डर रहे हैं, ये हमारा पहला सवाल है। मेम्बर तो आपके ज्यादा होते हैं, लेकिन हमको एक फायदा होता है कि ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी कॉन्स्टीट्यूट करने से सारे दस्तावेज, कागजात, डॉक्यूमेंट एग्जामिन करने के लिए अपोजीशन पार्टियों को एक मौका मिलता है, और एक ट्रांस्पेरेंसी इसमें रहती है। तो इसलिए हमारी मांग थी, इसको उन्होंने नकारा और इसके बारे में वो कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं, इसलिए ये मुद्दे जो राहुल जी ने उठाए थे, इसको उन्होंने अलग करके दूसरा इशू डायवर्ट करने के लिए उन्होंने माफी मांगो-माफी मांगो, तुमने यूके में जाकर ऐसा बोला, ये करो, वो करो। यहाँ सवाल है पार्लियामेंट का, यहाँ सवाल है घोटाले का, यहाँ सवाल है, जिसने देश की संपत्ति को लूटा गलत तरीके से, अपने शेयर्स को बढ़ावा दिया और छोटी-छोटी शैल कंपनियाँ बनाकर करोड़ों रुपए उसमें लिए, ये सवाल है। देश की संपत्ति को बचाने के लिए हम सारे लोग कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो इसको मानने के लिए तैयार नहीं, क्योंकि दाल में कुछ काला है। कुछ संबंध उनके ऐसे होंगे, जिस वजह से वो जेपीसी करने के लिए तैयार नहीं हैं।

तीसरी बात कि प्रधानमंत्री खुद सदन में नहीं रहते, सदन जब चलता है तो दौरे पर रहते हैं। सदन जब चलता है तो इलेक्शन प्रचार में जाते हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ, किसी ने भी नहीं किया ऐसा। कभी कोई अर्जेंट वर्क है तो तब एक-दो दिन के लिए जाते हैं, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री तो जैसे वो कहते हैं कि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने दुनिया का चक्कर लगाया और उसके बाद भी उसको जो मिलना था, वो नहीं मिला, वो गणपति को मिला, ऐसा बोलते थे। तो गणपति बैठे कि जगह बैठा और वो बोला कि सारी दुनिया यहाँ शंकर के पास, पार्वती के पास है तो दुनियाभर की परिक्रमा देकर आए, मैं तो यहीं बैठा हूँ। तो इनका उद्देश्य क्या है कि बाहर फिरते रहते हैं, लेकिन पार्लियामेंट में जो आंसर देना, लोगों को बताना और लोगों के लिए जो डेवलपमेंट काम करना, इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए काम करना, इसको वो तवज़्ज़ो नहीं दे रहे हैं।पुरानी रेलगाड़ियों को नया इंजन लगाकर हर जगह हरी झंडी दिखाते हैं। अरे मैंने तो एक ही साल में 27 ट्रेन छोड़ी थी वाराणसी को और वैष्णो देवी को और उसके बाद हमारे राज स्थान में अजमेर को, तो हमने कभी हरी झंडी लगाकर प्रचार नहीं किया, वही इसमें अब दिल्ली से हरी झंडी और भाषण, मंगलौर में हरी झंडी और भाषण और बम्बई से हरी झंडी और भाषण, भोपाल से एक। अरे, हरी झंडी छोड़ने के लिए आपकी जरूरत है, वहाँ के एमपी हैं, वहाँ का इंचार्ज मिनिस्टर रहता है, लेकिन ये तो जाकर प्लेटफॉर्म को लंबा करके दूसरा कोई काम नहीं किया, मैंने एक ही स्पीड से इतना काम किया। क्या पटरी भी आप ही ने डाली थी? ऐसी कोई नई योजना, जैसे की पीरपंजाल, वो भी हमने किया था। पटरी भी डाली थी, टनल भी खोदा था। अरुणाचल प्रदेश का हमने किया था, सब। तो इनको हमेशा आदत है कि इनॉगुरेशन करना, भाषण करना। भाषण से पेट नहीं भरता, लोगों को राशन की भी जरूरत होती है, उसकी तरफ ध्यान दो, ये हमारा कहना था।
चौथी बात ये है कि कोई… खासकर राहुल गांधी जी के बारे में इसलिए बोल रहा हूँ, वो हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बारे में उन्होंने अपनी बात रखी थी, उनको डिस्क्वालिफाई कर दिया। एक सूरत कोर्ट के ऑर्डर से दो साल की जो सजा हो गई थी। उसको इतनी लाइटनिंग स्पीड से उन्होंने डिस्क्वालिफाईड कर दिया। मैं यहाँ पर एक केस बताता हूँ, अपने गुजरात का। गुजरात के एक एमपी ने, जिनका नाम बीजेपी के अमरेली एमपी नारनभाई कछाड़िया, उनको तो लोकल कोर्ट में तीन साल के लिए कन्विक्ट किया, लेकिन डिसक्वालिफाइड नहीं किए गए थे। उन्होंने क्या किया था, एक शेड्यूल्ड कास्ट डॉक्टर को 20 लोगों ने जाकर तमाचा मारा, उसको गालियाँ दीं, हमने फोन किया था, तुम नहीं उठा रहे और उस बेचारे का अपराध इतना था कि वो दूसरे पेशेंट को देख रहा था और फोन साइलेंट था। तब उन्होंने खुद आकर उस पर हमला किया। जब तीन साल का उसका कन्विक्शन हुआ तो, सेशन कोर्ट में उसको जो सेंटेंस नीचे दिए थे, वही अपहेल्ड किए, उनकी अपील रिजेक्ट हुई, फिर उसके बाद वो हाई कोर्ट में चले गए, वहाँ भी वो रिजेक्ट हुआ, उसके बाद में वो सुप्रीम कोर्ट में गए, वहाँ पर उनको पनिशमेंट भी हुई, 5 लाख रुपए देना और माफी मांगना, ये उन्होंने कहा, यानि 3 साल के कन्विक्टेड को 16 दिन का टाइम देते हो, लाइटनिंग स्पीड में उसकी अपील डिस्क्लोज आप करते हो और हम यहाँ पर अपील डालते हैं, तो उसको एक महीने का एक्सटेंशन दे रहे हैं। तो ठीक है, हम कोई जुडिशियरी को कंप्लेन नहीं करना चाहते, जो भी कहा है, हम उसका स्वागत करते हैं। हम लड़ेंगे, कानून के तरीके से। आप देखिए एक आदमी को तीन साल की सजा होती है, उसका डिसक्वालिफिकेशन नहीं होता है और एक राहुल गांधी जी को दो साल की सजा होती है, डीफेमेशन के केस में, क्रिमिनल केस में नहीं, तो उनको आप लाइटनिंग स्पीड में डिस्क्वालिफाई करते हैं, नोटिफिकेशन निकालते हैं, ये कोई डेमोक्रेसी है! किसी दिन हमारे देश में रूल्स के मुताबिक, कॉन्स्टीट्यूशन के मुताबिक, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के मुताबिक अगर नहीं चल रही है, पार्लियामेंट, अगर कोई कहे कि ये गुनाह है और ये दिखता है, लेकिन मुझे मालूम नहीं इसको किस ढंग से हमारे मीडिया के दोस्त लेते हैं, मैं इस पर ज्यादा बोलना नहीं चाहता और उनकी जो डेट हो गई है, 23 मार्च को कोर्ट ने ऑर्डर दिया, 24 को लोकसभा सेक्रेटेरियट में आया और 28 को लोकसभा सेक्रेटेरियट ने नोटिफिकेशन निकालकर यहाँ तक बोला कि राहुल जी अपना रेजिडेंस भी खाली कर दो, क्या ये है न्याय? किसके लिए हम लड़ रहे हैं, न्याय के लिए लड़ रहे हैं, डेमोक्रेसी के लिए लड़ रहे हैं, संविधान पर देश चले, इसके लिए लड़ रहे हैं और हमने जो एडवाइजरी के जो बिजनेस रूल्स होते हैं, उसके तहत हम चल रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार इसके तहत चलना नहीं चाहती और हमारे मुद्दे बहुत थे।

मैं सबको धन्यवाद देता हूँ, हमारे जितने भी अपोजीशन पार्टी के लीडर्स हैं, यहाँ पर बैठे हुए हैं, I congratulate them. Unitedly, they took this issue, they fought and in spite of that the government is not taking it seriously, they are not thinking seriously and meanwhile, they suspended one woman member of the Rajya Sabha, Smt. Rajani Patil. She was agitating as per rules and naturally. So long, इतना लंबा किसी को शिक्षा (सज़ा) नहीं मिली, Anyway, अभी वो चेयरमैन साहब के पास पैंडिंग है, मैं उस पर ज्यादा कमेंट नहीं करना चाहता हूँ, लेकिन ऐसी चीजें चल रही हैं और 116 दिन तक पुलिस ने कहा है और तीन साल की सजा होने के बाद, वो बीजेपी का मेम्बर होने की वजह से उसका संज्ञान न स्पीकर लेते हैं, न कोई और लेता है।

तो इसलिए दोस्तों, हम आपके पास आ रहे हैं, क्योंकि हमें कहा जा रहा है कि अपोजीशन के लिए सदन चलने नहीं दे रहे हैं। ये चोर उल्टा कोतवाल को डांटे, ये बात है। अरे हम अंदर आते हैं, जब मैं नोटिस पढ़ता हूँ, 265 का, अभी ऐसे पेपर लेता हूँ, तो उधर से माफी मांगो- माफी मांगो। खासकर के राज्य सभा में माफी मांगो। अरे कैसे मांगे, वो तो डिस्क्वालिफाई हो गए। डिस्क्वालिफाई मेंबर अंदर आकर माफी मांगता है? अच्छा, वो तो राज्य सभा मेंबर भी नहीं हैं। वो लोक सभा के मेंबर हैं, आप क्यों उठाते हैं? नहीं, सरकार में चल रहा है। अंधेर नगरी चौपट राजा जैसा ये चल रहा है, तो इसलिए मैं ये तथ्य सामने रख रहा हूँ। हम पूरा कॉपरेट करने के लिए सारे मेंबर तैयार थे, तैयार हैं, देश के हित में जो भी चर्चा करना चाहते हैं, उसके लिए हम सारे लोग सतर्क होकर बैठे हुए हैं, लेकिन सरकार की मंशा ये थी कि पूरा बजट सेशन वाश आउट करना, तो उन्होंने अपना काम किया। इस एटिट्यूड का मैं कंडेम करता हूँ। अगर यही एटीट्यूड रहा तो इस देश में डेमोक्रेसी बचेगी नहीं और आहिस्ता-आहिस्ता डिक्टेटरशिप की तरफ ये जा रही है।

तो इतना कहकर मैं अपने दोस्तों को कहूँगा कि दो शब्द वो भी कहें।

संसद में सभी विपक्षी दल एक साथ हैं, पर जमीन पर सभी एक साथ कब उतरेंगे के उत्तर में श्री मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि देखो, जमीन पर ही बैठे हैं, हम सभी लोग। हम एकता जरूर लाएंगे, लाने की पूरी कोशिश हो रही है, हमारे मुद्दे देश को बचाना, देश में एकता रखना और देश में एकता और अखंडता के लिए काम करना और डेमोक्रेसी और संविधान के लिए हम सभी बाध्य हैं। अब मोदी साहब बोलते हैं तो शायद उनका ग्राउंड लेवल पता नहीं लग रहा होगा कि लोग बेजार हो गए इंफ्लेशन से और लोग बेजार हो गए अनएम्प्लॉयमेंट से, लोग बेजार हो गए जो डेमोक्रेटिक पद्धति में वो बदलाव लाए हैं, तो इसलिए वो करते रहते हैं, लेकिन हम अपना काम करते रहेंगे, एकता से हम एकजुट होकर आगे के चुनाव में लड़ते रहेंगे।

भाजपा द्वारा कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप के संदर्भ में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री खरगे ने कहा कि आप बताइए, 1990 के बाद कोई गांधी परिवार का सदस्य प्राइम मिनिस्टर बना है, कोई मिनिस्टर बना है, बताओ, चुप! आपके पास कोई सब्जेक्ट नहीं है, इसलिए कहते हैं- गांधी परिवार, गांधी परिवार, अरे गांधी परिवार न तो मिनिस्टर बने, न प्राइम मिनिस्टर बने और गांधी परिवार के लोग जब एजीटेशन करते हैं, देश को जोड़ने का काम करते हैं, भारत जोड़ने का काम करते हैं, तो उनको आप डिसक्वालिफाई करते हैं। जो शेड्यूल्ड कास्ट को मारता है, उसको 16 दिन का टाइम देकर बहाल करते हैं, सदन में लाते हो।

जो देश के लिए लड़ता है, संघर्ष करता है, धूप में, छांव में, बारिश में, बर्फ में, उसको आप- गांधी परिवार, गांधी परिवार, कहाँ है गांधी परिवार? गांधी परिवार तो लड़ता रहता है, मजा तो दूसरे लोग कर रहे हैं और जो मजा कर रहे हैं, वही बात बहुत करते हैं।

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