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अपराध दिल्ली

एक लाख रुपए के इनामी व वांछित अन्तर्राज्यीय नशीला पदार्थ तस्कर को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने किया अरेस्ट।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच,पूर्वी रेंज -1 की टीम ने आज एक लाख रुपए के इनामी व वांछित अन्तर्राज्यीय नशीला पदार्थ तस्कर को अरेस्ट किया हैं। अरेस्ट किए गए आरोपितों के नाम शमीम उर्फ़ वेल्डर ,उम्र 39 वर्ष, निवासी चंदौली , जिला बाराबंकी, उत्तरप्रदेश हैं। इसे केस नंबर -166 /2019, भारतीय दंड संहिता की धारा 21/29/61 /85 एनडीपीएस एक्ट थाना स्पेशल सेल में घोषित अपराधी है , में अरेस्ट किया गया हैं। डीसीपी, क्राइम ब्रांच रविंद्र सिंह यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2019 में स्पेशल सेल की टीम ने मणिपुर निवासी शकील अहमद, रियाज खान  और पश्चिम बंगाल निवासी शुभंकर उर्फ शुभम नाम के आरोपी व्यक्तियों को दिल्ली के शालीमार बाग से पकड़ा था व उनके कब्जे से 10 किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई थी । इस संदर्भ में  एफआईआर नंबर – 166/2019, भारतीय दंड संहिता की धारा 21/29/61/85 एनडीपीएस अधिनियम के तहत, थाना स्पेशल सेल में दर्ज किया गया था और आरोपी व्यक्तियों को अरेस्ट  किया गया था ।

यादव का कहना हैं कि पूछताछ में आरोपी व्यक्तियों ने खुलासा किया कि वे सपन हलदर नाम के एक व्यक्ति के यहां काम करते थे। वे सपन हलदर के निर्देश पर मणिपुर के एक अली हसन से हेरोइन खरीदते थे और इसे पश्चिम बंगाल, यूपी और दिल्ली- एनसीआर में विभिन्न आपूर्ति कर्ताओं को वितरित करते थे। आरोपी शुभंकर हलदर ने स्पष्ट रूप से खुलासा किया कि वह शकील अहमद के निर्देश पर आरोपी शमीम उर्फ़ वेल्डर को हेरोइन की आपूर्ति कर रहा था। चूंकि आरोपी शमीम लापता था, इसलिए उसे घोषित अपराधी और उस पर 1 लाख रुपये का नकद इनाम घोषित किया गया था। उनका कहना हैं कि टीम में उप निरीक्षक प्रकाश, उप निरीक्षक अबोध शर्मा, उप निरीक्षक देवेंद्र मलिक, सहायक उप निरीक्षक संदीप चावला, सहायक उप निरीक्षक अशोक, हवलदार मनीष, हवलदार सौरव, हवलदार अमित व सिपाही विकास शामिल थे। इनामी अपराधी का पता लगाने के लिए इंस्पेक्टर आशीष शर्मा और एसीपी रोहिताश कुमार की निगरानी में डीसीपी सतीश कुमार और ज्वाइंट सीपी एसडी मिश्रा ने एक टीम को गठित किया था।  शुरुआत में टीम के कुछ सदस्यों ने आरोपी के गांव का दौरा किया और स्थानीय पुलिस और स्थानीय निवासियों से उस के बारे में सूक्ष्म जानकारी हासिल की। टीम ने आरोपी शमीम के संभावित विवरण और ठिकानों का पता लगाने के लिए स्थानीय मुखबिरों के साथ संपर्क स्थापित किया। उप निरीक्षक देवेंद्र मलिक आरोपी शमीम की नवीनतम तस्वीर प्राप्त करने में सफल रहे। उन्हें यह भी पता चला कि विभिन्न टीमों ने आरोपी के आवास पर छापेमारी भी की थी, लेकिन आरोपी कई बार भागने में सफल रह। | आरोपी की तकनीकी निगरानी भी आरम्भ की गई । अंततः आरोपी को फैजुल्लागंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश से ढूंढ निकाला  गया। छापेमारी की गई और इनामी/घोषित अपराधी को टीम द्वारा सफलतापूर्वक पकड़ लिया गया।

पिछली अपराधिक संलिप्तता 
1. प्राथमिकी संख्या 177/2009, धारा 8/21/27ए एनडीपीएस एक्ट के तहत, थाना-बाराबंकी, उ.प्र..
2. प्राथमिकी संख्या 178/2009, धारा 8/21/27ए एनडीपीएस एक्ट के तहत, थाना-बाराबंकी, उ.प्र..
3. प्राथमिकी संख्या 157/2010, धारा 8/21 एनडीपीएस एक्ट के तहत, थाना-बाराबंकी, यूपी|

आरोपी का परिचय  आरोपी मो. शमीम का जन्म चंदौली टिकरा, जिला बाराबंकी ,उत्तर प्रदेश में हुआ था। आरोपी ने टिकरा के मौलाना अब्दुल कलाम आजाद स्कूल से ही तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई की थी।आरोपी वेल्डिंग वर्क्स की दुकान में हेल्पर का काम करने लगा। चूंकि वह इस पेशे से ज्यादा नहीं कमा रहा था, इसलिए उसने अपने एक दोस्त शाकिर से हाथ मिला लिया, जो एक ड्रग पेडलर था। आरोपी ने शुरुआत में उसके वाहक के रूप में काम करना शुरू किया और उसे प्रत्येक डिलीवरी पर उसे 1000 रुपये मिल रहे थे। वह शाकिर के निर्देशानुसार हेरोइन को कानपुर, लखनऊ व अन्य स्थानीय क्षेत्रों में पहुंचाता था। वर्ष 2009 में, उसके दोस्त ने अपनी खुद की हेरोइन सप्लाई शुरू की और आरोपी ने इस कार्य का भार संभाला और प्रतिदिन 3 से 5 हजार रुपये कमाने लगा। वर्ष 2009 में, उसके कुछ सहयोगियों जुबैर और परवेज को स्थानीय पुलिस ने एनडीपीएस मामले में अरेस्ट  किया था और आरोपी शमीम उर्फ़ वेल्डर को भगोड़ा घोषित किया गया था। आरोपी को बाद में इस मामले में अरेस्ट  कर लिया गया और वह डेढ़ महीने तक सलाखों के पीछे रहा। जेल से बाहर आने के बाद उसने फिर हेरोइन बेचने का काम शुरू किया लेकिन इस बार उसने 3-4 स्थानीय तस्करों से हेरोइन खरीदनी शुरू की और बाद में अपने गांव के विभिन्न उपभोक्ताओं को बेच दी। वर्ष 2011 में बाराबंकी अपराध शाखा ने आरोपी को अरेस्ट कर उसके पास से 750 ग्राम हेरोइन बरामद की थी| वह 1 वर्ष की अवधि के लिए सलाखों के पीछे रहा और अंततः उसे इस मामले में 5 वर्ष की अवधि के लिए दोषी ठहराया गया। वर्ष 2013 में आरोपी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और डेढ़ साल की कैद के बाद जमानत पर रिहा हो गया। इसके बाद वह अपने साले के साथ विवाह समारोहों में टेंट लगाने का काम करने लगा। बाराबंकी जेल में रहने के दौरान वह मणिपुर निवासी एक नशा तस्कर अब्दुल रज्जाक के संपर्क में आया। अब्दुल रज्जाक के बाराबंकी जेल से छूटने के बाद आरोपी शमीम से संपर्क किया और दोनों साथ काम करने लगे।  अब्दुल रज्जाक ने शुरू में कानपुर, उत्तर प्रदेश में अपने एक वाहक अकील के माध्यम से हेरोइन की आपूर्ति की। उसने एक वर्ष की अवधि के लिए अब्दुल रज्जाक के साथ काम किया और बाद में वाहक अकील के साथ काम करना शुरू किया। वह 2018 तक अकील के साथ काम करता रहा। उसी साल उसके एक परिचित इकबाल ने उसे सपन हलदर का नंबर दिया और आरोपी उसके साथ काम करने लगा। प्रारंभ में, आरोपी शमीम उर्फ़ वेल्डर ने शुभंकर उर्फ़ शुभम हलदार (सपन हलदार के वाहक) के माध्यम से बिहार में सपन हलदर को 900 ग्राम हेरोइन की आपूर्ति की। बाद में आरोपी को अपने गांव के स्थानीय नशा तस्कर को सप्लाई करने के लिए सपन हलदर से अच्छी गुणवता की हेरोइन भी मिलने लगी। शुभंकर हलदर की गिरफ्तारी के बाद आरोपी गिरफ्तारी से बचने के लिए अपना ठिकाना बदलता रहा और विभिन्न स्थानीय उपभोक्ताओं को कम मात्रा में हेरोइन की आपूर्ति करता रहा। आरोपी अभी भी बाराबंकी के शमीम, सद्दाम उर्फ सद्दू और मुबीन स्थानीय नशा तस्कर के संपर्क में है। आरोपी और उसका गिरोह दिल्ली और यूपी के इलाके में बड़े स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी का गठजोड़ चला रहा है। नशा तस्करी के धंधे में शामिल पूरे गिरोह का भंडाफोड़ करने के लिए प्रयास जारी है.

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