अजीत सिन्हा /नई दिल्ली
डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारा डेलीगेशन, मेरे साथ पवन बंसल हैं, मुकुल वासनिक हैं और अन्य मित्र हैं, चुनाव आयोग गए। हमने 2-3 अहम मुद्दे उठाए हैं। चुनाव आयोग ने हमें सब्र से सुना। सबसे पहले और सबसे अहमियत वाला मुद्दा है कि एक बेशर्मी से जो वक्तव्य आ रहे हैं, कर्नाटक चुनाव के संबंध में बीजेपी के सबसे बड़े तबकों की तरफ से। हमने बड़े स्पष्ट रूप से याचिका और कंप्लेंट की है गृहमंत्री के विरुद्ध और मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के। उन्होंने 3-4 वक्तव्य, जो हमने अपने रिप्रिजेंटेशन में कोट किए हैं, बड़े स्पष्ट रूप से ऐसे स्टेटमेंट्स दिए हैं, जो उकसाते हैं, आपसी वैमनस्य फैलाते हैं, पूरी तरह से झूठे हैं, नफ़रत फैलाते हैं। हमारे अनुसार एक में कम्युनल रायट्स की तरफ रेफ्रेंस है। कई और वक्तव्यों में अल्पसंख्यक समुदाय के विषय में संकेतात्मक बड़ा स्पष्ट कहा है और सबसे महत्वपूर्ण कांग्रेस के विरुद्ध साफ झूठे आरोप कि कांग्रेस ने कहा कि अगर हम आएंगे पावर में तो हम रिहा कर देंगे, इन सबको, एक प्रतिबंधित ऑर्गेनाइजेशन के सदस्यों को।
जब हमने चुनौती दी कि बताएं कहां कहा है कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में, अपने बयान पर या अपने स्टैंड में तो कुछ ऐसी चीज सामने नहीं आई। इसके बाद हमने चुनाव आयोग को बताया कि ये आदर्श आचार संहिता का तो बड़ा ही एक नंगा उल्लंघन है, जबरदस्त और व्यापक उल्लंघन है, साथ-साथ कई सारे फौजदारी प्रावधान इसमें लगते हैं, ऐसे वक्तव्यों में, आप लोग जानते हैं, उनका नंबर 153 (आईपीसी) – वैमनस्य फैलाना, नफरत फैलाना- 505 (आईपीसी), उसके अलावा चुनाव के दौरान झूठे वक्तव्य करना। तीसरा हमने बताया चुनाव आयोग को कि उच्चतम न्यायालय ने बहुत-बहुत स्पष्ट रूप से कई बार कहा है और एक उदाहरण दिया हमनें, अमीश देवगन का केस जो 2021 में आया था, उच्चतम न्यायालय में, जहाँ कहा गया था कि आप जितने बड़े पद और औहदे पर हैं, उतना ही आप की जिम्मेदारी ज्यादा है, उतना ही आपका वक्तव्य हम और ध्यान से देखेंगे और वो उतना ही ज्यादा गलत होगा, क्योंकि आपका औहदा, आपका पद ऊँचा है। नंबर 3, हमने कहा कि ये बराबरी समतल जमीन को गैर बराबर करता है और इसलिए ये स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव पर आघात करता है और स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव और गणतंत्र और लोकतंत्र हमारे संविधान के मूल ढांचे का एक अभिन्न अंग है, तो इसलिए चुनाव आयोग एक बहुत महत्वपूर्ण दायरे का पोलिसमेन है और उसको तुरंत एक्शन लेना चाहिए। उसको तुरंत एक्शन इसलिए भी लेना चाहिए, क्योंकि चुनाव के समय बहुत कम होता है और कितना भी बड़ा पद हो, कितना भी बड़ा नाम हो, कितना भी बड़ा औहदा हो, कानून सबके लिए बराबर है और इसलिए हमने अपनी बात अंत की ये कहकर कि ऐसे लोगों को तुरंत चुनाव कैंपेन में शरीक़ होने से रोक देना चाहिए, बैन कर देना चाहिए।एक प्रश्न पर कि जिस बीजेपी नेता ने आज श्रीमती सोनिया गांधी के लिए जिस शब्द का प्रयोग किया है, उसकी भी शिकायत की है? डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वो आज ही हुआ है, कुछ ही घंटो पहले हुआ है, हमने औपचारिक कंप्लेंट नहीं दी है, लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि कानून के जितने भी अधिकार क्षेत्र हैं और वो सिर्फ चुनाव आयोग नहीं है। इतना भद्दा, इतना भर्त्सना योग्य, इतना गिरा हुआ, गटर लेवल का बयान और हमको हर दिन लेक्चर मिलता है, उपदेश मिलता है कि कैसे बोलना चाहिए। आप देखेंगे कि जैसे पहले मंत्रियों ने, बड़े-बड़े वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने कहा है, इस प्रकार की चीजें और कोई एक्शन नहीं लिया गया है। हमारे मुखर और प्रखर प्रधानमंत्री चुप रहते हैं, वैसा ही इसमें भी होगा, लेकिन हम अपने सब अधिकार क्षेत्र कानूनी इसके विरुद्ध इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार क्षेत्र रखते हैं।
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