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दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाने जा रही केंद्र सरकार – केजरीवाल


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद दिल्ली सरकार द्वारा सर्विसेज सेक्रेटरी को बदलने के लिए दो दिन पहले भेजी गई फाइल को लेकर एलजी बैठे हुए हैं। अभी तक फाइल को मंजूरी नहीं मिलने पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को एलजी से तीखे सवाल किए। सीएम केजरीवाल ने ट्वीट कर पूछा कि एलजी सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्यों नहीं मान रहे हैं? दो दिन से पड़ी सर्विसेज़ सेक्रेटरी की फाइल साइन क्यों नहीं की? कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार अगले हफ़्ते आर्डिनेंस लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने वाली है। क्या केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने की साज़िश कर रही है? क्या एलजी केंद्र सरकार के ऑर्डिनेंस का इंतज़ार कर रहे हैं और इसीलिए सर्विसेज सेक्रेटरी की फाइल साइन नहीं कर रहे हैं?’ उधर, दिल्ली सचिवालय में प्रेस कॉफ्रेंस कर सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी से निवेदन करते हुए कहा कि जल्द से जल्द फाइल को वापस भेजे, ताकि दिल्ली के और काम हो सकें।

दिल्ली के सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सर्व सम्मति से फैसला दिया था कि दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस विभाग चुनी हुई सरकार के अंतर्गत है। ये विभाग केंद्र सरकार या एलजी साहब के अधीन नहीं है। इसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि हमें दिल्ली सरकार के अंदर बड़े फेर-बदल करने हैं। दिल्ली के काम रोकने वाले और जनता को परेशान करने वाले अफसरों को उनके पदों से हटाकर उनकी जगह अच्छे अफसरों को लाया जाएगा। यानी कि जिन अफसरों ने कई महीनों तक बुजुर्गों की पेंशन रोकी, अस्पतालों में गरीब मरीजों को परेशान किया, जानबूझकर मोहल्ला क्लीनिक में दवाइयां, टेस्ट और डॉक्टरों की सैलरी को रोका, जनता को सताने वाले ऐसे अफसरों को उनके पदों से हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनी हुई दिल्ली सरकार की ओर से 11 मई को आदेश दिया गया कि सबसे पहले दूसरे अफसरों को बदलने के लिए ऑर्डर देने वाले सर्विसेज सेक्रेटरी को बदला जाए, ताकि चुनी हुई सरकार जल्द से जल्द अपने आदेश को लागू करा सके। 11 मई को ही सर्विसेज सेक्रेटरी बिना बताए गायब हो गए और कई दिनों तक गायब रहे। उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया। सर्विसेज सेक्रेटरी ने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया। इसके बाद उनके घर पर चिट्ठी भेजी गई, लेकिन चिट्ठी नहीं ली और फिर सर्विसेज सेक्रेटरी वापस आए। कई दिनों तक देरी करने के बाद 17 मई को सर्विसेज सेक्रेटरी को बदलने की फाइल एलजी के पास गई। एलजी के पास फाइल भेजे आज 2 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी भी फाइल एलजी  के पास ही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि एलजी  के पास अधिकार नहीं है कि वे चुनी हुई सरकार को बताएं कि किस अफसर को कहां पर लगाना है? यह फैसला लेना चुनी हुई सरकार का काम है। मगर एलजी साहब और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसले मानने के लिए तैयार नहीं है। यह बात सबके सामने है।सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब यह सुनने में आ रहा है कि एलजी हाउस के सूत्र अफसरों को फोन करके धमका रहे हैं कि जल्द ही केंद्र सरकार ऑर्डिनेंस लेकर आ रही है। तब तक सभी काम रोक कर रखो। हम एलजी हाउस से यह जानना चाहेंगे कि क्या यह बात सही है? क्या केंद्र सरकार और एलजी हाउस षड्यंत्र कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की संवैधानिक पीठ के फैसले को पलटने के लिए ऑर्डिनेंस लाकर दिल्ली की चुनी हुई सरकार को रोका जाए। क्या यह पूरी दिल्ली के साथ षड्यंत्र नहीं है? क्या केंद्र और एलजी साहब इस तरह का ऑर्डिनेंस लाने की तैयारी का षड्यंत्र कर रहे हैं? एलजी के पास फाइल भेजे हुए दो दिन हो गए है, लेकिन इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न मानने वाला भाव केंद्र और एलजी का सामने आ रहा है। एलजी  से निवेदन हैं कि जल्द से जल्द फाइल को वापस भेजे, ताकि दिल्ली के और काम हो सकें। जिसके लिए दिल्ली के लोगों ने चुना है और सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक फैसला दिया है, वो काम आगे बढ़ सके।इस दौरान सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सर्विसेज सेक्रेटरी आशीष मोरे द्वारा लगाए गए उत्पीड़न करने के आरोपों का भी जवाब दिया। मंत्री ने कहा कि सर्विसेज सेक्रेटरी आशीष मोरे अगर शरीरिक हमला करने का आरोप भी लगा देते तो मैं क्या कर सकता था। वे यह भी सकते थे कि मैंने उन्हें गन दिखाई। कहने को तो कुछ भी कहा जा सकता है। यह ऑन रिकॉर्ड है कि 11 मई को मंत्री ने उन्हें आदेश दिया और वे यह बोलकर गए कि 3 बजे तक आदेश का पालन करूंगा। लेकिन वे गायब हो गए। यह सब कुछ ऑन रिकॉर्ड है। इसके बाद उन्होंने अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लिया। उनको ईमेल भेजी गई, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं दिया। उनके पास बकायदा एक पत्र भिजवाया गया, लेकिन उनकी पत्नी ने कहा कि वे घर के अंदर नहीं है, जबकि वे घर के अंदर ही थे। यह बात उनके मोबाइल लोकेशन से सामने आ जाएगा। अगर उनकी कॉलोनी की सीसीटीवी कैमरा को बरामद करें, तो उससे भी यह स्पष्ट हो जाएगा कि वे अपने घर में ही थे। फिर भी उन्होंने पत्र लेने से मना कर दिया कि वे घर में नहीं हैं। उसके अगले दिन भी पत्र भेजा गया, लेकिन वे घर में नहीं मिले। व्हाट्सएप पर भी कोई रिप्लाई नहीं आया। यह सभी चीजें ऑन रिकॉर्ड है। अब उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। कई अधिकारियों पर कार्यवाही होने वाली है। ऐसे में कई सारी बाते सामने आ सकती हैं।

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