अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की हवा और पानी को शुद्ध बनाने में भागीदार बनने के लिए दिल्ली वालों का आह्वान किया है। विश्व पर्यावरण दिवस पर त्यागराज स्टेडियम में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आइए, हम प्रण लें कि हम सब मिलकर दिल्ली की हवा और पानी को साफ करने के लिए इसे एक जन आंदोलन बनाएंगे। हम एक ऐसे वातावरण का निर्माण करें, जहाँ स्वच्छ हवा, शुद्ध पानी, खुशहाल व स्वस्थ लोग निवास करें। ये काम अकेले सरकार नहीं कर सकती। इसमें सबको जिम्मेदारी लेनी होगी। पिछले आठ साल में हमने दिल्ली के दो करोड़ लोगों के साथ मिलकर विकास कार्य भी जारी रखा और प्रदूषण भी कम किया है। जन सहभागिता की बदौलत ही 2016 के मुकाबले 2022 में दिल्ली में पीएम-2.5 और पीएम-10 में 30 फीसद की कमी आई है। हम रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट तकनीक की मदद से प्रदूषण के वास्तविक स्रोत का पता लगाकर उसे कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सोमवार को दिल्ली सरकार के पर्यावरण एवं वन विभाग की ओर से त्यागराज स्टेडियम में पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया, जहां बतौर मुख्य अतिथि सीएम अरविंद केजरीवाल ने अन्य गणमान्य लोगों के साथ दीप प्रज्जवलित कर इसकी शुरूआत की। इस दौरान प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक पेश किया गया और वोकल ग्रुप ने पर्यावरण को लेकर गीत की प्रस्तुति दी। इसके बाद पर्यावरण विभाग की ओर से ऑक्सीजन पर बनी एक लघु फिल्म दिखाकर लोगों को पर्यावरण का शुद्ध रखने के लिए जागरूक किया गया। अंत में पर्यावरण को सुधारने को लेकर बेहतरीन कार्य करने वाले ईको क्लब, आरडब्ल्यूए और फॉरेस्ट गार्डों को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पर्यावरण एवं वन मंत्री गोपाल राय, स्थानीय विधायक, मुख्य सचिव, पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।पर्यावरण सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम 50वां विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं। 1972 में यूएन जनरल एसेंबली ने इसकी शुरूआत की थी। तब लगा होगा कि दुनिया में प्रदूषण बहुत बढ़ता जा रहा है। इसे रोकने की जरूरत है। जब-जब हम विकास की बात करते हैं तो माना जाता है कि विकास के साथ-साथ प्रदूषण भी होगा। विकास होगा तो पेड़ काटे जाएंगे, धूल-मिट्टी उड़ेगी, निर्माण होगा। हम 50 साल से विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं, लेकिन इन 50 वर्षों में पूरी दुनिया के अंदर प्रदूषण कम होने के बजाय बढ़ा है। भारत में भी किसी शहर, कस्बा या गांव को देंखे तो हर जगह प्रदूषण बढ़ा है। लेकिन पूरे देश में दिल्ली के अंदर प्रदूषण घटा है। पिछले 8 सालों में दिल्ली के अंदर विकास की गति कम नहीं हुई है। विकास खूब तेज गति से हो रहा है। स्कूल, अस्पताल, सड़कें, फ्लाईओवर सब बन रहे हैं, लेकिन प्रदूषण बढ़ने के बजाय कम हुआ है। हम लोगों ने दिल्ली के दो करोड़ लोगों के साथ मिलकर विकास की गति कम नहीं होने दी और साथ ही प्रदूषण को भी कम किया है।सीएम अरविंद केजरीवाल ने आंकड़ों के जरिए बताया कि 2016 के मुकाबले 2022 में पीएम -2.5 और पीएम-10 में 30 फीसद की कमी आई है। हम देखते हैं कि पूरे आसमान में प्रदूषण ही प्रदूषण हो गया है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। 2016 में 26 दिन ऐसे थे, जब दिल्ली गैस चैंबर बन गई थी और सांस लेना मुश्किल था। लेकिन 2022 केवल 6 दिन ऐसे थे, जब दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खराब था। थोड़े समय की और बात है। मुझे पूरी उम्मीद है कि दिल्ली वाले मिलकर प्रदूषण के ये 6 दिन भी खत्म कर देंगे और आने वाले सालों में एक भी दिन खराब नहीं होगा। 2016 में 109 दिन ऐसे थे, जो बहुत अच्छे थे। प्रदूषण नहीं था और आसमान बिल्कुल साफ था। जबकि 2022 में 163 दिन ऐसे थे, जो बहुत अच्छे थे। हर दिन साफ होने चाहिए, इस दिशा की ओर अपने को लेकर जाना है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लोगों ने ‘युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध’ नारा दिया था। ये केवल नारा भर नहीं है, बल्कि इसके तहत हमने प्रदूषण को रोकने के लिए ढेरों काम किए। मसलन, हम सुनते हैं कि पराली जलाने से प्रदूषण होता है। पराली के समाधान के लिए दिल्ली सरकार ने पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर एक घोल का अविष्कार किया और अब दिल्ली के लगभग सभी किसान पराली नहीं जलाते हैं, बल्कि घोल का छिड़काव कर पराली को नष्ट करते हैं। इसलिए दिल्ली में पराली से धुंआ नहीं आता है। दिल्ली में करीब 5 हजार एकड़ एरिया में खेती होती है। पंजाब से धुंआ आया करता है। पिछले साल पंजाब सरकार ने पराली के समाधान के लिए कई कदम उठाए और 30 फीसद पराली का धुंआ कम हुआ। हम लगातार पंजाब सरकार के संपर्क में हैं। हमें उम्मीद है कि इस साल पराली का धुंआ और भी कम हो जाएगा। पराली जलाने का सिलसिला पूरी तरह खत्म होने में अभी थोड़ा समय लग सकता है। पराली को जलाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार कई कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि मैं पूरे देश में घूमता हूं। सारे बड़े-बड़े शहरों में जाता हूं लेकिन सबसे ज्यादा हरियाली दिल्ली के अंदर दिखाई देती है। दिल्ली बहुत ही हरा-भरा शहर है। पूरे देश में हर शहर के अंदर पेड़ कम होते जा रहे हैं। हर शहर में विकास होता जा रहा है, सड़कें व बिल्डिंग बन रही हैं। इसके लिए पेड़ काटे जा रहे हैं। इसलिए पेड़ कम हो रहे हैं। दिल्ली अकेला शहर है, जहां पेड़ों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2013 में दिल्ली के कुल क्षेत्रफल के 20 फीसद जमीन पर पेड़ थे और आज (2023) ट्री कवर (पेड़ों की संख्या) 20 फीसद से कम होने के बजाय बढ़कर 23 फीसद हो गया है। इसका कारण यह है कि हम लोग बहुत बड़ी संख्या में पौधे लगाते हैं। इस बार भी दिल्ली सरकार ने दिल्लीवालों के साथ मिलकर पूरी दिल्ली में 52 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। अक्सर हम देखते हैं कि सरकारी कार्यक्रमों में पेड़ लगाया। बाद में कोई उस पर ध्यान नहीं दिया और दस दिन में पेड़ खत्म हो गया। हम लोग ये भी देखते हैं कि पौधों के सर्वाइवल रेट कैसे बढ़ाया जाए। मसलन नई सड़क बनाने के लिए पेड़ काटने ही पड़ेंगे। इसलिए हम लोगों ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी बनाई है। अब तकनीक आ गई है कि बड़े पेड़ को काटने की जरूरत नहीं है। उस बड़े पेड़ को जड़ के साथ निकाल लेते हैं और दूसरी जगह लगा देते हैं। इस तकनीक का दिल्ली में जबरदस्त इस्तेमाल हो रहा है। हमने अपनी पॉलिसी बदली और कहा कि एक पेड़ काटने पर 10 नए पौधे लगाने ही होंगे। साथ ही प्रोजेक्ट स्थल से पेड़ को जड़ से उठाकर कहीं और ले जाकर लगाना है। कई पुराने दो-चार सौ साल पुराने होते हैं। ऐसे पेड़ हमारे धरोहर होते हैं। इन पेड़ों को हम कैसे खराब होने देंगे।
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