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चंडीगढ़ ब्रेकिंग: हरियाणा सरकार ने प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों से संविधान पूर्व कानूनों पर विचार

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़:हरियाणा सरकार ने सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को उनके विभागों से संबंधित संविधान-पूर्व 37 कानूनों पर वर्तमान परिस्थितियों में उनकी उपयुक्तता पर आकलन करने बारे विचार मांगे हैं। विभागाध्यक्षों को सकारात्मक रूप से अपने विचार एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध करवाने को कहा गया है। सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को भेजे गए पत्र में मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय, विधायी विभाग ने सभी संविधान-पूर्व कानूनों की प्रासंगिकता और उपयुक्तता निर्धारित करने करने के लिए जांच की है। वर्तमान में इन कानूनों के संदर्भ को निरसन या पुनः अधिनियम के लिए आवश्यकतानुसार उचित उपाय किए जाएं। इस प्रक्रिया बारे राज्य सरकार से इनपुट मांगा गया है।

संविधान-पूर्व कानूनों में कई महत्वपूर्ण अधिनियम समीक्षाधीन हैं, जिनमें कानूनी प्रतिनिधि मुकदमा अधिनियम, 1855 (1855 का 12), घातक दुर्घटना अधिनियम, 1855 (1855 का 13), धार्मिक बंदोबस्ती अधिनियम, 1863 (1863 का 20), तलाक अधिनियम, 1869 (1869 का 4), भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1), भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 (1872 का 9), भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 (1872 का 15), विवाहित महिला संपत्ति अधिनियम, 1874 (1874 का 3), बहुमत अधिनियम, 1875 (1875 का 9), धार्मिक सोसायटी अधिनियम, 1880 (1880 का 1),  भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 (1882 का 2), संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 (1882 का 4), सूट मूल्यांकन अधिनियम, 1887 (1887 का 7), भारतीय सुखभोग अधिनियम, 1882 (1882 का 5), पावर ऑफ अटॉर्नी अधिनियम,1882 (1882 का 7), धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम , 1890 (1890 का 6), संरक्षक एवं वार्ड अधिनियम, 1890 (1890 का 8), विभाजन अधिनियम, 1893 (1893 का 4), सामान्य धारा अधिनियम, 1897 ( 1897 का 10), सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5), आनंद विवाह अधिनियम, 1909 (1909 का 17),आधिकारिक ट्रस्टी अधिनियम , 1913 (1913 का 2), संपत्ति का हिंदू निपटान अधिनियम, 1916 (1916 का 15), धर्मार्थ और धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम, 1920 (1920 का 14), भरण-पोषण आदेश प्रवर्तन अधिनियम, 1921 (1921 का 18), सिख गुरुद्वारा (अनुपूरक) अधिनियम, 1925 (1925 का 24), भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 (1925 का 39), माल की बिक्री अधिनियम, 1930 (1930 का 3), हिंदू शिक्षण लाभ अधिनियम, 1930 (1930 का 30), पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 (1936 का 3), आर्य विवाह मान्यता अधिनियम, 1937 (1937 का 19), मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन अधिनियम, 1937 (1937 का 26),   मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 (1939 का 8), वाणिज्यिक दस्तावेज़ साक्ष्य अधिनियम, 1939 (1939 का 30), और राजनयिक और कांसुलर अधिकारी (शपथ और शुल्क) अधिनियम, 1948 (1948 का 41) शामिल है।

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