अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कर्नल रोहित चौधरी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेस के ऑनरेबल मेंबरान… सबसे पहले आपको जैसे मालूम है बड़ा ही दुखद इंसीडेंट हुआ है, हमारे 3 ब्रेव हार्ट सोल्जर्स शहीद हुए है कल ऑपरेशंस में। तो प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू करने से पहले मैं चाहूंगा कि हम 2 मिनट का साइलेंस उनके लिए ऑब्जर्व कर लें, तो खड़े होकर एक बार साइलेंस ऑब्जर्व करते हैं।
(शहीद सैनिकों के सम्मान में दो मिनट का मौन धारण किया गया)
ऑनरेबल प्रेस के मेंबरान आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू करने से पहले मैं अपने साथियों को आपसे इंट्रोड्यूस करना चाहूंगा। मेरे राईट साइड में हमारे पुराने बहुत ही जुझारू साथी कर्नल प्रमोद कुमार शर्मा जी हमारे साथ हैं और साथ ही में हमारे कर्नल विजय कुमार परदेशी जी हैं और संजीव जी को आप जानते हैं। ये हमारे वो साथी हैं कि वन रैंक, वन पेंशन की लड़ाई जो हमने जंतर-मंतर पर लड़ी है उसके हमारे पुराने साथी हैं और जब कभी सेना या देश के ऊपर कोई भी आहत होता है तो ये साथी अपनी आवाज उठाने के लिए हमारे साथ हमेशा तैयार रहते हैं। साथियों, कल अनंतनाग के कोकरनाग इलाके के अंदर आतंकवादियों से लड़ाई लड़ते हुए हमारे 3 जांबाज साथी, एक ज्वाइंट ऑपरेशन था, इसको हम मिलिट्री की भाषा में कहते हैं हार्ड इंटेलीजेंस मिली, हार्ड इंट बोला जाता है, वो मिली कि मिलिटेंट्स इलाके के अंदर हैं, तो उन्होंने समय न गंवाते हुए अपनी प्रोपर ऑपरेशनल ड्रिल के साथ ज्वाइंट ऑपरेशन किया, इस ज्वाइंट ऑपरेशन के अंदर 19 राष्ट्रीय राइफल जो कि सिख लाईट इंफैंट्री की ट्रूप्स उसके अंदर डिप्लॉयड रहती हैं… तो उन लोगों का और जम्मू-कश्मीर पुलिस का ज्वाइंट ऑपरेशन था। इसके अंदर हमारे बहुत ही जुझारू साथी मनप्रीत सिंह जी, जो कि कमांडिंग ऑफिसर थे 19 राष्ट्रीय रायफल के… उन्होंने अपने 2 साथियों के साथ इस ऑपरेशन को फ्रंट से लीड करते हुए, अपनी जान की परवाह न करते हुए एक अच्छे भारतीय सेना के, इंडियन आर्मी के लीडर की तरह इस ऑपरेशन को लीड किया और उसमें उनके कंपनी कमांडर आशीष धौंचक, जो सिर्फ 34 साल के हैं और हुमायूं मुजम्मिल भट, जो कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हैं इन्होंने अपनी शहादत दी और ये ऑपरेशन कल से चल रहा है, सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर कर्नल मनप्रीत ने अपने परिवार से बात की थी और कहा कि हम ऑपरेशंस में जा रहे हैं और कल लड़ते हुए हमारे जांबाजों ने आतंकवादियों के साथ अपनी सुप्रीम सेक्रिफाइस दी।जब हमारे साथी लड़ाई लड़ रहे थे और अपना बलिदान वो देश के लिए कर रहे थे… तो मैं ये कहते हुए बड़ा शर्मसार हो रहा हूं आज कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी उस समय अपना महिमा मंडन, अपने ही लोगों के द्वारा, अपने ही बीजेपी के हेड-क्वार्टर में अपना ही महिमा मंडन कर रहे थे और उन पर फूलों की बरसात हो रही थी, फूल मालाओं से उनका स्वागत हो रहा था और वहां पर हमारे साथी गोलियों से छलनी हो रहे थे, हमारे साथी लड़ाई लड़ रहे थे, देश की सेवा में रत थे।मुझे वाकई में ये सोचकर आश्चर्य होता है कि हमारे प्रधानमंत्री जी, बीजेपी के कैडर्स, बीजेपी के प्रेसिडेंट और बीजेपी के सभी भक्त लोग क्या उनको अपने देशभक्त सैनिकों की याद नहीं आई? क्या उनको ऐसा नहीं लगा कि उनके साथी जो हैं वहां पर देशभक्ति में… बीजेपी हेडक्वार्टर के अंदर तो लीन है मोदी भक्ति के अंदर, लेकिन उनकी सेना जो है वो वहां पर लड़ाई लड़ रही है। मुझे शर्म आती है कि एक तरफ तो हमारे प्रधानमंत्री जी हैं जो देश को लीड कर रहे हैं, अपना महिमा मंडन करा रहे हैं और एक तरफ मैं गर्व महसूस करता हूं कि वहां पर कमांडिंग ऑफिसर मनप्रीत सिंह अपनी पलटन को लीड करते हुए अपने सैनिकों को लीड करते हुए लड़ाई लड़ रहे हैं और अपनी शहादत दे रहे हैं, ये दोनों बातों में बड़ा विरोधाभास है।
साथियों, आपको इन तकलीफों का अंदाजा शायद न हो, हमारे साथियों ने इसी एरिया के अंदर हमने काम किया हुआ है और इस बेशर्मी की जो मिसाल हमारे मोदी साहब ने जो दी है, उसके लिए मैं आप लोगों को कुछ वीडियो दिखाकर आप लोगों को बताना चाहूंगा कि आप इस चीज को कम्पेयर कर सकते हैं। (वीडियो दिखाई गई)ये दांये में हमारे साथी हैं, परिवार है, जो एक तरफ लड़ रहे हैं, लड़ने के बाद अपनी शहादत दे रहे हैं उनके परिवार में दु:ख मनाया जा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ आप देख सकते हैं कि किस तरह से बेशर्मी से फूलों को स्वीकार किया जा रहा है, किस तरह से फूलों की मोदी जी पर बारिश हो रही है, शर्म की बात है और देश की सेना… हमने बहुत सारे लोगों से बात की, हमारे बहुत सारे सैनिकों के ग्रुप हैं, पूर्व सैनिकों के ग्रुप हैं सब लोग इस बात की निंदा कर रहे हैं कि ये कैसे हमारे प्रधानमंत्री हैं, ये कैसी हमारी सरकार है जो अपने आपको देशभक्त सरकार बोलती है, जो अपने आपको राष्ट्रभक्त सरकार बोलती है, जो अपने सैनिकों की शहादत के ऊपर, उनका मान-सम्मान न करके, उनकी अवहेलना करके, असंवेदनशीलता दिखाकर अपने बीजेपी हेडक्वार्टर के अंदर फूलों की बारिश करवा रहे हैं, शर्म की बात है।साथियों, ये कोई पहली बार ऐसा नहीं हुआ है। आपको हम 2019 के कुछ पल दोबारा से याद दिलाना चाहते हैं। जब 13 फरवरी 2019 को हमारे 40 जांबाज सैनिक अपने कॉन्वॉय में श्रीनगर जाते हुए, जिनको जहाज डिमांड करने पर जहाज से न ले जाकर रोड के रास्ते ले जाया गया और 40 हमारे साथी शहीद हुए और वो भी इसी जगह के पुलवामा और अनंतनाग ये दोनों एक साथ जुड़े हुए जिले हैं। साउथ कश्मीर हॉट बेड है मिलिटेंसी के तौर पर, इनफिल्टरेशन बहुत ज्यादा हो रही हैं इस साल और हमें डर था कि कुछ न कुछ ऐसी दुर्घटना घटेगी। तो मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा पुलवामा के कुछ पल (वीडियो दिखाई गई) ये हमारे सैनिकों की शहादत हुई थी, 250 किलो आरडीएक्स पुलवामा में घूम रहा था, हमारे साथी, हम लोग सब इस बात के गवाह हैं कि आरडीएक्स वहां पर थोड़ा सा भी कहीं इधर से उधर हो जाता है तो सेना चौकन्नी हो जाती है और 250 किलो आरडीएक्स किस तरह से उस समय पर वहां पर घूम रहा था। तो ये उस समय के गवर्नर सत्यपाल मलिक जी ने इस बात का खुलासा किया था और इस समय पर आप मेरे बाँये हाथ पर देख सकते हैं मोदी जी उस दिन भी अपना महिमा मंडन कर रहे थे, मोदी जी उस दिन एक डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग कर रहे थे। हमारे सैनिक वहां पर शहादत देते रहे, उनका खून बहता रहा, लेकिन मोदी जी की शूटिंग नहीं रुकी। क्या ये सही है? मैं आप प्रेस के मेंबरान से पूछना चाहता हूं क्या ये सही है देश का सैनिक देश के लिए अपना खून बहा रहा है और हमारे देश के प्रधानमंत्री संवेदनशीलता दिखाने की वजाय अपनी बेरूखी की हदें पार करते हुए अपना महिमा मंडन करते रहें, डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग करते रहे या अपने बीजेपी के हेडक्वार्टर में फूलों की बरसात अपने ऊपर करते रहे। तो इस मौके पर… मुझे एक बड़ा एप्रोप्रियेट है माखनलाल चतर्वेदी, जो बहुत ही जाने माने कवि हैं, उनकी एक कविता है उसको याद करता हूं आज मैं और आप लोगों से साझा करना चाहता हूं, उसका नाम है पुष्प की अभिलाषा और वो कहते हैं –
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढ़ूँ,
भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जावें वीर अनेक।
ये तो हमारे देश की संस्कृति है और संस्कृति की बात करने वाले प्रधानमंत्री हमारे देश के सैनिकों की, उनके सैक्रिफाईज की, उसके ऊपर अपने प्रोग्रामों को बिना रोके… रोकना चाहिए था, बिना रोक अपने कार्यक्रम बढ़ाते जाते हैं, तो ये एक शर्म की बात है।इस ऑपरेशंस के अंदर एक कमांडिंग ऑफिसर ने लीड करते हुए लड़ाई लड़ी, शहादत हुई, लेकिन कहीं न कहीं इंटेलीजेंस फेल्योर का बहुत बड़ा एक एग्जाम्पल कहीं न कहीं दिखाई देता है कि कहीं ऐसा न हो कि इंटेलीजेंस आई, उसके ऊपर काम किया गया, काम करने के बाद उसके ऊपर उनको एलीमनेट करने के लिए कॉर्डिनेट सर्च ऑपरेशन जारी किया गया, इसमें कई ऑपरेशनल मुद्दे और इंटेलीजेंस से रिलेटेड मुद्दे होंगे, जिनके बारे में हम आज बात नहीं करना चाहेंगे, क्योंकि आज भी अभी ये ऑपरेशन चल रहा है और इस ऑपरेशन को मान और सम्मान देते हुए हम किसी और चीज के बारे में बात नहीं करेंगे, लेकिन ये एक बड़ा ही डेलिबरेट एम्बुश है, इसको फौज की भाषा में डेलीबरेट एम्बुश कहा जाता है, जिसके अंदर एक इंफोरमेशन दी जाती है, उसके बाद इंफोरमेशन के तहत ल्योर किया जाता है, एम्बुश ग्राउण्ड ले किया जाता है और उसमें जब कभी डिफेंस की पार्टीज जाती हैं तो अचानक फायरिंग होती है। तो एक ये डेलिबरेट एम्बुश का एक एग्जाम्पल है। इसके अलावा मैंने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंसस़ में कुछ बात कही थी, जो आज भी रेलीवेंट हैं। इस साल तकरीबन 30 से ज्यादा टेरेरिस्ट अटैक हो चुके हैं, काफी हमारे सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है, शहादत दी है, इसके साथ-साथ हमारे सैनिकों के लिए बड़ा ही कड़ा वक्त है, डिफिकल्ट टाइम है… ये इलेक्शन का ईयर है, पुलवामा भी इलेक्शन के साल में हुआ था, हमने पहली प्रेस कॉन्फ्रेंसस के अंदर ये भी कहा कि ये साल हमारी देश की सेना के लिए सबसे मुश्किल वक्त होगा, क्योंकि ये इलेक्शन का साल है और कितनी घटनाएं ऐसे घटेगी इसके बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन फौजों को और देश की सेनाओं को सतर्क रहना पड़ेगा और किसी भी तरह का जो अंदेशा है गलत ताकतों का हमारे देश की सेना को कमजोर करने का या उसको आहत करने का तो उससे हमें बचते हुए अपनी दिशा में आगे बढ़ना पड़ेगा, लेकिन हमें मोदी साहब से कुछ सवाल तो जरूर पूछने पड़ेंगे कि मोदी साहब किस चीज का आप सेलिब्रेशन कर रहे थे, ऐसा क्या काम किया था आपने जिसका आप सेलिब्रेशन कर रहे थे? आप अपने लोगों के बीच में ही अपना महिमा मंडन क्यों कर रहे थे? आपका ऐसा कितना बड़ा इम्पोर्टेंट काम था जिसकी वजह से इतनी बड़ी न्यूज देश में आई और उसके बावजूद आपने उसके ऊपर संज्ञान नहीं लिया और अपने प्रोग्रामों को रोका नहीं?तो ये हम सवाल मोदी जी से साफ-साफ पूछना चाहते हैं और इसके साथ-साथ कई सारी और भी घटनाएं हैं जिनके बारे में हम आने वाले समय के अंदर बात करेंगे, लेकिन हमारा देश इस टाइम पर आहत है, घायल है, लेकिन हम फिर वापस उठेंगे, लड़ेंगे, परिवारों को जोड़ेंगे, ‘जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया’ इसी मुहिम को आगे लेते हुए चलेंगे और ये भी साथ-साथ मैं कहना चाहूंगा इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपके माध्यम से कि देश के सैनिक आहत हैं, देश के लोग आहत हैं मोदी जी, देश के सारे देशभक्त नागरिक आहत हैं, लेकिन आपकी बीजेपी के जो भक्त हैं, उनके बारे में हम कुछ ज्यादा नहीं कह सकते कि उनकी क्या मंशाए हैं, क्या उनकी सोच है और इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुझे कुछ पंक्तियां हरिवंश राय बच्चन जी की एक कविता है- घायल हिन्दुस्तान। वो मुझे याद दिलाती हैं कि आज का जो समय है, वो वही समय है, लेकिन हिन्दुस्तान घायल जरूर है, लेकिन फिर दोबारा से रिएक्ट करेगा, हिन्दुस्तान फिर दोबारा से खड़ा होगा। इसकी कुछ पंक्तियां आपको सुनाऊँगा।
आंधी के पहले देखा है
कभी प्रकृति का निश्चल चेहरा?
इस निश्चलता के अंदर से
ही भीषण तूफान उठेगा।
मुझको है विश्वास किसी दिन
घायल हिंदुस्तान उठेगा।