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राजनीतिक हरियाणा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोले: आधा झूठ, आधा भ्रष्टाचार, आधी लचर, आधी लाचार और पूरी बेकार है बीजेपी-जेजेपी सरकार


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: आधा झूठ, आधा भ्रष्टाचार, आधी लचर, आधी लाचार और पूरी तरह बेकार। यहीं हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार की सच्चाई है। इसीलिए हरियाणा को इस डबल इंजन की नहीं बल्कि नए इंजन वाली सरकार की जरूरत है और वह नया इंजन कांग्रेस है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा प्रदेश में भाजपा सरकार के 9 साल पूरे होने पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आंकड़ों और तथ्यों के साथ सरकार की सच्चाई जनता के सामने रखी। हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार किसान को एमएसपी, युवा को रोजगार, बुजुर्गों को पेंशन, गरीबों को राशन, दलित-पिछड़ों को आरक्षण और नागरिकों को प्रोटेक्शन देने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, अपराध, नशे, किसानों पर अत्याचार, हर वर्ग पर लाठीचार्ज, गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने, कर्ज लेने और सरकारी गोली से अपने ही नागरिकों की हत्या करने के मामले में हरियाणा को नंबर वन बनाना ही मौजूदा सरकार की उपलब्धि है। 

हुड्डा ने कहा कि 9 साल पूरे होने पर इवेंटबाजी कर रही बीजेपी-जेजेपी को अपने चुनावी वादों पर जवाब देना होगा। उसे बताना चाहिए कि किसानों को एमएसपी की गारंटी, एमएसपी पर बोनस देने, 5100 रुपये बुढ़ापा पेंशन, पुरानी पेंशन स्कीम, पंजाब के समान वेतनमान और हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने जैसे वादों का क्या हुआ? बेरोजगारी को लेकर संसद में खुद केंद्र सरकार ने बताया कि हरियाणा में बीजेपी सरकार बनने के बाद बेरोजगारी 3 गुना बढ़ी है। 2013-14 में कांग्रेस सरकार के दौरान सिर्फ 2.9% बेरोजगारी दर थी, जो आज बढ़कर करीब 9.0% हो गई है। सरकारी विभागों में 2.02 लाख पद खाली पड़े हैं। लेकिन भर्तियां करने की बजाए सरकार पेपर लीक और पेपर कॉपी जैसे घोटालों को अंजाम दे रही है। भर्तियों में हरियाणा वालों की बजाए अन्य राज्य के लोगों को तरजीह दी जा रही है। बड़े पदों की भर्तियों में जानबूझकर हरियाणवी युवाओं को फेल किया जा रहा है। इसका ताज़ा उदहारण एचसीएस- एलाइड भर्ती है। इस भर्ती के 100 पदों पर मुख्य परीक्षा में केवल 61 अभ्यर्थी ही पास किए हुए। सवाल खड़ा होता है कि जो हरियाणवी युवा यूपीएसपी जैसे एग्ज़ाम को टॉप कर सकते हैं, क्या वो एचसीएस भी पास नहीं कर सकते?एक के बाद सामने आए ऐसे मामलों से स्पष्ट है कि भर्ती के नाम पर बड़े-बड़े घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है। खुद एचपीएससी के डिप्टी सेक्रेटरी को नवंबर 2021 में 90 लाख रुपये के साथ दफ्तर में पकड़ा गया था। इसी तरह साल 2018 में एचएसएससी ऑफिस में रिजल्ट के साथ छेड़छाड़ के आरोप में 5 लोगों को पकड़ा गया था। पिछले नौ साल में सीईटी (ग्रुप डी) से लेकर एचसीएस (2023) तक अनगिनत पेपर लीक हो चुके हैं। एसआई भर्ती (मार्च 2022), डेंटल सर्जन (दिसंबर 2021), पुलिस कांस्टेबल भर्ती (अगस्त 2021), ग्राम सचिव भर्ती (12 जनवरी 2021), क्लर्क भर्ती पेपर लीक (दिसंबर 2016), क्लर्क भर्ती (बिजली विभाग), एक्साइज इंस्पेक्टर (दिसंबर 2016), एग्रीकल्चर इंस्पेक्टर (जुलाई 2017), कंडक्टर भर्ती पेपर (सितंबर 2017), आईटीआई इंस्ट्रक्टर भर्ती पेपर लीक, आबकारी इंस्पेक्टर पेपर लीक, नायब तहसीलदार भर्ती पेपर लीक, पीटीआई भर्ती परीक्षा पेपर लीक, एचटेट पेपर लीक (नवम्बर 2015) इत्यादि 30 से ज्यादा पेपर लीक की खबरें अखबारें में छप चुकी हैं। क्राइम रेट के हिसाब से हरियाणा बड़े-बड़े राज्यों से कहीं आगे निकल चुका है। एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में दलित और महिलाओं के खिलाफ अपराध में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। साल 2014 से लेकर 2021 तक दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में 96.02% की बढ़ोतरी हुई है। अपराध बढ़ने की वजह से प्रदेश में निवेश आना बंद हो चुका है। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा निवेश के मामले में आखिरी पायदान पर खड़ा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सत्ता में बैठे लोगों का सारा ध्यान सिर्फ भ्रष्टाचार को अंजाम देने में है। पिछले 9 साल के दौरान प्रदेश में शराब, जहरीली शराब,कैग आबकारी नीति, एचएसएससी भर्ती, एचपीएससी भर्ती, पेपर लीक, पेपर कॉपी, कैश फॉर जॉब, डाडम खनन, यमुना खनन, प्रोपर्टी आईडी, धान खरीद, चावल खरीद, राशन, सफाई फंड, रोडवेज किलोमीटर स्कीम, फसल बीमा, बिजली मीटर खरीद, मेडिकल सामान खरीद, अमृत योजना, आयुष्मान योजना समेत दर्जनों घोटाले सामने आ चुके हैं। लेकिन सरकारी सरंक्षण के चलते भ्रष्टाचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। महंगाई की बात की जाए तो इस सरकार ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रदेश में महंगाई दर हरियाणा के साथ लगते राज्य पंजाब और पूरे देश से ज्यादा है। मई महीने में हरियाणा की महंगाई दर 6.04 प्रतिशत थी, जबकि पंजाब की 4.18 प्रतिशत थी। जून में हरियाणा में महंगाई दर 6.10 प्रतिशत थी, जबकि पंजाब में 4.78 प्रतिशत थी। जुलाई में हरियाणा में महंगाई दर 8.38 प्रतिशत थी, जबकि पंजाब में महंगाई दर 7.08 प्रतिशत थी। अगस्त महीने में हरियाणा में महंगाई दर 8.27 प्रतिशत थी। इस सरकार ने किसान, सरपंच, कर्मचारी, कच्चे कर्मचारियों से लेकर सफाई कर्मियों, आशा वर्करों और मिड डे मील वर्करों तक हर वर्ग पर अत्याचार और लाठीचार्ज करने का काम किया। पिछले 9 साल में हरियाणा को बार-बार कभी बरवाला, पंचकूला, कभी आरक्षण तो कभी नूंह दंगों की आग में धकेला गया। सरकारी गोली से नागरिकों की जान लेने में ये सरकार पूरे देश में नंबर वन है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस सरकार द्वारा शुरू की गई प्रॉपर्टी आईडी में 95 प्रतिशत और पीपीपी में 90 प्रतिशत गड़बड़झाले पाए गए हैं। कांग्रेस सरकार आते ही भ्रष्टाचार की जनक ऐसे गैर-जरूरी आईडीज को खत्म किया जाएगा। क्योंकि कांग्रेस ने देश व प्रदेश में डिजिटलाइजेशन की शुरुआत जनता को सहुलियत देने के लिए की थी, ना कि जनता को लंबी-लंबी कतारों में खड़ा करने के लिए। 2014-15 से 2022-23 के दौरान राज्य का वित्तीय स्वास्थ्य गड़बड़ा गया क्योंकि राज्य की देनदारी की वृद्धि 18 प्रतिशत थी जबकि राज्य सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 14 प्रतिशत (वर्तमान मूल्य पर) रही, जो राज्य को ऋण जाल में लाने का संकेत है। जबकि, 2004-05 से 2013-14 के दौरान स्थिति उलट थी,  देनदारी 14 प्रतिशत यानी एसजीडीपी में वृद्धि 18 प्रतिशत थी। जबकि मौजूदा सरकार के दौरान प्रदेश में कोई भी नया पावर प्लांट, नई मेट्रो लाइन, रेलवे लाइन, बड़ी परियोजना या राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर का संस्थान स्थापित नहीं हुआ। हैरानी की बात है कि कांग्रेस कार्यकाल की परियोजनाओं को अपने खाते में डालकर यह सरकार भ्रमित करने वाला प्रचार कर रही है। इस सरकार ने स्वास्थ्य तंत्र का वह हाल बना दिया कि जरूरत पड़ने पर मरीज को ऑक्सीजन और दवाइयां तक नहीं मिल पाई। रोहतक पीजीआई में खुद डॉक्टरों ने बताया कि सरकार द्वारा उन्हें हाथ धोने के लिए साबुन तक मुहैया नहीं करवाई जा रही। शिक्षा तंत्र का बीजेपी जेजेपी ने इतना बुरा हाल कर दिया की नए स्कूल खोलने की बजाय 5000 स्कूलों पर ताले जड़ दिए गए। हर मोर्चे पर विफल सरकार की आज ऐसी हालत है कि करनाल रैली में भीड़ जुटाने के लिए सरकारी विभागों के कर्मचारियों को जबरदस्ती आदेश जारी करके बुलाया गया।

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