अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:केजरीवाल सरकार के एंत्रप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम के 5 साल पूरा होने के जश्न में बुधवार को एससीईआरटी दिल्ली द्वारा ‘उद्यमशीलता शिक्षा की शक्ति’ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में नामी यंग एंत्रप्रेन्योर्स और शिक्षाविदों ने शिरकत की। इस राष्ट्रीय सम्मेलन के साथ आयोजित एक्सपो में केजरीवाल सरकार के स्कूलों के ‘बिजनेस ब्लास्टर्स’2022-23 बैच के छात्रों ने अपने बिज़नेस आइडियाज़ व प्रॉडक्ट्स को भी प्रदर्शित किया। साथ ही 8 राज्यों से माइंडसेट डेवलपमेंट, एजुकेशन व ईको-सिस्टम विषय पर आए 45 रिसर्च पेपर्स का भी प्रस्तुतीकरण हुआ। सम्मेलन में युवा एंत्रप्रेन्योर्स, सफल उद्यमियों, छात्रों व शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रेजेंटेशन व पैनल डिस्कशन का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री आतिशी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई।
इस मौक़े पर शिक्षा मंत्री ने साझा करते कहा कि, हम जब शिक्षा की बात करते है तो उसका एक मुख्य उद्देश्य ये होता है, छात्रों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना। लेकिन आज हमारे देश में युवा बेरोजगारों की बड़ी संख्या है। ऐसा इसलिए है क्योंकि, जब स्टूडेंट्स स्कूल-कॉलेज की पढाई पूरी कर के निकलते है तो एक अच्छी नौकरी की तलाश करना शुरू कर देते है। इन युवाओं की संख्या करोड़ों में होती है लेकिन में देश में न तो इतनी बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियां है और न ही प्राइवेट नौकरियां है। उन्होंने कहा कि,देश में स्टूडेंट्स के माइंडसेट में बचपन से ही ये डाल दिया जाता है कि पढ़ाई-लिखाई का उद्देश्य एक अच्छी नौकरी पाना है। लेकिन आंकड़ों को देखे तो हर साल जितनी बड़ी संख्या में युवा देश में स्कूलों-कॉलेजों से पढाई पूरी कर निकल रहे है,ऐसे में 2030 तक देश को 90 मिलियन( 9 करोड़) नॉन-एग्रीकल्चर नौकरियों की जरुरत होगी। यानि 2030 तक प्रतिदिन देश में 27,000 नई नौकरियां तैयार करने कि जरुरत होगी। शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि, ऐसे में बहुत बड़ा सवाल ये है कि वो हर युवा जो अपने स्कूल-कॉलेज की पढाई पूरी करके निकलता है, उसका उद्देश्य अगर अच्छी नौकरी पाना रह गया तो जॉब्स क्रिएट कौन करेगा? इस समस्या के समाधान के लिए केजरीवाल सरकार के स्कूलों में एंत्रप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम की शुरुआत की गई।उन्होंने कहा कि, ईएमसी का उद्देश्य है की हमारे स्कूलों से पढ़कर निकलने वाले बच्चे जॉब सीकर के रूप में न निकले बल्कि जॉब प्रोवाइडर के रूप में नौकरी देने वाले बने| और इस ईएमसी का सबसे अहम् हिस्सा बना बिज़नेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम जहाँ हमारे छोटे एंत्रप्रेन्योर्स ने बड़े धमाके किये| मात्र 2,000 रुपये की सीडमनी के साथ हमारे स्टूडेंट्स ने अपने स्टार्टअप्स तैयार किए। हमारे स्कूल के स्टूडेंट्स ने टीमें बनाई, पूरी दिल्ली में हमारे स्कूलों के बच्चों ने 50,000 से ज्यादा टीमें बनाई| 3 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स हर साल इसमें भाग लेते है। और इस प्रोग्राम से हमारे स्टूडेंट्स में जो कॉन्फिडेंस आया वो अविश्वसनीय है।
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